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भारत में अनाज, खासकर गेहूं की खपत को लेकर नए आंकड़े सामने आए हैं और ये आंकड़े कई लोगों को हैरान कर सकते हैं। पिछले एक दशक में देश के ग्रामीण और शहरी—दोनों क्षेत्रों में अनाज के उपभोग में लगातार कमी देखी गई है।
नीचे पढ़िए—क्या बदल रहा है, कहाँ खपत घट रही है और कौन से राज्य अब भी ज्यादा गेहूं खा रहे हैं…
2011-12 से 2022-23 के बीच ग्रामीण इलाकों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 53.5 ग्राम, जबकि शहरों में 41.1 ग्राम कम अनाज खाया जा रहा है।
मोटे अनाज और चावल की खपत सबसे ज्यादा गिरी है।
गेहूं की खपत में थोड़ी कमी जरूर आई है, लेकिन कुल मिलाकर इसका रुझान अभी भी स्थिर माना जा रहा है।
बदलती जीवनशैली, प्रोसेस्ड फूड्स का बढ़ता चलन और खानपान की आदतों में बदलाव इस गिरावट के मुख्य कारण माने जा रहे हैं।
2025 के अनुमानों के अनुसार—
भारत रोजाना करीब 261 मिलियन किलो गेहूं की खपत करता है।
प्रति व्यक्ति गेहूं खपत लगभग 66.7 किलो प्रति वर्ष है।
इस खपत में से 50% से अधिक सिर्फ 11 राज्यों में होती है
राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र इसमें सबसे आगे हैं।
नए आंकड़ों के मुताबिक-
राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब देश में सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति गेहूं खाने वाले राज्य हैं।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि गुजरात अकेला ऐसा राज्य है जहां ग्रामीण और शहरी दोनों जगह गेहूं की खपत बढ़ी है।
बाकी राज्य गेहूं की खपत में हल्की या बड़ी गिरावट दिखा रहे हैं।
अनाज की बदलती खपत बताती है कि भारत का खाद्य पैटर्न तेजी से बदल रहा है। इससे फसल उत्पादन, बाजार मांग और कृषि योजनाओं पर बड़ा असर पड़ेगा।
आने वाले समय में खेती को भी इन बदलते रुझानों के हिसाब से ढलना होगा ताकि किसान सही फसलों का चयन करके बेहतर मुनाफ़ा कमा सकें।
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