सरकार ने लिया अहम फैसला, नहीं बढ़ेंगे खाद के दाम, नहीं होगा खाद की MRP में कोई बदलाव
सरकार ने लिया अहम फैसला, नहीं बढ़ेंगे खाद के दाम, नहीं होगा खाद की MRP में कोई बदलाव
Android-app-on-Google-Play

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इस बैठक में कैबिनेट ने कई अहम फैसलों को मंजूरी दी, जिसमें खाद पर दी जाने वाली सब्सिडी को लेकर बड़ा फैसला किया गया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को खरीफ सीजन में किसानों को किफायती थोक पोषक तत्व उपलब्ध कराने के लिए फॉस्फेट और पोटाश (पीएंडके) उर्वरकों पर 38,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दी। इस तरह खरीफ सीजन के लिए कुल उर्वरक सब्सिडी आवंटन बढ़कर 1.08 लाख करोड़ हो गया है। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में यूरिया खाद पर 70,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी की घोषणा पहले ही की जा चुकी है।

केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि देश में 325 से 350 लाख मीट्रिक टन यूरिया का इस्तेमाल होता है। 100 से 125 लाख मीट्रिक टन डीएपी और एनपीके का इस्तेमाल होता है। 50-60 लाख मीट्रिक टन एमओपी का इस्तेमाल होता है। किसानों को समय पर खाद मिले, इसके लिए मोदी सरकार ने सब्सिडी बढ़ाई, लेकिन एमआरपी नहीं बढ़ाई।

उर्वरकों के एमआरपी में कोई बदलाव नहीं होगा। वर्तमान में यूरिया की कीमत 276 रुपये प्रति बोरी है जबकि डीएपी की कीमत 1350 रुपये प्रति बोरी है।देश में यूरिया और डीएपी उर्वरकों की सबसे ज्यादा खपत होती है। सरकार मृदा पोषक तत्व आधारित योजना (एनबीएस) के तहत हर छह महीने में उर्वरक सब्सिडी देने की घोषणा करती है। यह योजना अप्रैल, 2010 में शुरू की गई थी। लगभग 12 करोड़ किसानों को उर्वरक सब्सिडी से लाभ होने की उम्मीद है। सरकार किसानों को कम कीमत पर खाद मुहैया कराती है। देश में लगभग 1,400 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती की जाती है। कैबिनेट की बैठक में लिए गए इस फैसले की जानकारी देते हुए उर्वरक एवं रसायन मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि खरीफ सीजन में उर्वरकों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में कोई बदलाव नहीं होगा।

फसलों का खरीफ सीजन अप्रैल से शुरू होता है और सितंबर तक चलता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में किसानों को खरीफ सीजन 2023-24 के लिए फास्फेट और पोटाश उर्वरकों पर 38 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। पिछले कुछ महीनों में पीएण्डके उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट के कारण सब्सिडी का बोझ कम हुआ है। इससे खरीफ सीजन के लिए सरकार का कुल सब्सिडी परिव्यय बढ़कर 1.08 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। वहीं, पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में उर्वरक सब्सिडी बढ़कर 2.25 लाख करोड़ हो सकती है। 

कैबिनेट में लिए गए निर्णय के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए, मंडाविया ने कहा, कैबिनेट ने नाइट्रोजन के लिए 76 रुपये प्रति किलोग्राम, फॉस्फोरस के लिए 41 रुपये प्रति किलोग्राम, पोटाश के लिए 15 रुपये प्रति किलोग्राम और सल्फर के लिए 2.8 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की वैश्विक कीमतों में गिरावट के कारण सब्सिडी का बोझ कम हुआ है। उदाहरण के लिए, डीएपी की अंतरराष्ट्रीय कीमत 925 डॉलर प्रति टन से घटकर 530 डॉलर प्रति टन हो गई है।