निचला सुबनसिरी भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय ज़िरो है। निचला सुबांसिरी अरूणाचल प्रदेश का बहुत ही खूबसूरत जिला है। अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए यह लोकप्रिय है। यहां पर अनेक जंगल, नदियां और घाटियां हैं। इनके खूबसूरत दृश्य देखना पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। यह जंगल बहुत ही खूबसूरत हैं और इन जंगलों में पर्यटक वन्य जीवन के बेहतरीन दृश्य देख सकते हैं। यहां पर मुख्यत: धान की खेती की जाती है। धान की खेती के अलावा यहां बडे पैमाने पर मछली पालन भी किया जाता है। स्थानीय निवासियों को अपातानी नाम से जाना जाता है। यह प्रकृति के देवता की पूजा करते हैं। इन लोगों का मुख्य काम-धंधा कृषि, हस्त निर्मित वस्तुएं और हथकरघा उद्योग है। इनकी संस्कृति भी काफी रंग-बिरंगी है। पर्यटकों को इनकी संस्कृति बहुत पसंद आती है। वर्ष में यहां पर अनेक उत्सव भी मनाए जाते हैं। इन उत्सवों में म्याको, मुरूंग और ड्री प्रमुख हैं। पर्यटक चाहें तो इन उत्सवों में भाग भी ले सकते हैं।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

कीवी को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में कीवी के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

अरुणाचल प्रदेश आज की तारीख में ऑरगेनिक कीवी उगाने में अग्रणी है और इसकी मांग देश-विदेश सब जगह है।

अरुणाचल प्रदेश के कीवी को ऑरगेनिक उत्पाद का दर्जा कृषि मंत्रालय ने दिया है। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अरुणाचल के कीवी को मिशन ऑरगेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट फॉर नॉर्थ ईस्ट रीजन (एमओवीसीडी-एनईआर) के तहत सर्टिफिकेशन दिया गया है। ऐसा सर्टिफिकेशन पाने में अरुणाचल प्रदेश देश का इकलौता राज्य है। अरुणाचल प्रदेश की जीरो वैली कीवी उगाने के लिए मशहूर है। यहां के लोअर सुबनसिरी जिले के किसानों ने कीवी उत्पादन में बड़ी भूमिका निभाई है।

अरुणाचल में कीवी ने बदली अर्थव्यस्था की तस्वीर
किसी कृषि उत्पाद को ऑरगेनिक का सर्टिफिकेशन देने के लिए यह तय करना होता है कि उसमें किसी केमिकल का प्रयोग नहीं हुआ है। इसकी खेती में कीटनाशक का भी इस्तेमाल नहीं होता। इसके लिए एग्रिकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीईडीए) की ओर से गहन परीक्षण दिया जाता है और इसके बाद ही किसी उत्पाद को ऑरगेनिक का दर्जा दिया जाता है।

ऑरगेनिक सर्टिफिकेशन मिलने के बाद किसी उपज को अच्छी कीमत मिलती है। इसके साथ ही ऐसे उत्पादों को स्थानीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से पहुंच मिलती है। अरुणाचल प्रदेश में उगाई जाने वाली कीवी के साथ भी यही बात है। कीवी के चलते अरुणाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में अच्छी तेजी आई है। अरुणाचल प्रदेश में कीवी उगाने जाने की व्यापक संभावनाएं हैं और यहां का मौसम भी इसमें मदद करता है। आने वाले कुछ वर्षों में अरुणाचल प्रदेश की कीवी सबसे महत्वपूर्ण व्यावसायिक फलों की श्रेणी में दर्ज होने वाली है।

अरुणाचल में कीवी को अंतेरी कहा जाता है जो यहां की पहाड़ियों में उगाई जाती है।  इसे चीन का चमत्कारी फल और ‘हॉर्टिकल्चर वंडर ऑफ न्यूजीलैंड’ के नाम से भी जाना जाता है। देश में 50 फीसद कीवी अकेले अरुणाचल प्रदेश पैदा करता है। जबकि न्यूजीलैंड दुनिया का ऐसा देश है जो दुनिया का 70 फीसद उत्पादन अकेले करता है। अरुणाचल प्रदेश में साल 2000 में कीवी को व्यावसायिक फल का दर्जा मिला और इसकी खेती में सुधार आना शुरू हुआ। जीरो वैली के अलावा पश्चिमी कामेंग, लोअर दिबांग वैली, सी-योमी, कमले, पापुम पारे और पक्के किसांग जिले में इसकी खेती की जाती है।

कीवी के फायदे
सेहत के लिए रामबाण मानी जाने वाली कीवी कल तक इटली और न्यूजीलैंड से आयात की जाती थी लेकिन आज अरुणाचल समेत कई राज्य भारत में इसके उत्पादन में आगे आए हैं। मेघालय में इसकी खेती की जा रही है। कीवी के फायदे की बात करें तो इसमें संतरा से पांच गुना ज्यादा विटामिन-सी होता है। कीवी में विटामिंस, पोटेशियम, कॉपर और फाइबर ज्यादा मात्रा में पाए जाने के कारण इसे सुपर फ्रूट भी कहा जाता है. लगभग 70 ग्राम फ्रेश कीवी फ्रूट में विटामिन सी 50 फीसद, विटामिन के 1 फीसद, कैल्शियम 10 फीसद, फाइबर 8 फीसद, विटामिन ई 60 फीसद, पोटैशियम फीसद पाया जाता है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं जो शरीर को रोगों से बचाने का काम करते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।