सस्ती और अच्छी जैविक खाद बनाने के ये हैं सबसे आसान तरीका, जानिए NADEP Compost बनाने का तरीका
सस्ती और अच्छी जैविक खाद बनाने के ये हैं सबसे आसान तरीका, जानिए NADEP Compost बनाने का तरीका
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NADEP कम्पोस्ट: रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की कीमतें बढ़ने से खेती की लागत बढ़ गई है, जिससे किसानों की कमाई कम होने लगी है। ऐसे में किसानों के लिए खेती को लाभकारी बनाने के लिए लागत कम कर उत्पादन बढ़ाना ही बेहतर उपाय है। यह तभी संभव है जब किसान खुद खाद बनाएं। महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के किसान नारायण देवराव पंडारीपांडे ने NADEP कंपोस्ट बनाया है जो किसानों को खेती की लागत कम करने में मददगार है। आइये जानते हैं नाडेप कम्पोस्ट क्या है और इसे बनाने की विधि क्या है?

आइए सबसे पहले जानते हैं कि नाडेप कम्पोस्ट क्या है?

नाडेप कम्पोस्ट तकनीक के तहत जमीन पर टांका बनाया जाता है। इसमें न्यूनतम मात्रा में गोबर का उपयोग करके बड़ी मात्रा में अच्छी खाद तैयार की जा सकती है। इस तकनीक से विघटित खाद बहुत उच्च गुणवत्ता की होती है और अप्रयुक्त अपशिष्ट पदार्थ का उपयोग किया जाता है।

पोषक तत्वों से भरपूर

NADEP कम्पोस्ट में पोषक तत्वों की मात्रा प्रयुक्त सामग्री की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। नाइट्रोजन (0.8-1.4%), फॉस्फोरस (1.0-1.5%) और पोटाश (1.2-1.4%) आमतौर पर नैप्ड खाद में पाए जाते हैं। साथ ही इसमें सल्फर, आयरन, जिंक, मैंगनीज, कॉपर और बोरॉन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं।

होज कैसे बनाये

किसान विज्ञान केंद्र (KVK) के मुताबिक, जहां जमीन के ऊपर पानी जमा नहीं होता, वहां 12 फीट लंब, 5 फीट चौड़ा और 3 फीट गहरा आयाताकर होज तैयार किया जाता है। 
दीवार की मोटाई 9 इंच से 12 इंच रखी जाती है और हवा के प्रवाह के लिए प्रत्येक दीवार में लंबाई की तरफ 7-8 छेद और चौड़ाई की तरफ 4-5 छेद रखे जाते हैं।
संरचना का फर्श भी ईंटों/पत्थरों से ठोस बनाया गया है और दीवारों और फर्श को सीमेंट से मजबूती से प्लास्टर किया गया है। ताकि पोषक तत्व जमीन या दीवारों में रिसकर खराब न हो जाएं।

होज भरने के लिए आवश्यक आपूर्ति

संरचना बनाने के बाद नली को भरने के लिए खेत की खरपतवार, फसल अवशेष, सूखी पत्तियाँ, बचा हुआ चारा (1500-2000 कि.ग्रा.), कच्चा गोबर (90-100 कि.ग्रा.), खेत की सूखी छनी हुई महीन मिट्टी (1500 कि.ग्रा.) ), गौमूत्र (10 लीटर), गुड़ (2 किलो), हवन राख (100 किलो), एज़ोटोबैक्टर (4 पैकेट) और पानी (200-1500 लीटर)।

होज कैसे भरें
  • सबसे पहले गाय के गोबर को 100-125 लीटर पानी में घोलकर होज के अंदर दीवारों और फर्श पर छिड़कें।
  • पहली परत 15 सेमी फसल अवशेष की बनायें।
  • दूसरी परत : 4-6 किलोग्राम गोबर को 125-150 लीटर पानी में घोलकर पहली परत पर इस प्रकार छिड़कें कि पहली परत पूरी तरह गीली हो जाए।
  • तीसरी परत में दूसरी परत के ऊपर छनी हुई बारीक खेत की मिट्टी (60-70 कि.ग्रा.) की लगभग एक इंच मोटी परत बिछाकर पानी छिड़ककर गीला कर दिया जाता है।
  • इसी प्रकार नली को भर दिया जाता है और नली की सतह से डेढ़ फीट की ऊंचाई तक झोपड़ीनुमा ढलान बना दिया जाता है।
  • ढलान पर बारीक मिट्टी की 5-7 सेमी मोटी परत बिछा दी जाती है और नली को मिट्टी-गोबर मिक्सर का लेप लगाकर बंद कर दिया जाता है।

पहली भराई के 15-20 दिन बाद जब गड्ढा बैठ जाए तो 1.5 फीट की ऊंचाई तक फिर से पहले की तरह परत चढ़ा देनी चाहिए और पहले की तरह ही मिट्टी और गोबर से लेप कर बंद कर देना चाहिए। 110-120 दिन में खाद तैयार हो जाती है। इस प्रकार एक नली से प्रति वर्ष लगभग 12-15 क्विंटल खाद तैयार की जा सकती है।

ऐसे करें NADEP कम्पोस्ट का प्रयोग

दलहनी एवं तिलहनी फसलों में 50 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उर्वरक, गेहूं-धान आदि में 90 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उर्वरक, सब्जी फसलों में 120-150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उर्वरक पहली जुताई के समय प्रयोग होता है।

NADEP कम्पोस्ट के उपयोग के लाभ

यदि किसी एक खेत में लगातार तीन वर्षों तक इस उर्वरक का उपयोग करके फसल चक्र के सिद्धांत का पालन किया जाए तो पहले वर्ष में रासायनिक उर्वरक की 50% मात्रा, दूसरे वर्ष में 75% तथा तीसरे वर्ष में 100% मात्रा का उपयोग बन्द किया जा सकता है। और भरपूर पैदावार भी ली जा सकती है। बाज़ार में 10-20% अधिक कीमत पर बेचा जा सकता है। भूमि को बंजर होने से बचाया जा सकता है। खेती की लागत को 20 फीसदी तक कम किया जा सकता है।