बेमौसम बारिश से किसानों के अरमानों पर फिरा पानी, हो रहा भारी नुकसान
बेमौसम बारिश से किसानों के अरमानों पर फिरा पानी, हो रहा भारी नुकसान
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लगातार दो दिन से हो रही बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। मध्यप्रदेश के कई जिलों में इन दिनों लगातार बारिश हो रही है, इस समय मध्यप्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश से खेतों में लबालब पानी भर गया है, जिससे किसान बेहद परेशान हैं। कौन कहता है मेहनत का फल मीठा होता है पूछना कभी किसान से, इन दिनों किसान फसलों के कम भाव और मौसम की मार झेल रहा है। बेमौसम बारिश के कारण किसान बेहाल और बेसहारा खड़ा दिख रहा है। दरअसल, ये महीना खरीफ फसल की कटाई और रबी फसलों की बुवाई का माना जाता है। इस दौरान सोयाबीन, मक्का, उड़द, मूंग और मूंगफली की कटाई का कार्य और गेंहू, चना, मटर, मसूर, सरसों की बुवाई शुरू होती है।
मध्य प्रदेश के मंदसौर और आसपास के इलाकों में लगातार हो रही बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है, इन दिनों प्रदेश के कई जिलों में सोयाबीन की कटाई चल रही है, आधी से ज्यादा फसल की कटाई हो चुकी है, गुरुवार रात 9 :00 बजे से ही बारिश शुरू हो गई थी, बारिश के कारण मौजूदा फसल सोयाबीन, मक्का, उड़द, मूंग, मूंगफली आदि को नुकसान हो रहा है। शुक्रवार सुबह आठ बजे तक रुक-रुक कर बारिश होती रही। खेतों में कटी फसल को भारी नुकसान होने की संभावना है। क्षेत्र के किसानों का कहना है कि खड़ी फसल में नुकसान कम होता है, लेकिन कटाई के बाद सोयाबीन की फसल को ज्यादा नुकसान होता है, जिससे किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। पूर्व में भी अत्यधिक बारिश से कई किसानों के खेत क्षतिग्रस्त हो गए थे, जलजमाव के कारण क्षेत्र के कई गांवों को पूर्व में नुकसान हुआ था और वर्तमान में अक्टूबर की बारिश ने किसानों के लिए जीवन मुश्किल बना दिया है। किसानों का कहना है कि जो फसल खड़ी हुई है। फलियां पूरी तरीके से पक गई है पानी गिरने की वजह से खेत गीले हो गए हैं उनकी कटाई नहीं हो सकती है अगर ऐसे में तेज धूप निकल जाती है तो फलियां फूट जाएगी और दाने खेतों में बिखर जाएंगे। जिन किसानों की फसलें कटी है। उनका कहना है कि फसलें कटी पड़ी है और इस पानी की वजह से दानों पर दाग लग जाएंगे, जिसकी वजह से नुकसान होगा बिन मौसम बारिश के चलते किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लग गई है। क्षेत्र के किसानों को सरकार से मुआवजा मिले, जिससे किसानों को राहत मिले, नहीं तो क्षेत्र के किसानों की आर्थिक स्थिति और खराब हो जाएगी।