इंटरनेशनल डेस्क। ये है कजाखस्तान में मौजूद बैकोनर कॉस्मोड्रोम, जिसे दुनिया के पहले और सबसे बड़े स्पेस लॉन्च कॉम्प्लेक्स के तौर पर जाना जाता है। अपने स्पेस प्रोग्राम के लिए सोवियत यूनियन ने 1950 में इसका निर्माण कराया था। पहला मानवयुक्त स्पेसक्राफ्ट वोस्टोक 1 और दुनिया की पहली ऑर्बिटल स्पेस फ्लाइट स्पुटनिक 1 को बैकोनर के ही एक पैड से लॉन्च किया गया था। 90 किमी उत्तर-पश्चिम में और 85 किमी उत्तर-दक्षिण में फैले इस सेन्टर का इस्तेमाल फिलहाल रूस कर रहा है।
कजाख सरकार ने इसे 2050 तक के लिए रूस को लीज पर दे रखा है। रूस की फेडरल स्पेस एजेंसी और रशियन एयरोस्पेस डिफेंस फोर्स इसका इस्तेमाल करती हैं। बैकोनर अब भी दुनिया के व्यस्त स्पेसपोर्ट में से एक है। यहां से बड़ी संख्या में कॉमर्शियल, मिलिट्री और साइंटिफिक मिशन के लिए लॉन्च होते रहते हैं। रूस की सभी स्पेसफ्लाइट्स बैकोनर से ही लॉन्च हो रही हैं।
(प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छह देशों के यात्रा पर हैं। इस दौरान उन्होंने कजाख्स्तान का भी दौरा किया। इस मौके पर हम यहां की कुछ खास जगहों के बारे में बता रहे हैं।)
बैकोनर का बुनियादी ढांचा - 9 लॉन्च कॉम्प्लेक्स में 15 लॉन्च पैड। - 4 लॉन्च पैड इंटरकॉन्टिनेन्टल बैलिस्टिक मिसाइलों को लिए। - फिटिंग के लिए 11 और प्रौद्योगिकी के लिए 34 टेक्निकल कॉम्प्लेक्स हैं, जिसका इस्तेमाल व्हिकल के लॉन्च से पहले उसके मेंटेनेंस के लिए होता है। - स्पेस व्हिकल के लिए 3 चार्जिंग स्टेशन और निष्क्रिय करने लिए स्टेशन। - फ्लाइट कंट्रोल कॉम्प्लेक्स। - ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के प्रोडक्शन प्लांट। - इलेक्ट्रिक पावर प्लांट। - 600 ट्रांसफॉर्मर सबस्टेशन। - फर्स्ट क्लास के एयरोड्रोम्स। - 470 किमी की रेलरोड। - 6610 किमी में फैली इलेट्रिक पावर लाइंस। - 2784 किमी की कम्युनिकेशन लाइंस।