जानिए सोयाबीन की उन्नत किस्म RVSM 1135 की प्रमुख विशेषताओं के बारे में
जानिए सोयाबीन की उन्नत किस्म RVSM 1135 की प्रमुख विशेषताओं के बारे में
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Soybean Variety RVSM 1135 : खरीफ सीजन की फसलों की बुआई का समय आने वाला है। सोयाबीन खरीफ फसलों की प्रमुख फसल है। इसकी खेती से किसानों को अच्छी आमदनी होती है। सरकार भी इन दिनों इसकी खेती पर विशेष ध्यान दे रही है। ऐसे में सोयाबीन की अच्छी उपज लेने के लिए किसानों को उन्नत किस्म की सोयाबीन (सोयाबीन की उन्नत किस्म) की जानकारी होनी चाहिए। क्‍योंकि जानकारी के अभाव में किसान अच्‍छी क्‍वालिटी की सोयाबीन नहीं लगा पाते हैं, जिससे अच्‍छी उपज नहीं हो पाती है और किसानों की आय प्रभावित होती है। किसानों के लिए यह जानना जरूरी है कि सोयाबीन की कौन सी किस्म रोग और कीट प्रतिरोधक क्षमता के साथ-साथ कम समय में अच्छी उपज देती है। आज हम बात करेंगे RVSM 1135 सोयाबीन क्या है, बीज कैसा है, समय अवधि, गुणवत्ता और अन्य विषय :

जानकारी के अनुसार RVSM 1135 को राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय (RVSKVV) के वरिष्ठ वैज्ञानिक  डॉ. वी.के. तिवारी व डॉ. एस. आर. रामगिरी व उनकी टीम के अथक प्रयासों के बाद विकसित किया गया। सोयाबीन की इस किस्म की खेती के जरिए किसानों नें अच्छे परिणाम हासिल किए हैं। इस किस्म की सबसे खास बात यह है कि इसकी अंकुरण क्षमता 95% होती है, यानी 100 बीजों में से 95 बीज अंकुरित होने के लिए तैयार होते हैं।


आर.वी.एस.एम. 1135 (RVSM 1135) दानों का आकार गोल तथा बीच का रंग हाइमल काले रंग के साथ पीला होता है। साथ ही इस किस्म का तना काफी हद तक मजबूत और गहरा रहता है। अगर इसके दाने की बात करें तो जब इसका पौधा फल देता है तो इसका दाना ठोस रहता है और तीन दाने वाली फली से पौधा लगभग 50-60 सेंटीमीटर की ऊंचाई लेता है, पौधा लगभग 60-70 फली और साथ में चमकदार पत्तियां और सफेद फूल इस किस्म की शोभा और बढ़ा देते हैं। यह एक रिसर्च वैरायटी है और 95-100 दिनों में पकने के बाद तैयार हो जाती है।


सोयाबीन की यह किस्म देश के मध्य भाग के मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बुंदेलखंड, मराठवाड़ा और विदर्भ जिलों के किसानों के लिए पेश की गई है। यह पीले मोज़ेक और चारकोल राॅट आदि के लिए प्रतिरोधी है। फलियों के फटने की समस्या बिल्कुल नहीं होती है। इसकी जड़ प्रणाली भी बहुत मजबूत होती है, जिसके कारण यह सूखे और अधिक वर्षा के बाद भी लंबे समय तक बनी रहती है, दोनों ही स्थितियों में किसानों को अच्छी उपज प्राप्त होती है। किसान इस बीज को 65-70 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में बो सकते हैं। सब कुछ ठीक रहने पर इसका उत्पादन 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है।


आर.वी.एस.एम. 1135 (RVSM 1135) की विशेषताएं
  • औसत उपज : 25-30 क्वि./हे.
  • परिपक्वता के दिन : 95 दिन
  • प्रतिफल्ली : 3 से 4 दाने
  • येलो मोज़ेक वायरस के लिए मध्यम से प्रतिरोध
  • फलियों के फटने की समस्या बिल्कुल नहीं होती है।
  • मैकेनिकल हार्वेस्ट के लिए उपयुक्त है
  • जलवायु परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है।