ग्रीष्मकालीन भिंडी की खेती: जानिए भिंडी की उन्नत किस्में और खेती के तौर तरीकों के बारे में
ग्रीष्मकालीन भिंडी की खेती: जानिए भिंडी की उन्नत किस्में और खेती के तौर तरीकों के बारे में
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भिंडी जायद एवं खरीफ मौसम की प्रमुख सब्जी फसल है, जो भारत के सभी राज्यों में प्रमुखता से उगाई जाती है। उत्पादन की दृष्टि से भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है। भिंडी की अगेती फसल लगाकर किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। भिंडी की खेती पूरे देश में की जाती है। भिंडी की अगेती किस्म की बुआई फरवरी से मार्च तक की जा सकती है। भिंडी की फसल से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए उन्नत गुणवत्ता वाले बीज, अच्छी सिंचाई व्यवस्था, खाद एवं उर्वरकों का उपयोग तथा फसल की उचित देखभाल करना आवश्यक है। इन सभी कार्यों के साथ-साथ भिंडी की खेती के लिए उस तकनीक का उपयोग करें, जिससे कम खर्च में अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके।

ग्रीष्मकालीन भिण्डी की उन्नत प्रजातियां जैसे-पूसा ए-5, पूसा सावनी, पूसा मखमली, बी.आर.ओ-3, बी.आर. ओ-4, उत्कल गौरव और वायरस प्रतिरोधी किस्में: पूसा ए-4, परभणी क्रांति, पंजाब-7, पंजाब-8, आजाद क्रांति, हिसार उन्नत, वर्षा उपहार, अर्का अनामिका आदि हैं। 

भिंडी की उन्नत किस्मों की जानकारी
पूसा ए -4 :
  • यह भिंडी की एक उन्नत किस्म है।
  • यह प्रजाति 1995 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान,नई दिल्ली द्वारा निकाली गई हैं।
  • यह एफिड तथा जैसिड के प्रति सहनशील हैं।
  • यह पीतरोग यैलो वेन मोजैक विषाणु रोधी है।
  • फल मध्यम आकार के गहरे, कम लस वाले, 12-15 सेमी लंबे तथा आकर्षक होते है।
  • बोने के लगभग 15 दिन बाद से फल आना शुरू हो जाते है तथा पहली तुडाई 45 दिनों बाद शुरू हो जाती हैं।
  • इसकी औसत पैदावार ग्रीष्म में 10 टन व खरीफ में 15 टन प्रति है० है।
परभनी क्रांति:
  • यह किस्म पीत-रोगरोधी है।
  • यह प्रजाति 1985 में मराठवाडा कृषि विश्वविद्यालय, परभनी द्वारा निकाली गई हैं।
  • फल बुआई के लगभग 50 दिन बाद आना शुरू हो जाते है।
  • फल गहरे हरे एवं 15-18 सें०मी० लम्बे होते है।
  • इसकी पैदावार 9-12 टन प्रति है० है।
पंजाब -7 :
  • यह किस्म भी पीतरोग रोधी है।
  • यह प्रजाति पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना द्वारा निकाली गई हैं।
  • फल हरे एवं मध्यम आकार के होते है।
  • बुआई के लगभग 55 दिन बाद फल आने शुरू हो जाते है।
  • इसकी पैदावार 8-12 टन प्रति है० है।
अर्का अभय :
  • यह प्रजाति भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर द्वारा निकाली गई हैं।
  • यह प्रजाति येलोवेन मोजेक विषाणु रोग रोधी है।
  • इसके पौधे ऊँचे 120-150 सेमी सीधे तथा अच्छी शाखा युक्त होते हैं।
अर्का अनामिका:
  • यह प्रजाति भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बैंगलोर द्वारा निकाली गई हैं।
  • यह प्रजाति येलोवेन मोजेक विषाणु रोग रोधी है।
  • इसके पौधे ऊँचे 120-150 सेमी सीधे व अच्छी शाखा युक्त होते हैं।
  • फल रोमरहित मुलायम गहरे हरे तथा 5-6 धारियों वाले होते हैं।
  • फलों का डंठल लम्बा होने के कारण तोड़ने में सुविधा होती हैं।
  • यह प्रजाति दोनों ऋतुओं में उगाईं जा सकती हैं।
  • पैदावार 12-15 टन प्रति है० हो जाती हैं।
वर्षा उपहार:
  • यह प्रजाति चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा निकाली गई हैं।
  • यह प्रजाति येलोवेन मोजेक विषाणु रोग रोधी है।
  • पौधे मध्यम ऊँचाई 90-120 सेमी तथा इंटरनोड़ पासपास होते हैं।
  • पौधे में 2-3 शाखाएं प्रत्येक नोड़ से निकलती हैं।
  • पत्तियों का रंग गहरा हरा, निचली पत्तियां चौड़ी व छोटे छोटे लोब्स वाली एवं ऊपरी पत्तियां बडे लोब्स वाली होती हैं।
  • वर्षा ऋतु में 40 दिनों में फूल निकलना शुरू हो जाते हैं व फल 7 दिनों बाद तोड़े जा सकते हैं।
  • फल चौथी पांचवी गठियों से पैदा होते हैं। 
  • औसत पैदावार 9-10 टन प्रति है० होती हैं।
  • इसकी खेती ग्रीष्म ऋतु में भी कर सकते हैं।
हिसार उन्नत:
  • यह प्रजाति चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा निकाली गई हैं।
  • पौधे मध्यम ऊँचाई 90-120 सेमी तथा इंटरनोड़ पासपास होते हैं।
  • पौधे में 3-4 शाखाएं प्रत्येक नोड़ से निकलती हैं। पत्तियों का रंग हरा हो ता हैं।
  • पहली तुड़ाई 46-47 दिनों बाद शुरू हो जाती हैं।
  • औसत पैदावार 12-13 टन प्रति है० होती हैं।
  • फल 15-16 सें०मी० लम्बे हरे तथा आकर्षक होते है।
  • यह प्रजाति वर्षा तथा गर्मियों दोनों समय में उगाईं जाती हैं।
ग्रीष्मकालीन भिंडी की खेती

इसके लिए बलुई दोमट व दोमट मृदा, जिसका पी-एच मान 6.0-6.8 हो तथा सिंचाई की सुविधा व जल निकास का अच्छा प्रबंध होना चाहिए। 

ग्रीष्मकालीन मौसम में भिण्डी की बुआई 20 फरवरी से 15 मार्च तक करना उपयुक्त है और बीज दर 20-22 कि.ग्रा./हैक्टर की आवश्यकता पड़ती है। 

बीज की बुआई सीडड्रिल से या हल की सहायता द्वारा गर्मियों में 45×20 सें.मी. की दूरी पर करें एवं बीज की गहराई लगभग 4.5 सें.मी. रखें। 

बुआई से पहले अच्छी तरह सड़ी गोबर या कम्पोस्ट खाद लगभग 20-25 टन/हैक्टर अच्छी तरह मृदा में मिला दें। तत्व के रूप में बुआई के समय नाइट्रोजन 40 कि.ग्रा. की आधी मात्रा, 50 कि.ग्रा. फॉस्फोरस व 60 कि.ग्रा. पोटाश/हैक्टर की दर से अंतिम जुताई के समय प्रयोग करें तथा आधी बची हुई नाइट्रोजन की मात्रा फसल में फूल आने की अवस्था में डालें।

कटाई और उपज

किस्म की गुणवत्ता के आधार पर फलों की तुड़ाई 45-60 दिन में शुरू कर दी जाती है और नियमित तुड़ाई चार से पांच दिन के अंतराल पर करनी चाहिए। ग्रीष्मकालीन भिंडी की फसल का उत्पादन 60-70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है।