सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक बीमारी को नियंत्रण करने के लिए करना होंगे ये कार्य
सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक बीमारी को नियंत्रण करने के लिए करना होंगे ये कार्य
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पीला मोजेक
यह वायरसजनित रोग है, जो कि सफेद मक्खी द्वारा फैलता है। यदि रोग की तीव्रता व संक्रमित पौधों की संख्या शुरुआत में अधिक हो जाये, तो पीला मौजेक रोग न केवल उस खेत में अपितु आसपास के खेतों में भी तेजी से फैलता है।

लक्षण
  • रोग, पौधे की नई पत्तियों पर अनियमित चमकीले धब्बों के रूप में प्रकट होता है।
  • पत्तियों पर पीला क्षेत्र बिखरा हुआ अथवा मुख्य शिराओं के साथ पीली पट्टी के रूप में दिखाई देता है। रोग की तीव्रता अधिक होने पर अधिक नुकसान की आशंका बढ़ जाती है।
प्रबंधन
  • बुआई के लिए रोग प्रतिरोधक या सहनशील नई उन्नत प्रजातियों जैसे- जे. एस. 20-98, जे.एस. 20-29, जे.एस. 20-116, जे.एस. 20-94, जे.एस. 20-69, आर.वी. एस. 2001-18, जे.एस. 20-34 आदि का चयन करें।
  • बीजोपचार थायामेथोक्साम 30 एफ.एस. नामक कीटनाशक से 10 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से करें। बीजोपचार थायामेथोक्साम 30 एफ. एस. नामक कीटनाशक से 10 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से करें।
  • समय से बुआई (2 जून से 5 जुलाई के मध्य) करनी चाहिये।
  • खरपतवार की समस्या का समुचित प्रबंधन करें।
  • रोग के लक्षण दिखते ही ऐसे पौधे को तुरंत उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिये।
  • रोग का फैलाव बढ़ने पर कीटों के नियंत्रण के लिए खड़ी फसल में 35 दिनों की अवस्था पर इमिडाक्लोप्रिड 48 प्रतिशत एफ. एस. 125 मि.ली. मात्रा का प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करें।