गर्मी के मौसम में करें खीरे की खेती और कमाएं अच्छा मुनाफा
गर्मी के मौसम में करें खीरे की खेती और कमाएं अच्छा मुनाफा
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Khire Ki Kheti - इस समय रबी फसलों की कटाई लगभग अब अपने अंतिम चरण में है। अगले कुछ महीनों तक खेत खाली रहेंगे। इसके बाद खेतों को खरीफ फसलों की खेती के लिए तैयार किया जाएगा। अगला सीजन जायद फसलों का है, जिसमें कई तरह की फसलें उगाई जाती हैं। अगर आप भी जायद सीजन में अच्छी कमाई करना चाहते हैं तो खीरे की खेती कर सकते हैं। खीरे की खेती खरीफ, रबी और जायद तीनों मौसमों में की जा सकती है। लेकिन गर्मी के मौसम में बाजारों में इसकी काफी मांग रहती है. इसलिए कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसान खीरे की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. यह एक ऐसी फसल है जो पूरे देश में उगाई जाती है। यदि कोई किसान वैज्ञानिक विधि से खीरे की खेती करता है तो वह अपनी फसल से अधिकतम उत्पादन प्राप्त कर सकता है।

खीरा पानी का एक अच्छा स्रोत है, जिसमें लगभग 96 प्रतिशत पानी होता है। इसलिए, खीरा एक महत्वपूर्ण ग्रीष्मकालीन सब्जी फसल है। खीरा विटामिन ए, बी-1, बी-6, विटामिन सी, विटामिन डी के साथ-साथ पोटेशियम, फास्फोरस और आयरन का बहुत अच्छा स्रोत है। खीरे के जूस का नियमित सेवन हमारे शरीर को अंदर और बाहर से मजबूत बनाता है। खीरे के कई फायदे हैं और गर्मियों में इसकी डिमांड भी ज्यादा होती है। इसी वजह से इसकी खपत भी बढ़ जाती है। आइए आपको इसकी खेती के बारे में विस्तार से बताते हैं।

अधिक उत्पादन के लिए इस प्रकार करे खीरे की बुवाई
गर्मी के इस सीजन में यदि आप खीरे की बुवाई कर रहे है तो सबसे पहले एक अच्छी नमी वाली भूमि का चयन करना चाहिए, जिस भूमि का PH मान 6 और 7 के बिच हो ऐसी भूमि में इसकी बुवाई करना चाहिए। 
खीरे की खेती की सबसे अच्छी बात यह है की इसकी खेती हम सभी प्रकार की मिट्टी में कर सकते है और अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है विशेषतः बुलई दोमट मिट्टी या दोमट मिट्टी इसकी बुवाई के लिए अच्छी होती है साथ ही अच्छी जल निकासी करनी चाहिए, भूमि को समतल भुरभुरा बनाना चाहिए और खेत में 2 से 3 जुताई करनी चाहिए, पाटा लगाकर जुताई करनी चाहिए और नालिया बनानी चाहिए। साथ ही देशी खाद डालनी चाहिए। खीरे की फसल सबसे कम समय में तैयार हो जाती है, यह मात्र 2 से 3 महीने में प्राप्त की जाने वाली फसल है।

ग्रीष्म ऋतु में 10 से 12 बार सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है
गर्मियों में खीरे के पौधों को सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती है। बरसात के मौसम में सिंचाई की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं होती है। खीरे के पौधों को एक मौसम में 10 से 12 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। खेत में मौजूद खरपतवारों को खुरपी या कुदाल से हटा देना चाहिए। ग्रीष्मकालीन फसलों में 15-20 दिनों के अंतराल पर 2-3 निराई-गुड़ाई करनी चाहिए तथा वर्षा ऋतु की फसलों में 15-20 दिनों के अंतराल पर 4-5 निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। वर्षा ऋतु की फसलों के लिए जड़ों में मिट्टी लगानी चाहिए।

उन्नत किस्में
यदि किसान अच्छी किस्मों की खेती करें तो वे अपना मुनाफा और बढ़ा सकते हैं। इसके लिए उन्हें खीरे की उन्नत किस्मों की जानकारी होना जरूरी है। खीरे की उन्नत किस्मों में पूसा संयोग, पाइनसेट, खीरा-90, टेस्टी, मालव-243, गरिमा सुपर, ग्रीन लॉंग, सदोना, एन.सी.एच.-2, रागिनी, संगिनी, मंदाकिनी, मनाली, य.एस.-6125, यू.एस.-6125, यू.एस.-249 शामिल हैं

बीज बोने का सही समय
बीज बोने का समय स्थान विशेष एवं जलवायु पर निर्भर करता है। शीत ऋतु की फसलों के लिए बीज बोने का समय मध्य फरवरी से मार्च के प्रथम सप्ताह तक होना चाहिए। एक हेक्टेयर खेत के लिए 2.5 से 3.0 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बीजों को उपचारित करने के लिए बीजों को चौड़े मुंह वाले बर्तन में रखें और प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से 2.5 ग्राम थीरम दवा मिला लें। दवा को बीज के साथ ठीक से मिलाने के लिए दवा और बीज को बर्तन में डालें और दोनों हाथों से कई बार ऊपर-नीचे करें ताकि दवा बीज के सभी तरफ से ढक जाए।

खाद व उर्वरक
खीरे की खेती के लिए खेत को तैयार करते समय  अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 10-15 टन /एकड़  मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देनी चाहिए। तथा रासायनिक उर्वरक में नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश मिट्टी परिक्षण के आधार पर ही उपयोग करना चाहिए।

कटाई एवं उपज
खीरे की फसल अवधि 45 से 75 दिन होती है, जिससे प्रति हेक्टेयर लगभग 100 से 150 क्विंटल पैदावार होती है। कटाई के लिए तेज़ चाकू या किसी और नुकीली चीज़ का प्रयोग करें। यह एक ऐसी फसल है जिससे छोटे किसान भी लाखों की कमाई कर सकते हैं