रंगीन फूलगोभी की उन्नत खेती : 110 दिन की फसल औसत उपज 200-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
रंगीन फूलगोभी की उन्नत खेती : 110 दिन की फसल औसत उपज 200-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
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हमारे जीवन में रंगों का महत्वपूर्ण स्थान है। इसका प्रभाव हमारे जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर दिखाई देता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि ये रंग हमारे स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालते हैं। परंपरागत तौर पर किसान अब खेती-किसानी में नित-नये नवाचार करने लगे हैं। रंगीन फूलगोभी की खेती किसान के लिए लाखों की कमाई का जरिया बन गई है। ये फूल गोभी देखने में तो आकर्षक लगती ही है, साथ ही इनके सेवन से हड्डियां मजबूत होने के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

भारत में कई किसान रंगीन फूलगोभी की फसल लगा रहे हैं। खासकर बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में रंगीन फूलगोभी की खेती से किसानों को काफी अच्छे परिणाम मिले हैं। रंगीन फूलगोभी की खेती नियमित फूलगोभी के समान ही होती है। किसान भाई इसकी खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। फूलगोभी अपने स्वाद और सेहत से जुड़े फायदों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। इसकी सब्जी बनाने से लेकर परांठे, पकोड़े के साथ-साथ अचार भी बनाया जाता है।

अनुकूल जलवायु
इसकी खेती के लिए ठंडी और नम जलवायु की जरूरत होती है। पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए तापमान 20-25°C होना चाहिए।

भूमि की तैयारी
रंगीन फूलगोभी की खेती सभी प्रकार की भूमि पर सफलतापूर्वक की जा सकती है जिसमें जीवाश्म पदार्थों की मात्रा हो तथा जल-निकास की व्यवस्था हो। मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.6 होना चाहिए। भूमि की तैयारी के लिए 3-4 जुताई के बाद खेत में पाटा लगाकर समतल कर लेना चाहिए।

प्रमुख किस्में
कैरोटीना (पीला रंग) एंव बैलीटीना (बैंगनी रंग) मुख्य संकर किस्में हैं।

बीज की मात्रा
रंगीन फूलगोभी की खेती का समय सितंबर-अक्टूबर माह में होता है। इसके लिए नर्सरी तैयार की जाए। इसके लिए एक हेक्टेयर खेत के लिए 200-250 ग्राम बीज पर्याप्त होता है।

रोपण विधि
पौधे 4-5 सप्ताह के होने पर मुख्य खेत में 60x60 सेमी. या 60x45 से.मी. की दूरी पर रोपाई करनी चाहिए और रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए।

खाद और उर्वरक
रंगीन फूलगोभी की खेती में अच्छी उपज के लिए गोबर की सड़ी हुई खाद 300 क्विंटल एंव मृदा जांच के आधार पर अनुशंसित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया जाना चाहिए। यदि मृदा परीक्षण नहीं कराया गया हो तो ऐसी स्थिति में 120 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा फास्फोरस तथा 40 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। रोपाई से 15 दिन पहले पूरी मात्रा में गोबर की खाद या कम्पोस्ट मिट्टी में मिला देना चाहिए। फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा को बोने से 3 दिन पहले खेत में डालकर अच्छी तरह मिला दिया जाता है। बची हुई नत्रजन को दो बराबर भागों में बांटकर रोपाई के 30-35 दिनों के बाद और 45 से 50 दिनों के अंतराल पर टॉपड्रेसिंग के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा निराई के समय मिट्टी में अमोनियम मोलिबेट 1.5 किग्रा तथा बोरॉन 10 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए।

सिंचाई
 रंगीन फूलगोभी की सफल खेती के लिए पौधे लगाने के बाद आवश्यकतानुसार 10 से 15 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण
रोपाई के 3 सप्ताह के बाद निराई-गुड़ाई करके मिट्टी चढ़ाने का कार्य करना चाहिए तथा आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई कर देनी चाहिए।

फसल और उपज
रंगीन फूलगोभी की फसल बोने के 100-110 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इससे प्रति हेक्टेयर लगभग 200 से 300 क्विंटल की औसत उपज मिलती है।