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Weather Update: देश के विभिन्न हिस्सों में अगले कुछ दिनों तक मौसम में भारी बदलाव देखने को मिलेगा। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के ताजा पूर्वानुमान के अनुसार, 14 मई से लेकर 17 मई तक कई राज्यों में बारिश, गरज-चमक, तेज हवाएं और कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि की संभावना जताई गई है। ऐसे में देशभर के किसानों को सलाह दी जाती है कि वे फसलों की सुरक्षा के लिए जरूरी सावधानियां बरतें और मौसम अपडेट पर ध्यान दें।
अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में 14 से 17 मई तक मध्यम से भारी बारिश की संभावना है।
विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश में 14 मई को अति भारी वर्षा हो
सकती है। असम और मेघालय में भी इसी अवधि में भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। 14
मई को मेघालय के कुछ हिस्सों में अत्यंत भारी बारिश होने की आशंका
है।
कोकण और गोवा, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा और
गुजरात में 14 से 17 मई तक गरज-चमक के
साथ हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है। खासकर 14 मई को मध्य
महाराष्ट्र और मराठवाड़ा में तेज तूफानी हवाएं 50-60 किमी
प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकती हैं।
तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, रायलसीमा,
कर्नाटक, तमिलनाडु, पुड्डुचेरी
और केरल में 14 से 17 मई के दौरान तेज
हवाओं और गरज के साथ बारिश हो सकती है। तेलंगाना में 14 और 15
मई को कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि होने की संभावना है। केरल में 14,
18 और 19 मई को भारी बारिश का अनुमान है।
मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड
और ओडिशा में 14 से 17 मई के दौरान गरज
के साथ बारिश और तेज हवाएं चलने की संभावना है। 14 मई को
विदर्भ और छत्तीसगढ़ में, जबकि 15 और 16
मई को बिहार और गंगा-पश्चिम बंगाल में तूफानी हवाएं 60-70 किमी प्रति घंटा तक पहुँच सकती हैं। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 14
से 16 मई तक भारी बारिश हो सकती है।
राजस्थान के पूर्वी हिस्सों में 14 मई को,
और उत्तराखंड में 16 से 19 मई के बीच हल्की बारिश हो सकती है। साथ ही, अगले तीन
दिनों में उत्तर-पश्चिम भारत में अधिकतम तापमान में 2-4 डिग्री
सेल्सियस तक वृद्धि होने की संभावना है। गुजरात में अगले सात दिनों तक तापमान 3-5
डिग्री तक बढ़ सकता है।
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खेतों में जलभराव न होने दें, जल निकासी की समुचित व्यवस्था करें। जो फसलें कटाई के लिए तैयार हैं,
उन्हें तुरंत काट लें और सुरक्षित स्थान पर रख दें।
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आम, केला, अंगूर जैसे बागवानी फसलों में नुकसान की
संभावना है। फलों की तुड़ाई समय पर करें और पौधों को सहारा दें।
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ओलावृष्टि से बचाव के लिए
अस्थायी ढाँचे या नेट हाउस का उपयोग करें। पशुधन को सुरक्षित स्थान पर रखें और
बिजली कड़कने के समय खेतों में काम न करें।
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फसलों को तेज हवाओं से बचाने के
लिए बंधाई करें और खुले में रखे खाद्यान्न या मशीनरी को सुरक्षित स्थान पर रखें।
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गर्मी से बचाव के लिए खेतों में
हल्की सिंचाई करते रहें। पशुधन के लिए छाया और पर्याप्त पानी की व्यवस्था करें।
मौसम में इस बदलाव का सीधा असर फसलों और बागवानी उत्पादों पर पड़ेगा।
किसान भाईयों से अनुरोध है कि वे स्थानीय कृषि विभाग और मौसम विभाग की ताजा
जानकारी पर ध्यान देते रहें और फसल की सुरक्षा हेतु उपयुक्त कदम उठाएं। यह समय
सतर्क रहने का है, ताकि मौसम जनित नुकसान से बचा जा सके।
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