जानिए मिट्टी परिक्षण के लिए मिट्टी का नमूना लेने का सही तरीका और सावधानियों के बारे में
जानिए मिट्टी परिक्षण के लिए मिट्टी का नमूना लेने का सही तरीका और सावधानियों के बारे में
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मृदा परीक्षण की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि नमूना कैसे लिया जाता है। एक अच्छा नमूना खेत का सही प्रतिनिधित्व है। यदि नमूना ठीक से नहीं लिया जाता है, तो सबसे आधुनिक परीक्षण विधियों या विशेषज्ञ की सिफारिशों को अपनाने के बाद भी मिट्टी परीक्षण का पूरा लाभ प्राप्त नहीं किया जा सकता है। फसलों की प्रकृति और अन्य उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, नमूना लेने की एक उपयुक्त विधि अपनाई जानी चाहिए जैसा कि नीचे वर्णित है

1. फसलों के लिए मिट्टी के नमूने
अनाज की फसलें (धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार आदि), तिलहनी फसलों (सरसों, तोरिया, मूंगफली, अलसी आदि), दलहनी फसलों (उड़द, मूंग, अरहर आदि), सब्जियों और अन्य फसलों के लिए मिट्टी के नमूने लेने का उपयुक्त समय फसल की कटाई के बाद या फसल की बुवाई से लगभग एक महीने पहले का होता है। अक्सर बड़े खेतों को मिट्टी के प्रकार, फसल चक्र, उर्वरकों और खाद के प्रबंधन और उत्पादकता आदि में समानता या असमानता के आधार पर अलग-अलग नमूना इकाइयों में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक इकाई से एक नमूना तैयार किया जाता है। एक इकाई का क्षेत्रफल एक एकड़ से अधिक या कम हो सकता है। यह नमूनाकरण इकाई मिट्टी और फसल की भिन्नता पर निर्भर करती है। खेत में 15-20 जगहों से मिट्टी इकट्ठी की जाती है। प्रत्येक स्थान पर नमूने की गहराई 0-6 इंच (0-15 सेंटीमीटर) रखी जाती है यानी ऊपर की सतह से छह इंच तक की परत ली जाती है। आम तौर पर किसानों के पास मिट्टी के नमूने लेने के लिए उपलब्ध सबसे सरल उपकरण कुदाल है। अगर मिट्टी सख्त है तो इसके लिए बरमा का इस्तेमाल किया जा सकता है और नरम मिट्टी के लिए ट्यूब बरमा का इस्तेमाल किया जा सकता है। अलग-अलग जगहों से ली गई मिट्टी को साफ कपड़े, कागज, पॉलिथीन या फर्श पर ढेर बनाकर अच्छी तरह मिला दिया जाता है। इसके बाद पूरी ढेरी से लगभग आधा किलोग्राम मिट्टी लेकर एक साफ थैली में रख लें और उस पर अपना नाम, पता, नमूना संख्या, फसल विवरण और पहचान चिह्न लिखें। यह जानकारी कागज या कार्डबोर्ड के टुकड़े पर लिखी जानी चाहिए और बैग के अंदर भी रखनी चाहिए। इन नमूनों को यथाशीघ्र परीक्षण के लिए मृदा परीक्षण प्रयोगशाला भेज  देना चाहिए।

2. बागबानी/वृक्ष आदि लगाने के लिए मिट्टी के नमूने
फलों के पेड़ (बाग) या अन्य बारहमासी पेड़ लगाने के लिए गड्ढे की अलग-अलग गहराई से अलग-अलग नमूने लिए जाने चाहिए। इस गहराई का अंतराल 0-15, 15-30, 30-45, 45-60, 60-90 और 90-120 सेमी है। रखना चाहिए। एक एकड़ (या दो एकड़ तक) क्षेत्र से 3 या 4 गड्ढे बनाये जाते हैं और प्रत्येक गड्ढे की गहराई 0-15, 0-30, 30-45, 45-60, 60-90 और 90-120 सेंटीमीटर होती है। सभी गड्ढों की अलग-अलग गहराई के मिट्टी के नमूने को अलग-अलग जगहों पर रखकर अच्छी तरह मिला देना चाहिए, यानी एक गड्ढे की अलग-अलग गहराई की मिट्टी के नमूने नहीं मिलाने चाहिए। इस प्रकार अलग-अलग गहराई के संयुक्त नमूनों से लगभग 300 से 400 ग्राम मिट्टी का नमूना लिया जाता है। इन नमूनों पर नाम, पता, गहराई का अंतराल और पहचान चिह्न आदि अवश्य लिखे होने चाहिए। यदि मिट्टी अधिक गीली हो तो उसे छाया में सुखाकर भिजवाना चाहिए।

मिट्टी का नमूना लेते समय आवश्यक सावधानियां-
मिट्टी का नमूना लेते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
  1. नमूना लेते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि नमूना लेने का स्थान पेड़ों के नीचे या फसलों की जड़ों में, गोबर खाद के गड्ढे के पास और कोई अलग गड्ढा नहीं होना चाहिए।
  2. अलग-अलग दिखने वाले खेतों या उनके भागों से ढलान, मिट्टी के प्रकार, फसल उत्पादन, फसल चक्र, उर्वरक और खाद प्रबंधन आदि के गुणों के आधार पर अलग-अलग नमूने तैयार किए जाने चाहिए। रेह, कल्लार (उसर) आदि भागों से अलग-अलग 2 नमूने तैयार करें।
  3. नमूने किसी भी स्थिति में  राख, दवाई, गोबर की खाद तथा उर्वरक आदि के संपर्क में नहीं आने चाहिए।
  4. केवल एक साफ, नया बैग, साफ प्लास्टिक की बाल्टी या ट्रे और नमूनों के लिए एक साफ जगह का प्रयोग करें।
  5. अगर मिट्टी गीली हो तो पेन की जगह पेंसिल से लेबल लिखकर बैग में रख लें।
  6. नमूने का क्रम संख्या. पहचान चिन्ह, सिंचाई का साधन, फसल का नाम, नमूने की गहराई आदि लेबल पर अवश्य लिखें।