बीज उपचार के लिए करें इस प्राकृतिक दवा का इस्तेमाल, जानिए प्राकृतिक दवा बनाने का तरीका और प्रयोग के बारे में
बीज उपचार के लिए करें इस प्राकृतिक दवा का इस्तेमाल, जानिए प्राकृतिक दवा बनाने का तरीका और प्रयोग के बारे में
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Beejamrut: उच्च गुणवत्ता की एवं स्वस्थ फसल प्राप्त करने के लिए रोपाई / बुआई करने से पहले बीजों का संस्कार अर्थात् संशोधन करना बहुत जरूरी है। किसान भाई बीज उपचार के लिए रासायनिक तरीका एवं रसायनिक दवा का प्रयोग करते हैं। जिसमें उनको काफी खर्चा आता है। प्राकृतिक तरीके से बीज उपचार बीजामृत के द्वारा करते हैं। जिसमें उनको काफी खर्चा बचता है। इसको हम अपने घर पर आसानी से तैयार कर सकते हैं। बीजामृत में वही चीजें डाली हैं जो हमारे पास बिना किसी कीमत के मौजूद हैं।

बीजामृत बनाने के लिए आवश्यक सामग्री
  • देशी गाय का गोबर: 5 कि.ग्रा.
  • गोमूत्र : 5 लीटर 
  • गाय का दूध: 1 लीटर 
  • चूना या कली : 50 ग्रा.
  • पानी : 20 लीटर
बीजामृत बनाने का तरीका
सर्वप्रथम एक बर्तन में 20 लीटर पानी लेते हैं। उसके बाद 5 किलो देशी गाय के गोबर को एक कपड़े में लेकर पोटली बना लेते है। इस गोबर की पोटली को 12 घंटे के लिए पानी के बर्तन में इस प्रकार लटका देते है की पोटली पानी में डूबी रहे। 250 मिली पानी में 50 ग्राम चूना एक रात भर मिला कर रखें। 12 घंटे बाद गोबर की पोटली को निकाल कर अच्छी तरह निचोड़ लेते है ताकि उसका पूरा रस पानी में आ जावें। उसके बाद इस गोबर पानी के घोल में 5 लीटर गोमूत्र व 1 लीटर गाय का दूध मिलाकर अच्छी तरह लकडी से हिलाते है सबसे बाद में रात भर भीगा चूना इस घोल में मिला देते हैं और लकडी की सहायता से हिलाते हुए मिलाते है। अब यह घोल बीजोपचार के लिए तैयार है। 24 घंटे के भीतर इसका इस्तेमाल करें।

कैसे करें बीजामृत का प्रयोग 
बीजामृत तैयार करने के बाद इसको बोये जाने वाले बीजों को जमीन या बोरा पर फैलाकर छिडकाव करे या बीजों को सुत्ती कपड़े में बाँध कर बीजामृत में आधे घंटे तक डुबाकर भी उपचारित कर सकते हैं तथा उसके बाद बीजों को छाया में सुखाकर तुरंत बुवाई करनी है।

बीजामृत से बीज उपचार के लाभ
बीजों का अंकुरण शीघ्र व अधिक संख्या में होता है पौधे और बीज जनित बीमारियों से बचे रहते है।

मृदा
पौधों की जड़ों एवं तनों का विकास अधिक होता है बीजों का अंकुरण व पौधों की जड़ों का जमाव बहुत अच्छा व शीघ्र होता है।

ये सावधानियां जरूर बरते 
बीज को बीजामृत से उपचार करने के 1 घंटे बाद ही बुवाई करें।
चूना बुझा हुआ होना चाहिए खाने वाला चूना भी काम में लें सकते हैं। चूना को पहले पानी में घोलकर सबसे बाद में मिलाना चाहिए।

बीजामृत एक अत्यधिक प्रभावशाली जैविक एवं प्राकृतिक दवा है जो बीजों का शीघ्र व अधिक संख्या में अंकुरण करने एवं पौधों की जड़ों के जमाव में सहायता करता है और मृदा जनित रोगाणुओं से अंकुरित बीज एवं अंकुर तथा पौधों की जड़ों की सुरक्षा करता है, जिससे फसल की वृद्धि और उत्पादन बढता है। साथ ही बीजामृत की लागत भी ना के बराबर है क्योंकि यह घरेलू सामग्री से बनता है, इसलिए बीजामृत बहुत ही उत्तम है।