जानिए केंचुए की खाद बनाने का आसान तरीका, उपयोग और महत्व के बारे में
जानिए केंचुए की खाद बनाने का आसान तरीका, उपयोग और महत्व के बारे में
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एक विशिष्ट प्रजाति के केंचुएँ जो गोबर, पेड़-पौधों के अवशेष, सब्जियों के अवशेष एवं कार्बनिक पदार्थों को खाकर मल द्वारा चाय की पत्ती जैसा काले-भूरे रंग का पदार्थ निकालते हैं, जिसे केंचुएँ की खाद या वर्मी कम्पोस्ट कहते है।

केंचुएँ की प्रजाति किसान बन्धुओं को केंचुएँ की उस प्रजाति का चुनाव करना चाहिए जो 90 प्रतिशत गोबर तथा कार्बनिक पदार्थों को एवं 10 प्रतिशत मृदा को खाते हैं। इनमें प्रमुख "एसिनिया फाटिडा" प्रजाति है।

केंचुए की खाद बनाने की विधि क्या है ?
  1. किसान बन्धुओं, सबसे पहले 6-8 फीट ऊँचाई का शेड तैयार कर लें। यदि बहुत सघन वृक्ष हो तो वह भी उपयुक्त है ताकि उपयुक्त तापमान व छाया रखी जा सकें।
  2. केंचुएँ के बेड को जमीन की सतह के बराबर ही 10 फीट लम्बा 3 फीट चौड़ा तथा 1 से 1.5 फीट ऊँचा बेड बना लेते है। बेड की लम्बाई अपनी सुविधानुसार रख सकते है।
  3. इसके बाद बेड की सतह को गीला करने के बाद 2-3 इंच घास-फूस पत्ते रख देते है। व
  4. तत्पश्चात् बेड में सड़े-गले कार्बनिक पदार्थ, 10-15 दिन पुराना गोवर बेड में 1-1.5 फीट की ऊँचाई तक डाल देते है।
तैयार बेड में केंचुएँ छोड़ने का उपयुक्त समय
  1. बेड को कार्बनिक पदार्थों एवं गोबर से भरने के बाद 5-6 दिन तक दिन में एक बार पानी का छिड़काव करते रहें।
  2. इसके बाद 2 दिन के अन्तराल पर पंजे की सहायता से उलट-पुलट करते है, जिससे गोबर से निकलने वाली गैस बाहर निकल जाये और गोबर का तापमान कम हो जावें।
  3. 5-6 दिन बाद तापमान देखने के लिए कचरे व गोबर के ढेर में हाथ डालने पर गर्मी महसूस नहीं होनी चाहिए। इस समय केंचुओं को छोड़ने का उपयुक्त समय होता है।
  4. तैयार बेड 10x3x1.5 फीट में 3 किलो 'एसिनिया फाटिडा' प्रजाति का केंचुआ छोड़ देवें।

बेड में केंचुए छोड़ने के बाद बेड की देखभाल एवं संभाल 
  1. बेड में केंचुएँ छोड़ने के बाद बेड को केले के पत्ते या जूट की बोरी से ढक देना चाहिए क्योंकि केंचुएँ अंधेरे में अधिक क्रियाशील रहते हैं।
  2. बेड की नमी (30-35 प्रतिशत) बनाये रखने के लिए सर्दियों में एक बार तथा गर्मियों में दो बार प्रतिदिन पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए।
  3. लगभग 45-50 दिनों के अंदर गोबर एवं कार्बनिक अवशेषों को केंचुएँ, केंचुएँ खाद में परिवर्तित कर देते हैं।
  4. तैयार वर्मी कम्पोस्ट बेड पर पानी छिड़कना बंद कर देते हैं जैसे-जैसे ढेर सूखता जाता हैं, केंचुए नमी की तरफ नीचे चले जाते हैं और आप ऊपर से वर्मी कम्पोस्ट खाद उतारते रहें। अन्त में थोड़ी सी खाद की मात्रा के साथ केंचुए शेष रह जाते है। यदि किसान बन्धुओं द्वारा उसी बेड के पास नई बेड तैयार कर रखे है तो केंचुए उपयुक्त वातावरण एवं नमी पाकर अपने आप नई बेड में चले जाते (shift) हैं। 
  5. 10x3x1.5 फीट बेड से 2.5-3.5 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार हो जाता है।

केंचुएँ खाद में पाये जाने वाले पोषक तत्व
किसान बन्धुओं, केंचुएँ की खाद में शुद्ध कार्बनिक मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्व संतुलित मात्रा में पाये जाते हैं, जैसे-
क्र.स. - मानक  - मात्रा
1.  pH   - 6.8-7.3
2. EC (mmhos/cm) - 11.70
3. Total Nitrogen - 0.50-10%
4. Phosphorus - 0.15-0.56%
5. Potassium - 0.06-0.30%
6. Calcium - 2.0-4.0%
7. Sodium - 0.02%
8.  Magnisium - 0.46% 
9. Iron - 7563 PPM
10. Zinc - 278 PPM
11. Mangnese  - 475PPM
12. Copper - 27 PPM
13. Boron - 34 PPM
14. Aluminium - 7012 PPM

केंचुए की खाद का खेती के उपयोग
  • केंचुएँ की खाद में असंख्य लाभदायक सूक्ष्म जीवाणु होते हैं जो मिट्टी में पाये जाने वाले जीवाणुओं को सक्रिय कर मिट्टी की उर्वराशक्ति को बढ़ाते है।
  • केंचुएँ की खाद टिकाऊ खेती के लिए लाभदायक है।
  • केंचुएँ की खाद से मिट्टी में वायु संचार तथा जलधारण की क्षमता में वृद्धि होती है।
  • केंचुएँ की खाद से खेती में हयूमस की मात्रा में वृद्धि होती है। 
  • केंचुए की खाद के उपयोग से मिट्टी की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक गुणवत्ता में सुधार होता है।
  • केंचुएँ की खाद के उपयोग से जल के वाष्पीकरण में कमी आती है।
केंचुए की खाद प्रयोग की विधि
  1. फसल लगाते समय केंचुए की खाद 2.5-3.0 टन प्रति हैक्टेयर की दर से मिट्टी में मिलाना चाहिए।
  2. पेड़ों के लिए केंचुएँ की खाद 1.0-100 किलो प्रति पेड़ अवस्था के अनुसार डालना चाहिए।
  3. फूल वाले पौधों में केंचुआ खाद 50-100 ग्राम प्रति वर्गफीट के हिसाब से डालना चाहिए। 
  4. किचन गार्डन के गमलों के लिए 100 ग्राम केंचुआ खाद प्रति गमला डालना चाहिए।
  5. सब्जी वाली फसलों के लिए केंचुआ खाद 5-8 टन प्रति हैक्टेयर की दर से खेत में मिलाना चाहिए।