वैज्ञानिकों ने विकसित की मटर की दो नई किस्में, जिनकी बुवाई करने पर मिलेगी बंपर पैदावार
वैज्ञानिकों ने विकसित की मटर की दो नई किस्में, जिनकी बुवाई करने पर मिलेगी बंपर पैदावार
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Pea Farming: मटर की खेती करने वाले किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी (Varanasi) की सब्जियों की 28 किस्मों को सरकारी गजट में शामिल किया गया है। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) ने मटर की ऐसी दो किस्मों को विकसित की है, जो बोने पर बंपर पैदावार देगी।

मटर हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होती है। क्‍योंकि इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्‍व जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फास्‍फोरस, फाइबर, पोटैशियम और विटामिन हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी होते हैं।

मटर की इन नई किस्मों के नाम

मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) ने मटर की इन नई किस्मों के नाम 'काशी पूर्वी' और काशी तृप्ति रखा है।

मटर की नई 'काशी पूर्वी' (Kashi Purvi) के बारे में

'काशी पूर्वी' की विशेषता यह है कि इसकी बुआई के 35 से 40 दिन में फूल आने लगते हैं और मटर 65 से 75 दिन में उपज देने लगती है। एक पौधे में 10 से 13 फलियाँ लगती हैं। काशी पूर्वी किस्म मटर का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 117 क्विंटल तक पाया गया है। मटर की अन्य किस्मों की अपेक्षा यह जल्दी तैयार हो जाती है. इस प्रकार की मटर की खेती से किसानों को मटर की फसल समय से पहले मिल जाएगी, जिससे उन्हें बाजार में अच्छी कीमत भी मिलेगी। इससे उनकी आय में वृद्धि होगी। वहीं, मटर की अन्य किस्मों की तुलना में इसका उत्पादन 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक होता है।
यह काशी पूर्वी नाम की मटर की नई अगेती किस्म है। इसकी बुआई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक की जा सकती है। जबकि यह अधिक उपज देने वाली किस्म है। किसान इसे 120 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बो सकते हैं। मटर की अधिक से अधिक उपज प्राप्त करने के लिए पौधों के बीच 7 से 10 सेंटीमीटर की दूरी रखनी चाहिए। साथ ही कतारें भी एक-दूसरे से कम से कम 30 सेमी की दूरी पर रखनी चाहिए। मटर की यह किस्म प्रति हेक्टेयर 110 से 120 क्विंटल तक उपज दे सकती है।

मटर की नई 'काशी तृप्ति' (Kashi Tripti) के बारे में

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) द्वारा विकसित मटर की नई किस्म काशी तृप्ति उत्पादन में भी आगे है। इस मटर की फली का वजन 8 ग्राम तक होता है। वहीं, इसके फली का आकार बड़ा होता है। एक पौधे में 12 से 15 फलियाँ लगती हैं। काशी तृप्ति किस्म के मटर की उपज 95 से 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इस किस्म की मटर की फसल तीन बार तक ली जा सकती है। यह किस्म सफेद चूर्णिल फफूंदी के लिए भी प्रतिरोधी है। इस प्रकार की खेती करने से किसानों को काफी फायदा होगा। मटर में बुवाई के 50 से 56 दिनों के बाद फूल आने लगते हैं। वहीं काशी तृप्ति की पहली कटाई बुवाई के 80 दिन बाद शुरू होती है।
यह मटर की ऐसी वैरायटी है, जिसे छिलके के साथ खाया जा सकता है। संस्थान का दावा है कि इस मटर के छिलके को खाने से कैंसर, शुगर, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, माइग्रेन से जुड़े खतरे कम हो जाते हैं। इस मटर में पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं। साथ ही मटर की इस किस्म की उपज भी काफी अधिक होती है, जो किसानों की आय बढ़ाने में मददगार साबित होगी।

काशी की 28 सब्‍जियों को म‍िली राष्ट्रीय पहचान
  • चौलाई में काशी चौलाई-1, कलमी 
  • साग में काशी मनु, पंखिया 
  • सेम में काशी अन्नपूर्णा 
  • मटर में काशी पूर्वी एवं काशी तृप्ति, 
  • भिंडी में काशी सहिष्णु, काशी प्राक्रम, काशी उत्कर्ष, 
  • बैंगन में काशी उत्सव, काशी मोदक, काशी उत्तम, 
  • मिर्च में गरिमा, 
  • बाकला में काशी संपदा, 
  • तरबूज में काशी मोहिनी, 
  • पालक में काशी बारहमासी, 
  • परवल में काशी परवल-141, 
  • टिंडा में काशी हरी, 
  • तोरई में काशी नंद, 
  • चिकनी तोरई में काशी वंदना, 
  • खीरा में काशी नूतन, 
  • सेम में काशी बौनी सेम 14, काशी बौनी सेम 18, 
  • ककड़ी में काशी विधि, 
  • मूली में काशी ऋतुराज, 
  • करेला में काशी प्रतिष्ठा, 
  • लौकी में काशी शुभ्रा शामिल हैं।