Kisaan Helpline
आज के समय में किसान
ऐसी फसलों की तलाश में रहते हैं जो कम पानी और कम खर्च में अच्छी आमदनी दे सकें।
ऐसी ही एक फसल है चिया सीड्स (Chia Seeds), जिसे सुपर फूड के नाम से भी जाना जाता है। यह फसल न केवल
सेहत के लिए बेहतरीन है बल्कि किसानों के लिए भी कमाई का अच्छा जरिया बन सकती है।
चिया सीड्स क्या हैं?
चिया (वैज्ञानिक नाम –
साल्विया हिस्पैनिका) पुदीना परिवार का पौधा है। इसका असली घर मेक्सिको और
ग्वाटेमाला है, लेकिन
अब भारत में भी इसकी खेती हो रही है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश में किसान इसे उगा रहे हैं।
चिया पौधे की ऊँचाई
करीब 1 से 1.5 मीटर तक होती है और इसके फूल सफेद या बैंगनी रंग के होते हैं। इसके
बीज बहुत छोटे होते हैं – भूरे, काले और सफेद रंग में। इन बीजों में ओमेगा-3,
ओमेगा-6 फैटी एसिड, प्रोटीन, फाइबर और कई तरह के विटामिन भरपूर मात्रा में होते हैं। यही
कारण है कि इसकी बाजार में मांग लगातार बढ़ रही है।
खेती के लिए मौसम और
मिट्टी
चिया की खेती ठंडे और
सूखे मौसम में अच्छी होती है। इसके लिए 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे
बढ़िया रहता है। यह फसल सूखा सहन कर सकती है, इसलिए अर्ध-शुष्क इलाकों में भी उगाई जा सकती है।
मिट्टी हल्की से मध्यम
भुरभुरी होनी चाहिए और उसमें पानी निकासी की सुविधा अच्छी हो। इसका पीएच मान 6 से
8.5 के बीच होना चाहिए।
बुआई का सही समय और
तरीका
भारत में चिया की बुआई
अक्टूबर के पहले हफ्ते से नवंबर के पहले हफ्ते के बीच करना सबसे अच्छा रहता है।
·
बीज
की मात्रा: 5–6 किलो प्रति
हेक्टेयर
·
कतार
से कतार की दूरी: 30–45 सेंटीमीटर
·
खाद: 10–12 टन गोबर की खाद, 50–60 किलो नाइट्रोजन, 40–45 किलो फॉस्फोरस, 30–40 किलो पोटाश और 40–50 किलो टाटा स्टील धुर्वी गोल्ड
प्रति हेक्टेयर
सिंचाई और देखभाल
·
चिया
को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। 3–5 सिंचाई पर्याप्त रहती है (मौसम और मिट्टी
के अनुसार)।
·
बुआई
के 45 दिन बाद एक-दो बार निराई-गुड़ाई करके खेत को खरपतवार से साफ रखना जरूरी है,
इससे उपज बढ़ती है।
बीमारियाँ और नियंत्रण
·
चिया
में ज्यादातर वायरल बीमारियाँ लगती हैं जो सफेद मक्खियों से फैलती हैं।
·
नियंत्रण
के लिए जैविक कीटनाशक, गोमूत्र या नीम आधारित दवाओं का छिड़काव किया जा सकता है।
कटाई और उपज
·
फसल
तैयार होने में 120–140 दिन लगते हैं। जब पौधों की बालियाँ सूखने लगें तो हंसिये
से कटाई की जाती है।
·
एक
हेक्टेयर में औसतन 6–10 क्विंटल तक उपज मिल सकती है।
बाजार और मुनाफा
चिया सीड्स की कीमत
बाजार में काफी अच्छी रहती है क्योंकि इसकी मांग देश और विदेश दोनों जगह है। इसका
उपयोग हेल्थ सप्लीमेंट, एनर्जी ड्रिंक, बेकरी प्रोडक्ट, सौंदर्य प्रसाधन और यहां तक कि बायो-एनर्जी बनाने में भी होता है।
कम पानी, कम लागत और अधिक मुनाफा – चिया सीड्स की खेती किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प है। आने वाले समय में इसकी मांग और भी बढ़ने की संभावना है, इसलिए यह फसल किसानों को नई आर्थिक मजबूती दे सकती है।