मिट्टी परीक्षण : जानें खेत की मिट्टी जाँच के लिए मिट्टी का नमूना लेने का सही तरीका
मिट्टी परीक्षण : जानें खेत की मिट्टी जाँच के लिए मिट्टी का नमूना लेने का सही तरीका
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Soil Testing: खेत की मिट्टी में पौधों की उचित वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की उपलब्ध मात्रा का आकलन करने के लिए मिट्टी में पीएच, मिट्टी की चालकता, उपलब्ध नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्नीशियम और सल्फर जैसे रासायनिक परीक्षणों द्वारा। सूक्ष्म पोषक तत्वों (बोरान, तांबा, लोहा, मैंगनीज और मोलिब्डेनम) की मात्रा और उपलब्धता को मृदा परीक्षण कहा जाता है।

मिट्टी का नमूना लेने का तरीका- मिट्टी की जांच के लिए सबसे जरूरी है मिट्टी का सही नमूना इकट्ठा करना।
  1. नमूना लेने से पहले खेत में ली गई फसल की वृद्धि समान होनी चाहिए।
  2. उसमें एक समान उर्वरक उपयोग किये गये हों।
  3. जमीन समतल व एक ही हो तो ऐसी स्थिति में पूरे खेत से एक ही संयुक्त या प्रतिनिधि नमूना ले सकते हैं।
  4. फसल बोने या रोपाई करने के पूर्व, खाद व उर्वरकों के प्रयोग से पहले।
  5. यदि आवश्यक हो तो खड़ी फसल की पंक्तियों के बीच से नमूने लेकर परीक्षण के लिए भेजे जा सकते हैं।
  6. साल में एक बार या एक फसल चक्र पूरा होने के बाद मिट्टी की जांच अवश्य करवाएं।
सामान्यतः फसल बोने के एक माह पूर्व नमूना परीक्षण के लिए भेज देना चाहिए ताकि समय पर परिणाम प्राप्त हो सके तथा संस्तुति के अनुसार खाद उर्वरकों का प्रयोग किया जा सके।

नमूना एकत्रीकरण हेतु आवश्यक सामग्री- गेती, खुरपी, फावड़ा, तगारी, कपड़े एवं प्लास्टिक की थैलियां, पेन, धागा, सूचना पत्रक कार्ड आदि।

नमूना एकत्रीकरण का तरीका-
  1. उस खेत का चयन करें जिसमें नमूना लेना है और ध्यान रहे कि क्षेत्रफल 4 एकड़ से अधिक न हो, यदि क्षेत्रफल बड़ा हो तो 2 नमूने तैयार करें।
  2. जिस खेत में नमूना लिया जाना है, वहाँ टेढ़े-मेढ़े तरीके से घुमाते हुए 8-10 स्थानों पर निशान बना लें और मेड़ के चारों ओर लगभग 10 फुट जगह छोड़ दें, ताकि खेत के सभी हिस्से इसमें शामिल हो सकें।
  3. चयनित स्थानों पर ऊपरी सतह से खरपतवार, कचरा आदि हटा दें।
  4. इन सभी स्थानों पर 16 सेमी. (6-7 इंच) और रोपण फसलों के लिए 30 सेमी. (11-12 इंच) या 1 मीटर गहरा V आकार का गड्ढा खोदें। गड्ढे को साफ करने के बाद खुर के साथ एक तरफ ऊपर से नीचे की ओर 2 सेमी. मिट्टी की मोटी परत हटाकर साफ बाल्टी या ट्रे में रख दें।
  5. एकत्रित की गई पूरी मिट्टी को हाथ से अच्छी तरह मिला लें तथा साफ कपड़े पर डालकर गोल ढेर बना लें। अंगुली से ढेर को चार बराबर भागों की मिट्टी अलग हटा दें। अब शेष दो भागों की मिट्टी पुनः अच्छी तरह से मिला लें व गोल बनायें। यह प्रक्रिया तब तक दोहरायें जब तक लगभग आधा किलो मिट्टी शेष रह जाये।
  6. सूखी हुई मिट्टी के नमूने को साफ प्लास्टिक की थैली में डालकर कपड़े की थैली में रख दें। नमूने के साथ एक सूचना पत्र को बांध दें जिस पर प्लास्टिक की थैली के अंदर और कपड़े की थैली के बाहर सारी जानकारी लिखी हो।
  7. अब इन तैयार नमूनों को मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में भेजें।
  8. लवण प्रभावित भूमि से मिट्टी का नमूना लेने के लिए 90 सेमी. गहरा गड्ढा खोदकर उसे एक तरफ से समतल कर लें। फिर वहां से 0-15 सें.मी., 15-30 सें.मी., 30-60 सें.मी. ऊपर से नीचे की ओर। और 60-90 सेमी. एम। परतों से आधा किलो मिट्टी खुरच कर अलग-अलग थैलियों में रखकर परतों की गहराई लिखकर उस स्थान का भू-जल स्तर, सिंचाई के स्रोत आदि भी सूचना पत्रक में लिखकर मिट्टी के नमूने भेंजे। परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में।
  9. फलदार पौधे लगाने के लिये 1-2 मी. तक नमूना लेना चाहिये क्योंकि वृक्ष जमीन की गहराई की परतों से अपना पोषण प्राप्त करते हैं। साथ ही जमीन में कैल्शियम कार्बोनेट की मात्रा फलदार पौधों की बढ़वार के लिये महत्वपूर्ण होती है। 2 मी. के गढ़े में एक तरफ सपाट करके 15, 30, 60, 90, 120, 150 एवं 180 से.मी. की गहराई पर निशान बनाकर अलग-अलग परतों से अलग-अलग मिट्टी नमूना (1/2 किलो) एकत्र करें। सूचना पत्रक में अन्य जानकारियों के साथ परतों की गहराई भी लिखें।