जैविक खाद तैयार करें नादेप विधि से, कम गोबर की मात्रा से अधिक जैविक खाद, जानिए इस विधि के बारे में
जैविक खाद तैयार करें नादेप विधि से, कम गोबर की मात्रा से अधिक जैविक खाद, जानिए इस विधि के बारे में
Android-app-on-Google-Play

वर्तमान समय में रासायनिक कीटनाशकों और खाद के प्रयोग से पैदा होने वाले अनाजों और फल-सब्जियों से तौबा करके अब किसान तेजी से जैविक खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। जैविक खाद कई तरीके से बनाया जाता है। इनमें से एक विधि है नादेप विधि। इस विधि का जन्मदाता महाराष्ट्र के नारायण देव राव पंढरी पांडे नामक किसान को माना जाता है। इस विधि में 75 किलोग्राम वनस्पति अवशेष फूल पत्ती आदि, 20 किलोग्राम हरी घास , 5 किलोग्राम गोबर, इसके अलावा 200 लीटर पानी में डालकर इसे अच्छे से मिलाया जाता है।

नाडेप कम्पोस्ट विधि की विशेषता यह है, कि इस प्रक्रिया में जमीन पर टांका बनाया जाता है। इस विधि में कम से कम गोबर का उपयोग करके अधिक मात्रा में अच्छी खाद तैयार की जा सकती है। टांके को भरने के लिए गोबर, कचरा (बायोमास) और बारीक छनी हुई मिट्टी की आवश्यकता रहती है। जीवांश को 90 से 120 दिन पकाने में वायु संचार प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है। इसके द्वारा उत्पादित की गई खाद में प्रमुख रूप से 0.1 से 1.5 नत्रजन, 0.5 से 0.9 स्फुर (फास्फोरस) एवं 1.2 से 1.4 प्रतिशत पोटाश के अलावा अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व भी पाये जाते है।

इस विधि में 12 फीट लंबा 5 फीट चौड़ा एवं 3 फीट गहरा गड्ढा बनाया जाता है । इस टैंक में तल से 1 फीट ऊंचाई के बाद दीवार की प्रत्येक ईंट के बाद में करीब आधा इंच का स्थान छोड़कर चला जाती है ताकि निर्मित टैंक में वायु प्रवेश के लिए अवस्था बनी रहे।

जैविक खाद तैयार करने की विधि
जालीदार टैंक की अंदरूनी दीवाल को पतले गोबर से लीप दिया जाता है। इसमें पहली परत जैविक पदार्थों की बनाई जाती है। उसके बाद वनस्पतिक पदार्थ , इसके बाद करीब 4 किलोग्राम गोबर 100 लीटर पानी में घोल कर डाला जाता है। सबसे ऊपर मिट्टी की एक परत बना दी जाती है। किसान भाई साधारण भाषा में समझे तो टैंक में नीचे की परत चढ़े हुए गोबर की खाद की हो सकती है। इसके बाद पेड़ पौधों के जुड़े हुए पत्ते दबा दबा कर डाले जाते हैं। इसके ऊपर पानी और गोबर का घोल डाल दिया जाता है ताकि पत्तों को सड़ने में आसानी रहे। सबसे ऊपर मिट्टी की परत इसलिए बनाई जाती है ताकि नीचे गैस बनती रहे पत्ते जल्दी सड जाएं। इसी तरह से प्रत्येक टैंक में 10 से 12 परत बनती हैं टैंक के संपूर्ण भरने के बाद भी ढेर के रूप में टैंक के ऊपर तक नारियल रखा जाता है। अंतिम परत को गोबर मिट्टी से ठीक से ढ़क दिया जाता है। 15 दिन से लेकर 1 महीने के भीतर सभी पदार्थ सड़ जाते हैं और टैंक तकरीबन 2 फिट नीचे धंस जाता है। इस टैंक में इसी तरीके से लगातार खाद बनाकर निकाली जाती है। यह क्रम पूरे साल चलता है। जरूरत पड़ने पर 1 हफ्ते से 15 दिन के अंतराल पर टैंक के ऊपर पानी का छिड़काव किया जाता है ताकि अंदर नमी बनी रहे और पत्तियां आदि सडने में आसानी रहे।

नादेप खाद बनाने की विधि
आवश्यक सामग्री
टांके को भरने के लिये निम्नानुसार सामग्री की आवश्यकता होगीः-
  • प्रक्षेत्र/खेतों पर उपलब्ध कचरा बायोमास - 1400 से 1600 किलो
  • गोबर - 100 से 120 किलो ( 8 से 10 टोकरी )
  • मिट्टी ( भुरभुरी, छनी हुई ) - 600 से 1800 किलो ( लगभग 120 टोकरी)
  • पानी - 1500 से 2000 लीटर (लगभग 8-10 ड्रम )
  • यदि बॉयोमास हरा एवं गीला है तब पानी की आवश्यकता कम रहेगी।

टांका भराई
प्रथम परत :
  • बायोमास कचरा आदि को 3-4 इंच के टुकड़ों में काट लें तथा इसे 6 इंच की मोटी तह में जमाएं।
  • इस वानस्पतिक कचरे को 4से 5 किलो गोबर का 100 से 125 लीटर पानी में घोल बनाकर अच्छी तरह से गीला करें।
  • इस गीली तह पर 50-60 किलो साफ छनी हुई मिट्टी फैलाकर डाले तथा थोड़ा गोबर का घोल छिड़क देवें।

द्वितीय परत :
प्रथम परत के अनुरूप क्रमवार द्वितीय परत डाली जावे।
टांके की दीवारों, फर्श को गोबर के घोल से तर करें तद्उपरान्त निम्नानुसार प्रक्रिया अपनाई जावे।
इसी क्रम में टांके को 10-12 परतों तक भरा जावें। सबसे उपरी परत को झोपड़ीनुमा आकार में भरकर गोबर मिट्टी से लीपकर सील कर दें।
  • इस पर दरार न पड़ने दें, दरार पड़ने पर इसे बार बार लीपते रहें।
  • 5-6 दिन बाद जाली के छेदों में से देखें, गरमी महसूस होगी।
  • 15-20 दिन में टांके की सामग्री सिकुड़कर टांके के 8-9 इंच अंदर धंस जावेगी।

वैज्ञानिकों ने इस विधि को अनुसंधान कर और आसान बना दिया है। इसमें वह 20% वानस्पतिक पदार्थ और चूल्हे की राख, 50% गोबर एवं 30% खेत की मिट्टी रखी जाती है। इस विधि से तैयार खाट बेहद फरवरी और पौष्टिक होती है। नर्सरी तैयार करने में यह खाट सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है।