सोयाबीन भारतवर्ष में महत्वपूर्ण फसल है | यह दलहन के बजाय तिलहन की फसल मानी जाती है। सोयाबीन का उत्पादन 1985 से लगातार बढ़ता जा रहा है और सोयाबीन के तेल की खपत मूँगफली एवं सरसों के तेल के पश्चात सबसे अधिक होने लगा है | सोयाबीन की खेती लगभग भारत के सभी राज्यों में की जाती है मुख्यतः मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उतरप्रदेश, तमिलनाडु में सोयाबीन की खेती की जाती है |
जलवायु एवं खेत की तैयारी:- सोयाबीन फसल के लिए शुष्क गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है, इसके बीजों का जमाव 25 डी०से० पर 4 दिन में हो जाता है, जबकि इससे कम तापमान होने पर बीजों के जमाव में 8 से 10 दिन लगता है । अत: सोयाबीन खेती के लिए 60-65 सेमी. वर्षा वाले स्थान उपयुक्त माने गये हैं।
सोयाबीन की खेती अधिक हल्कीरेतीली व हल्की भूमि को छोड्कर सभी प्रकार की भूमि में सफलतापूर्वक की जा सकती है परन्तु पानी के निकास वाली चिकनी दोमट भूमि सोयाबीन के लिए अधिक उपयुक्त होती है। जहां भी खेत में पानी रूकता हो वहां सोयाबीन ना लें।
उपयुक्त किस्मों का चयन:- राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान केंद्र एवं विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा अलग क्षेत्रों के लिए वहाँ की कृषि जलवायु एवं मिट्टी के लिए अलग किस्मों का विकास किया गया है एवं किस्में समर्थित की गई हैं। उसी के अनुसार सोयाबीन किस्में बोई जानी चाहिए। इन किस्मों का थोड़ा बीज लाकर अपने यहाँ ही इसे बढ़ाकर उपयोग में लाया जा सकता है।
सोयाबीन की अच्छी फसल के लिए इंदौर, धार, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, रतलाम, देवास, शाजापुर के किसान नीचे दी गई, उन्नत किस्मों से बेहतर खेती कर सकते है।
- जे एस 335
- जे एस 93-05
- परभनी सोना (ऍम ए यू एस 47)
- शक्ति (ऍम ए यू एस 81)
- प्रतिष्ठा (ऍम ए यू एस 61-2)
- अहिल्या 1(एन आर सी 2)
- अहिल्या 2 (एन आर सी 12)
- अहिल्या 3 (एन आर सी 7)
- अहिल्या 4 (एन आर सी 37)
- जे एस 80-21
- एम ए सी एस 58
- जे एस 90-41
- पंत सोयाबीन 1024
- पंत सोयाबीन 1029
- पी के 416
- पी के 472
- पूसा 16