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Guggal (गुग्गल)

Basic Info

गुग्गल एक औषधीय गुणों से भरपूर झाड़ीनुमा पेड़ है। यह एक से तिन मीटर ऊँचा, झाड़ीनुमा पौधा है जिसकी शाखाएँ कंटीली होती है। इसके तने से राख रंग के बाहरी छल से खुदरी पपड़ियाँ निकलती है तथा फूल भूरे लाल रंग और फल मांसल लंबगोल (डूप) होते हैं जो पकने पर लाल हो जाते हैं इसके अतुलनीय औषधीय गुणों को ध्यान में रखते हुए अनेक दवा निर्यातक कंपनियों ने गुग्गल गोंद का उपयोग कई व्याधियों के उपचार हेतु किया हैं। गुग्गल या गुगल का पौधा भारत में राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, आसाम, सिलहट, बंगाल, मैसूर आदि स्थानों पर जंगलो में प्राकतिक रूप में पाया जाता है। गुग्गल का पौधा जंगल में झाडियों के रूप में पाया जाता है

Seed Specification

बुवाई का समय 
गुग्गल के पौधे की रोपाई के लिए जुलाई से सितम्बर के बिच का समय उपयुक्त होता है।

बुवाई का तरीका 
गुग्गल के पौधे बीज और कलम दोनों माध्यम से लगाए जाते हैं, लेकिन कलम के माध्यम से लगाना सबसे उपयुक्त होता है।

दुरी 
गुग्गल के पौधे रोपण 2x2 मीटर की दुरी पर 45x45x45 से.मी. गहरे गड्ढे में पौधे लगाने चाहिए।

बीज की मात्रा
एक एकड में लगभग दो हजार पौधै रोपित किये जाते हैं।

Land Preparation & Soil Health

अनुकूल जलवायु
गुग्‍गल उगाने के लिए उष्‍णकटिबंधीय,कम वर्षा वाले तथा शुष्‍क जलवायु वाले क्षेत्र उपयुक्‍त होते हैं। इसके पौधे को 3 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान एवं 10 से 90 मिमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रो में आसानी से उगाया जा सकता हैं।

भूमि का चयन
गुग्गल की खेती के लिए रेतीली, पहाडी मिट्टी जिसमें जल निकास अच्‍छा हो, इसके लिए बहुत उपयुक्‍त है। यह शुष्‍क स्‍थानों में भी अच्‍छी वृद्धि करता है इसलिए असिंचित क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है। गुग्‍गल भू छरण या पडती भूमि के विकास हेतु उपयुक्‍त है।

खेत की तैयारी
गग्गल के पौधों की रोपाई से पहले खेत की 2-3 बार अच्छी गहरी जुताई करके, खेत को समतल और खरपतवार मुक्त कर देना चाहिए। और इसके बाद गड्ढो की खुदाई करें।

Crop Spray & fertilizer Specification

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
खेत तैयारी के समय अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद 5 टन प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिला देना चाहिए। तथा रासायनिक उर्वरक मिट्टी परिक्षण आधार पर आवश्यकतानुसार देना चाहिए।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण 
खरपतवार की रोकथाम के लिए समय-समय पर आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई कर सकते हैं।

सिंचाई
गुग्गल के पौधों की रोपाई तुरंत बाद सिंचाई कर देना चाहिए। पौधे रोपित करने के प्रथम वर्ष में एक डेढ माह के अंतर से पानी देना चाहिए। इसके बाद सामान्‍यत: सिंचाई की आवश्‍यकता नही पडती।

Harvesting & Storage

गुग्गल निकालने की विधि
गुग्‍गल के पौधों से पहली उपज करीब 8 वर्ष बाइ प्राप्‍त होती है। इसके मुख्‍य तने को छोडकर इसकी शाखाओं में चीरा लगाकर सफेद दूध या गोंद प्राप्‍त किया जाता है।

उत्पादन 
एक पेड की छंटाई से शुरूआत में सोलवेंट प्रोसेस के द्वारा 600 ग्राम से एक किलोग्राम तक शुद्ध गुग्‍गल प्राप्‍त होता है। जिसकी मात्रा हर कटाई के बाद,पेड की उम्र के साथ लगातार बढती रहती है।

Crop Related Disease

Description:
पत्ती स्पॉट पत्ती तुषार आमतौर पर गुगुल खेती में रोग पाए जाते हैं। कवक बड़ी संख्या में एसरवुली पैदा करता है जिसमें लघु, हाइलिन कोनिडियोफोरस होते हैं और रंगीन सेटे को ब्लॉक करें। कोनिडिया सिंगल सेल, हाइलाइन और फाल्केट हैं। कवक खेत में संक्रमित पौधे के मलबे में रहता है। प्राथमिक संक्रमण है मृदा जनित कोनिडिया के माध्यम से, वर्षा जल के छींटे या छींटे सिंचाई द्वारा फैलता है। माध्यमिक क्षेत्र में फैला हुआ वायुजनित कोनिडिया द्वारा सहायता प्राप्त है।
Organic Solution:
फसल को बढ़ावा देने के लिए नीम केक @ 40 किग्रा/एकड़ का उपयोग केवल नेमाटोड प्रभावित क्षेत्र में सुनिश्चित नमी की स्थिति में करें|
Chemical Solution:
इन बीमारियोंको नियंत्रित करने के लिए, 1 लीटर पानी में 0.1 ग्राम एग्रोमाइसिन के साथ ब्लीटॉक्स 4 ग्राम के साथ गुग्गुल फसल का छिड़काव करें।

Guggal (गुग्गल) Crop Types

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