फसलों के अधिक उपज के लिए माइकोराइजा एक लाभकारी जैव उर्वरक
फसलों के अधिक उपज के लिए माइकोराइजा एक लाभकारी जैव उर्वरक
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माइकोराइजा एक सूक्ष्म जीव है जो उच्च पौधों और कवक की जड़ों के बीच सहजीवी संबंध के रूप में रहता है, ये सूक्ष्म जीव मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों जैसे फास्फोरस, नाइट्रोजन और छोटे पोषक तत्वों को पौधों के लिए उपलब्ध अवस्था में बदलने का काम करते हैं। ताकि पौधे की जड़ों को पोषक तत्व मिल सके।
माइकोराइजा फास्फोरस के अवशोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और मिट्टी की उर्वरता में सुधार करता है और पौधों की जड़ों को विकसित करता है।

माइकोराइजा के उपयोग की विधि (Method of use of mycorrhizae)
  • फसल बोने से पहले जड़ों को प्रति लीटर पानी में 5 मिली माइकोराइजा घोल में मिला दें ताकि पौधों की जड़ें अच्छी तरह से विकसित हो सकें।
  • यदि माइकोराइजा पाउडर के रूप में उपलब्ध हो तो 250 ग्राम उत्पाद को 100 से 200 लीटर पानी में मिलाकर खेत में बोने से पहले पौधों को 2 से 3 घंटे के लिए डुबो कर रखें।
  • वैम को पानी में आसानी से मिलाया जा सकता है, इसकी 250 ग्राम मात्रा को 1 से 2 एकड़ खेत में ड्रिप या ड्रेजिंग या सामान्य सिंचाई के रूप में दिया जा सकता है। 
  • एक फसल चक्र में दो बार बुवाई और फूल अवस्था में दिया जा सकता है
माइकोराइजा के लाभ (Benefits of mycorrhiza)
  • मिर्च, बैंगन, गोभी, भिंडी, टमाटर, आलू, प्याज, मूंगफली, तरबूज, लहसुन, अजवाइन और अन्य सब्जी वर्ग की फसलें जिनकी नर्सरी तैयार हो चुकी है, में इसका उपयोग किया जा सकता है।
  • इसके प्रयोग से जड़ों में वृद्धि होती है तथा जड़ें अधिक पोषक तत्व ग्रहण कर पाती हैं, जिससे फसलों की उपज में वृद्धि होती है।
  • रासायनिक खादों के दुष्प्रभाव से मिट्टी की सेहत को बचाया जा सकता है।
  • रासायनिक उर्वरकों की बचत से मिट्टी में लाभकारी जीवों की वृद्धि होती है।
  • माइकोराइजा मिट्टी से फास्फोरस की उपलब्धता को 60-80% तक बढ़ा देता है, भूमि की भौतिक और रासायनिक स्थिति में सुधार करना।
  • इन्हे आसानी से गुणन (Multiplication) किया जा सकता है जिससे एक बार ही खरीदने की आवश्यकता पड़ती है।
  • माइकोराइजा के प्रयोग से जड़ों का विकास बेहतर होता है।
  • माइकोराइजा पौधे द्वारा पानी के अवशोषण की दर को बढ़ाकर सूखे के प्रति पौधे की सहनशीलता को बढ़ाता है। जिससे यह पौधों को हरा भरा रखने में मदद करता है।
  • माइकोराइजा फसलों को कई हानिकारक मिट्टी जनित रोगजनकों से भी बचाता है।
  • इसके उपयोग से पौधों की उपापचयी क्रियाएँ होती हैं जिससे पौधे की रोपाई के बाद मुरझाने की दर और पौधों की रोपाई के बाद मृत्यु दर में कमी आती है।
  • इसका उपयोग उर्वरक और कीटनाशक निर्भरता को कम करता है और प्रतिकूल मिट्टी को सुधारता है।
  • सूखे और लवणता के खिलाफ पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
  • मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार के साथ ही मिट्टी के कटाव को रोकता है।
माइकोराइजा का उपयोग करते समय बरतें ये सावधानियां
  • माइकोराइजा का भंडारण करते समय इसे ठंडी और सूखी जगह पर रखें, भंडारण कक्ष में तेज धूप से बचें।
  • माइकोराइजा के प्रयोग के 15 दिन पहले और 15 दिन बाद तक रासायनिक कवकनाशी और खरपतवारनाशी का प्रयोग न करें।
  • इसका उपयोग 2 साल के भीतर कर लेना चाहिए या मल्टीप्लाई कर लेना चाहिए, ताकि सूक्ष्म जीवों की क्रियाशीलता बनी रहे।