Stevia स्टीविया
Basic Info
Stevia (स्टीविया): सामान्य चीनी की तुलना में स्टीविया की पत्तियां 30 गुना ज्यादा मीठी होती हैं। स्टेविया रेबायोडायसाइड-ए का सार सामान्य चीनी की तुलना में लगभग 300-400 गुना अधिक मीठा होता है। स्टेविया की मिठास भी लंबे समय से समझ में आ रही है। इसकी मिठास के कारण इसे "हनी प्लांट" भी कहा जाता है। स्टीविया से तैयार दवाइयों का प्रयोग मधुमेह, दांतों की कैविटी, टॉनिक और भोजन में से कैलोरी कम करना आदि इलाज के लिए किया जाता है। भारत में स्टीविया मुख्य उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, और कर्नाटक आदि हैं।
स्टीविया की पत्तियों में 2 पदार्थ होते हैं।
1. स्टेविओसाइड (10% -20%) और भी
2. रेबायोडायसाइड-ए (1-3%) स्टेविओसाइड 100 डिग्री सेल्सियस पर स्थिर होता है यह विभिन्न अन्य स्वीटनर पर स्टीविओसाइड का प्रमुख लाभ है।
Seed Specification
बुवाई का समय
स्टीविया वर्ष भर में कभी लगाई जा सकती है लेकिन उचित समय फरवरी-मार्च का महीना है।
दुरी
नए पौधों में 18 इंच का फासला और पंक्ति के बीच का फासला 20-24 इंच रखें|
बुवाई का तरीका
तापमान और लम्बे दिनों का फसल के उत्पादन पर अधिक प्रभाव पड़ता होता है स्टीविया के पौधों का रोपाई मेड़ों पर किया जाता है इसके लिए 15 सेमी 0 ऊचाई के 2 फीट चोड़ें मेंड बना लिये जाते है और उन पर कतार से कतार की दूरी 40 सेमी. और पौधों में पौधें की दूरी 20-25 सेमी. रखते हुए दो मेड़ों के बीच 1.5 फीट की जगह गली या रास्ते के रूप में छोङ देते है।
बीज की मात्रा
नए पौधों की रोपाई, 30000 बीजों को एक एकड़ खेत में डालें।
Land Preparation & Soil Health
अनुकूल जलवायु
स्टीविया की खेती भारतवर्ष में पूरे साल भर में कभी भी करायी जा सकती है, इसके लिये अर्धआद्र एवं अर्ध सस्ते किस्म की जलवायु काफी उपयुक्त पायी जाती है ऐसे क्षेत्र जहाँ पर न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे चला जाता है। वहाँ पर इसकी खेती नहीं कर रही जा सकती है, 11 सेन्टीग्रेड तक के तापमान में इसकी खेती की सफलता पूर्वक की जा सकती है।
भूमि
स्टीविया की सफल खेती के लिए उचित जल निकास वाली रेतीली दोमट भूमि जिसका पी.एच. मान 6 से उपयुक्त के मध्य हो, उपयुक्त पायी गयी है जल भराव वाली या क्षारीय भूमि में स्टीविया की खेती नहीं की जा सकती है।
खेत की तैयारी
स्टीविया की खेती के लिए रोपाई से पूर्व खेत की 2-3 बार अच्छी गहरी जुताई करना चाहिए। अंतिम जुताई से पूर्व भूमि में खाद डालने के बाद जुताई कर भुरभुरा बना लेना चाहिए और खेत में खरपतवार नहीं होनी चाहिए।
Crop Spray & fertilizer Specification
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
क्योकि स्टीविया की पत्तियों का मनुष्य द्वारा सीधे उपभोग किया जाता है, इस कारण इसकी खेती में किसी भी प्रकार की रसायनिक खाद या कीटनाशी का प्रयोग नहीं करते है एक एकङ में इसकी फसल को तत्व के रूप में नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश की मात्रा क्रमश: 110 : 45: 45 किग्रा की आवश्यकता होती है इसकी पूर्ति के लिये 70-80 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट या 200 क्विंटल सङी गोबर की खाद पर्याप्त रहती है।
रोग एवं कीट नियंत्रण
सामान्यत- स्टीविया की फसल में किसी भी प्रकार का रोग या कीङा नहीं लगता है कभी-कभी पत्तियों पर धब्बे पङ जाते है जो कि बोरान तत्व की कमी के लक्षण है इसके नियंत्रण के लिये 6 प्रतिशत बोरेक्स का छिङकाव किया जा सकता है कीङो की रोकथाम के लिये नीम के तेल को पानी में घोलकर स्प्रे किया जा सकता है।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
सिंचाई के पश्चात खेत की निराई खेत की निराई- गुङाई करनी चाहिये। जिससे भूमि भुरभुरी तथा खरपतवार रहित हो जाती है जो कि पौधों में वृद्धि के लिये लाभदायक होता है।
सिंचाई
स्टीविया की फसल सूखा सहन नहीं कर पाती है इसको लगातार पानी की आवश्यकता होती है सर्दी के मौसम में 10 दिन के अन्तराल पर तथा गर्मियों में प्रति सप्ताह सिंचाई करनी चाहिये वैसे स्टीविया भी फसल में सिंचाई करने का सबसे उपयुक्त साधन स्प्रिंकलरर्स या ड्रिप है।
Harvesting & Storage
कटाई
फूलों को तोडना - क्योंकि स्टीविया की पत्तियों में ही स्टीवियोसाइड पाये जाते है इसलिये पत्तों की मात्रा बढायी जानी चाहिये तथा समय-समय पर फूलों को तोङ देना चाहिये अगर पौधे पर दो दिन फूल लगे रहें तथा उनको न तोङा जाये तो पत्तियों में स्टीवियोसाइड की मात्रा में 50 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है फूलों की तुङाई, पौधों को खेत के रोपाई के 30, 45, 60, 75 एवं 90 दिन के पश्चात एवं प्रथम कटाई के समय की जानी चाहिये। फसल की पहली कटाई के पश्चात 40, 60 एवं 80 दिनों पर फूलों को तोड़ने की आवश्यकता होती है फसल की कटाई- स्टीविया की पहली कटाई पौधें रोपने के लगभग 4 महीने पश्चात की जाती है तथा शेष कटाईयां 90-90 दिन के अन्तराल पर की जाती है इस प्रकार वर्ष भर में 3-4 कटाईया तीन वर्ष तक ही ली जाती है, इसके बाद पत्तियों के स्टीवियोसाइड की मात्रा घट जाती है कटाई में सम्पूर्ण पौधे को जमीन से 6-7 सेमी ऊपर से काट लिया जाता है तथा इसके पश्चात पत्तियों को टहंनियों से तोड़कर धूप में अथवा ड्रायर द्वारा सूखा लेते है तत्पश्चात सूखी पत्तियों को ठङे स्थान में शीशे के जार या एयर टाईट पोलीथीन पैक में भर देते है।
उपज
वर्ष भर में स्टीविया की 3-4 कटाईयों में लगभग 70 क्विंटल से 100 क्विंटल सूखे पत्ते प्राप्त होते है।
लाभ
वैसे तो स्टीविया की पत्तियों का अन्तर्राष्ट्रीय बाजार भाव लगभग रू० 300-400 प्रति किग्रा है लेकिन अगर स्टीविया की बिक्री दर रू० 100/प्रति किग्रा मानी जाये तो प्रथम में एक एकङ में भूमि से 5 से 6 लाख की कुल आमदनी होती है, तथा आगामी सालों में यह लाभ अधिक होता है कुल आमदनी होती है, तथा आगामी सालों में यह लाभ अधिक होता है कुल तीन वर्षो में लगभग 1 एकङ से 5-6 लाख का शुद्ध लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
Crop Related Disease
Description:
सेप्टोरिया लीफ स्पॉट फंगस सेप्टोरिया स्टीविया के कारण होता है। सेप्टोरिया स्टेविया संक्रमण ग्रीनहाउस उत्पादन में शुरू हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप खेत में इनोकुलम की शुरूआत हो जाती है। जब स्टेविया को बारहमासी के रूप में उगाया जाता है, तो इनोकुलम पौधे के मलबे में ओवरविन्टर करने में सक्षम होता है और स्टीविया के पौधों को फिर से संक्रमित करता है क्योंकि अगले सीजन में नए तने निकलते हैं। जैसे-जैसे घाव बनते हैं, पाइक्निडिया कोनिडिया छोड़ते हैं जो पूरे मौसम में बारिश के छींटे के माध्यम से फैल सकता है जिससे रोगज़नक़ छतरी तक जा सकता है। रात के ठंडे तापमान के साथ अधिक बारिश होने की अवधि में रोग सबसे तेजी से फैलता है।Organic Solution:
प्रतिरोधी जर्मप्लाज्म इस समय व्यावसायिक रूप से उपलब्ध नहीं है। नए क्षेत्रों में प्रवेश करने वाले इनोकुलम को कम करने के लिए ग्रीनहाउस उत्पादन में स्वच्छता इस समय सेप्टोरिया लीफ स्पॉट के प्रसार को सीमित करने का सबसे अच्छा तरीका है। क्षेत्र अनुसंधान से पता चला है कि सितंबर में कटाई, पर्यावरणीय परिस्थितियों के रोग की प्रगति के लिए अत्यधिक अनुकूल होने से पहले, अक्टूबर की फसल की तुलना में अधिक पैदावार हो सकती है।Chemical Solution:
स्टीविया एक नई फसल है और इस समय सेप्टोरिया लीफ स्पॉट के प्रबंधन के लिए लेबल किए गए कोई उत्पाद नहीं हैं। स्टेविया उत्पादन में एस. स्टेविया नियंत्रण के लिए लेबल स्थापित करने में सहायता के लिए प्रभावकारिता क्षेत्र परीक्षण आयोजित किए गए हैं।Stevia स्टीविया Crop Types
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Frequently Asked Questions
Q1: स्टीविया (Stevia Plant) का पौधा भारत में किसे कहा जाता है?
Ans:
स्टीविया (Stevia Plant) को कभी-कभी भारतीय काश्तकारों द्वारा मीठी तुलसी के रूप में जाना जाता है। इसकी मिठास, जो अक्सर चीनी से 300 गुना अधिक होती है, स्टीविया ग्लाइकोसाइड नामक यौगिकों के एक वर्ग से आती है।Q3: आप स्टीविया (Stevia) की कटाई कैसे करते हैं ताकि यह बढ़ता रहे?
Ans:
मुख्यतह पत्तियों को प्लांट से हटा दें और पत्तियों का उपयोग ताजा चाय या तरल निकालने के लिए करें। आप पत्तियों को तनों और बंडलों को बांधकर और पत्तियों के सूखने तक एक शांत, अंधेरी जगह में लटकाकर भी सुखा सकते हैं।Q2: स्टीविया (Stevia) सबसे अच्छा कहाँ बढ़ता है?
Ans:
स्टीविया (Stevia) ज्यादातर जड़ी बूटियों के रूप में उगाया जाता है, लेकिन दक्षिणी कनाडा से अमेरिकी दक्षिण तक के मौसम में इसे सफलतापूर्वक उगाया गया है। स्टीविया यूएसडीए प्लांट हार्डीनेस ज़ोन 11 और ऊपर में हार्डी है, और अम्लीय, अच्छी तरह से सूखा मिट्टी के साथ अर्ध-नम स्थानों में सबसे अच्छा करता है।