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किसानों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए अब केंद्र सरकार सख्त कदम उठाने जा रही है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बायोस्टिमुलेंट्स (Biostimulants) की बिना वैज्ञानिक प्रमाण के बिक्री पर नाराजगी जताई है। उन्होंने अधिकारियों से साफ कहा है कि अगर कोई उत्पाद वैज्ञानिक परीक्षणों में खरा नहीं उतरता, तो उसकी बिक्री की अनुमति नहीं दी जाएगी।
बायोस्टिमुलेंट्स ऐसे
पदार्थ होते हैं जिन्हें किसान बीज, पौधों या मिट्टी पर डालते हैं ताकि फसल की बढ़वार बेहतर हो।
लेकिन हाल के दिनों में बाजार में कई ऐसे उत्पाद बेचे जा रहे हैं जिनके लाभ को
साबित करने वाले कोई भी वैज्ञानिक आंकड़े नहीं हैं।
कृषि मंत्री ने एक
समीक्षा बैठक के दौरान यह मुद्दा उठाया और अधिकारियों से पूछा कि क्या कृषि
मंत्रालय और ICAR (भारतीय
कृषि अनुसंधान परिषद) किसानों के हित में काम कर रहे हैं या केवल निजी कंपनियों को
फायदा पहुंचा रहे हैं? उन्होंने कहा कि इस तरह के अनाधिकृत उत्पादों पर रोक लगाई जाएगी और जिम्मेदार
कंपनियों व निर्माताओं पर सख्त कार्रवाई होगी।
मौजूदा समय में सरकार
बायोस्टिमुलेंट्स को संशोधित उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985 (Fertiliser
Control Order) के तहत नियंत्रित करती
है। लेकिन कई कंपनियाँ इस नियम की अनदेखी कर रही हैं और बिना वैज्ञानिक परीक्षण के
अपने उत्पाद किसानों को बेच रही हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने
कहा कि अब ऐसे सभी उत्पादों को ICAR के माध्यम से वैज्ञानिक परीक्षण से गुजरना होगा। केवल वही
उत्पाद बाजार में बिकेंगे जो इन परीक्षणों में सफल साबित होंगे। उन्होंने
अधिकारियों को एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करने का निर्देश दिया है,
जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि बिना मंजूरी के कोई
उत्पाद किसान तक न पहुंचे।
यह सख्ती इसलिए भी की
जा रही है क्योंकि मई-जून के महीने में मंत्री ने देशभर में 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' के दौरान किसानों से मुलाकात की थी। इस दौरान किसानों ने
शिकायत की थी कि उन्हें ऐसे उत्पाद बेचे जा रहे हैं जिनसे कोई लाभ नहीं मिल रहा।
मंत्री ने कहा,
“जब मैंने किसानों की तकलीफें खुद
अपनी आँखों से देखीं, तो चुप नहीं बैठ सकता। अब मंत्रालय का काम सिर्फ नीति बनाना नहीं,
बल्कि किसानों की रक्षा करना भी है।”
यह कदम किसानों को
नकली या कमज़ोर उत्पादों से बचाने के लिए बेहद ज़रूरी है। अब बायोस्टिमुलेंट्स की
बिक्री तभी होगी जब वो वैज्ञानिक रूप से कारगर साबित हों। इससे किसानों को नुकसान
नहीं होगा और उन्हें उनके पैसे का पूरा फायदा मिलेगा।
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