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भरतपुर में इस वर्ष किसानों के चेहरों पर खास चमक देखने को मिल रही है, जिसकी वजह है आंवला की शानदार पैदावार। पहले जहां किसान गेहूं–धान जैसी पारंपरिक फसलों पर निर्भर थे, वहीं अब कई किसानों ने आंवला की बागवानी अपनाकर अपनी आमदनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। नियमित उत्पादन, कम लागत और बढ़िया बाजार मूल्य ने आंवला को किसानों के लिए स्थिर आय का मजबूत जरिया बना दिया है।
कुछ साल पहले जिस निर्णय को किसानों ने एक नई कोशिश के रूप में अपनाया था, आज वही खेती भरतपुर में ‘लगातार कमाई वाली फसल’ के रूप में नजर आ रही है। बागों में फलों की लगातार उपलब्धता के कारण किसान साल दर साल बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं। इस सीजन में अनुकूल मौसम और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादन ने किसानों को बेहद उत्साहित किया है। खेतों में हरे-भरे फलों की भरपूर मौजूदगी ने बागों को मानो हरियाली से भर दिया है।
स्थानीय व्यापारियों के अनुसार इस बार आंवला आकार और स्वाद दोनों में बेहतर निकला है। इसके चलते भरतपुर की मंडियों में इसकी अच्छी मांग बनी हुई है। यहां आंवला प्रति किलो लगभग 45–50 रुपये में बिक रहा है, जिससे उत्पादन करने वाले किसानों की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है। सबसे खास बात यह है कि आंवला की खेती में ज्यादा जोखिम नहीं होता और उत्पाद को बेचने में भी अधिक समय नहीं लगता।
आंवला औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण अचार, मुरब्बा, जूस, पाउडर और आयुर्वेदिक उत्पादों में इस्तेमाल होता है। यही वजह है कि व्यापारी दूर-दूर से भरतपुर पहुंचकर सीधी खरीद कर रहे हैं। किसानों को अपनी फसल बेचने में कोई परेशानी नहीं हो रही। बाज़ार में लगातार डिमांड रहने से यह खेती और भी भरोसेमंद मानी जा रही है।
स्थानीय किसानों का कहना है कि पहले उनकी आय मौसम, कीमतें और फसल की स्थिति पर निर्भर रहती थी, लेकिन आंवला बागवानी ने उनकी आर्थिक स्थिति को स्थिर कर दिया है। कई किसान इसे दीर्घकालिक निवेश मानते हुए और अधिक पौधे लगाने की तैयारी कर रहे हैं। फसल हर साल फायदा देती है, इसलिए यह खेती ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रही है।
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