चारे की फसल के लिए जई की खेती भी कर सकते है किसान, जानिए जई की उन्नत खेती के बारे में
चारे की फसल के लिए जई की खेती भी कर सकते है किसान, जानिए जई की उन्नत खेती के बारे में
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Oats Crop Farming: जई एक महत्वपूर्ण अनाज की फसल के साथ-साथ एक चारा फसल भी है। इसकी खेती गेहूं की फसल के समान होती है। यह मुख्य रूप से समशीतोष्ण और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में उगाया जाता है। यह उच्च ऊंचाई वाले उष्णकटिबंधीय परिस्थितियों में भी अच्छी तरह से बढ़ सकता है। यह अपने स्वास्थ्य लाभों के कारण बहुत लोकप्रिय है। दलिया एक बहुत ही स्वस्थ भोजन है। ओट्स प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होते हैं। यह वजन घटाने, रक्तचाप को नियंत्रित करने और एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के निर्माण में भी मदद करता है।

जई (Oats) रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम कर सामान्य स्तर पर लाने में मददगार साबित होता है। यह कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाले तत्वों को दूर करता है। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जो शरीर में ग्लूकोज और इंसुलिन की मात्रा को कम कर डायबिटीज के खतरे को कम करता है।

जई (Oats) की किस्में
केंट, अल्जीरियाई, बंकर 10, कोचमैन, एचएफओ 114, यूपीओ 50

बुवाई का समय
जई की बुवाई का सबसे अच्छा समय मध्य अक्टूबर से मध्य नवंबर तक है। चारा उत्पादन के लिए 15 अक्टूबर उपयुक्त समय है।

दूरी
चारे के लिए 20-23 से.मी. कतार की दूरी और अनाज उत्पादन के लिए 23-25 से.मी. मीटर की दूरी उत्तम है।

बीज की गहराई
बीजों की गहराई 3-4 सेमी. होना चाहिए

बुवाई की विधि
बुआई के लिए ड्रिल बुआई प्रसारण से बेहतर हैं।

बीज की मात्रा
अनुशंसित बीज दर 100 किग्रा/हेक्टेयर है।

उपचार
केप्टन या थीरम 3 ग्राम प्रति किग्रा बुवाई से पूर्व बीजों का उपचार करें। इससे बीजों को फफूंद जनित रोगों और विषाणुओं से बचाया जा सकता है।

फसल प्रणाली: ज्वार-जई-मक्का

भूमि का चयन
जई की खेती के लिए अच्छी जल धारण क्षमता वाली मिट्टी की एक विस्तृत श्रृंखला अधिक उपयुक्त होती है। 5.6-6 पीएच मान वाली मिट्टी इसकी खेती के लिए अच्छी होती है।

जलवायु
यह ठंडी और नम जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ता है। इसके अलावा, कपास बेल्ट के लिए सबसे उपयुक्त है। अधिक उपज के लिए अनाज भरने के दौरान ठंडा मौसम महत्वपूर्ण है।

भूमि की तैयारी
जई उगाने के लिए अच्छी सिंचाई क्षमता वाली चुनिंदा अच्छी जल निकास वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। मिट्टी को भुरभुरी और समतल बनाने के लिए भूमि की तीन-चार बार अच्छी तरह जुताई कर उसे समतल कर लेना चाहिए। भूमि में पर्याप्त नमी होने पर बीजों की बुआई कर देनी चाहिए। यदि मिट्टी सूखी हो तो बिजाई से पहले हल्की सिंचाई करनी चाहिए।

खाद और उर्वरक
खेत की तैयारी के समय खेत में अच्छी सड़ी गोबर की खाद डालें। 80:40:0 किग्रा. एनपीके/हेक्टर उर्वरकों की संस्तुत मात्रा भी डालें। नत्रजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस की पूरी मात्रा बिजाई के समय दें। बची हुई नत्रजन बुवाई के 30-40 दिन बाद डालें।

खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई की जाती है। यदि जई के पौधे अच्छी तरह से स्थापित हैं तो खरपतवार नियंत्रण की आवश्यकता नहीं होती है। इसकी फसल में खरपतवार कम पाये जाते हैं।

सिंचाई
  • इसमें गेहूं से ज्यादा पानी की जरूरत होती है।
  • 4-5 सिंचाइयों से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।
  • सिंचाई आमतौर पर प्रत्येक फसल के तुरंत बाद अनिवार्य है। ओट्स की सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण चरण टिलिंग है।
फसल की कटाई
इसे परिपक्व होने में 120-150 दिन लगते हैं। सामान्य तौर पर चारे के लिए 2 या 3 कटिंग होती हैं और फिर अनाज की प्राप्ति होती है।

उपज
हरे चारे की उपज 200-250 क्विंटल और अनाज 15-20 क्विंटल प्रति एकड़ होता है। इसलिए यह उत्तर पश्चिमी यूरोप और यहां तक कि आइसलैंड जैसे ठंडे, गीले ग्रीष्मकाल वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।