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बागपत ज़िला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय बागपत है।

शहर को मूल रूप से ‘व्यग्रप्रस्थ’ के नाम से जाना जाता था – बाघों की भूमि (बाघों की आबादी की वजह से कई शताब्दियों पहले पाया गया था। कहानी के कई संस्करण हैं कि शहर ने इसका नाम कैसे अर्जित किया है। एक संस्करण बताता है कि शहर का मूल नाम था ‘व्यगतप्रस्थ’, जबकि एक अन्य संस्करण के अनुसार, शहर ने हिंदी शब्द ‘वक्षप्रसथ’ से अपना नाम प्राप्त किया है, जिसका अर्थ है भाषण देने की जगह। ऐसे शब्दों और संस्करणों से प्रेरित होकर शहर को आखिरकार ‘बागपत’ या ‘बाघपत’ नाम दिया गया। मुगल काल के दौरान 1857 के विद्रोह के बाद, शहर को महत्व मिले और इसे तहसील बागपत के मुख्यालयों के रूप में स्थापित किया गया था। शहर पहले छोटे शहर के रूप में था और मंडी के रूप में जाना जाने वाला एक छोटा वाणिज्यिक केंद्र था। यह मंडी अब 200 से अधिक है नजीब खान के रुहेला चीफ के बेटे जाबीता खान द्वारा स्थापित किया गया था और इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों की मुख्य व्यावसायिक गतिविधि गुड़ और शुगर बना रही है। इसके अलावा, जूते और कृषि उपकरणों के निर्माण में शामिल कुछ इकाइयां हैं।

सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए खेती-बाड़ी से जुड़े खाद्य उत्पादों को एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल किया  है। जिले के गुड़ को उत्पादों की सूची में जगह मिली है। जल्द ही योजना पर काम शुरू होने की संभावना है।

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत खेती-बाड़ी के 24 से अधिक उत्पादों को चिह्नित कर ओडीओपी में शामिल किया गया है। साल 2020-21 से 2024-25 तक इन उत्पादों को बढ़ावा देकर किसानों की आय में बढ़ोत्तरी का लक्ष्य तय किया गया है। योजन में इकाईयां संचालित की जाएगी, जिन पर सब्सिडी मिलेगी। किसानों को प्रशिक्षित कर बाजार उपलब्ध कराया जाएगा, जिससे उनके उत्पाद पर अधिक लाभ मिल सके।

जिले में करीब 300 कोल्हू उद्योग
बागपत जिले में करीब 300 कोल्हू संचालित है। एक कोल्हू पर 25-30 लोग काम करते हैं और संबंधित क्षेत्र के किसान निर्भर रहते हैं। योजना में गुड़ को शामिल कर लिए जाने से लाभ मिलेगा।
टीकरी और बड़का बनें कोल्हुओं के गांव
जिले में टीकरी और बड़का ऐसे गांव हैं, जहां बहुतायत में कोल्हू उद्योग लगे हुए हैं। टीकरी कसबे में कोल्हू उद्योग सबसे पुराना है।

कई राज्यों में गुड़ की सप्लाई
जिले में बनने वाले गुड़ की सप्लाई सबसे ज्यादा हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड और दिल्ली में होती है। हरियाणा में कोल्हू संचालक खुद गुड़ की बिक्री करने जाते हैं।