सफलता की कहानी : "जैविक मैन" नाम से मशहूर बिहार का ये किसान, गाय के गोबर से तैयार जैविक खाद से कर लेते है इतनी कमाई
सफलता की कहानी :
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Success Story : अधिक उपज पाने की चाह में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का जमकर प्रयोग किया जा रहा है। इसके दुष्प्रभाव अब धीरे-धीरे दिखने लगे हैं। इसलिए वर्तमान समय में खेत को उपजाऊ बनाए रखना आधुनिक कृषि की सबसे बड़ी और कठिन चुनौती बन गई है। और रासायनिक उर्वरकों की बढ़ती लागत किसानों के लिए सबसे बड़ी चिंता बनकर उभरी है। इसके बाद भी खाद को लेकर किसानों के बीच मारामारी की स्थिति बनी हुई है। इससे किसानों को नुकसान होता नहीं दिख रहा है। बल्कि अधिक उपज के लिए अधिक मात्रा में उर्वरकों का छिड़काव किया जा रहा है।

रासायनिक खाद से तैयार फसलें लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। दूसरी ओर जैविक खाद से पैदा होने वाली फसलें पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक होती हैं। जो इंसान के शरीर से बीमारियों को दूर रखता है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। हालांकि अब किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। 

न्यूज 18 हिन्दी की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के बेगूसराय के किसान भी जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। जिले के चेरिया बरियारपुर प्रखंड अंतर्गत गोपालपुर पंचायत के किसान प्रमोद महतो ने मुनीलाल को पूरा इलाका "जैविक मैन" के नाम से जानता है। मुनीलाल महतो भी 2013 से जैविक खेती कर रहे हैं और बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं। मुनीलाल ने सैकड़ों किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण देने का काम किया है। कृषि विज्ञान केंद्र में भी वे जैविक खेती का प्रशिक्षण देते रहे हैं। उन्होंने बताया कि जैविक खेती के बारे में सुना था कि शुद्ध अनाज पैदा होगा और लागत भी कम आएगी।

उन्होंने आगे बताया कि तब से हमने जैविक खेती भी शुरू की। आज वर्मी कम्पोस्ट और फ्लाईश खाद का निर्माण किया जा रहा है। बाजार में जैविक उत्पादों का रेट अच्छा होने से किसानों को अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है। जिससे अन्य किसान भी इस खेती की ओर बढ़ रहे हैं।

कम लागत में बड़ा मुनाफा होता है

मुनीलाल महतो के मुताबिक कि बाजार में इन दिनों जैविक खाद की कीमत छह रुपये प्रतिकिलो है, जबकि रासायनिक खाद की कीमत 40 रुपये प्रतिकिलो है। खेतों में रासायनिक खाद का प्रयोग करने के बाद जहां एक फसल में 6 तक पानी की आवश्यकता होती है। दूसरी ओर जैविक खेती से केवल तीन खेतों में ही फसल अच्छी तरह तैयार हो जाती है।

मुनीलाल ने बताया कि उनकी सारी उपज स्थानीय बाजार में बिकती है। दो गायों के गोबर से जैविक खाद बनाकर दो एकड़ में खेती करने के अलावा बची हुई जैविक खाद को बेचकर भी 60 हजार तक की कमाई कर लेते हैं। गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट और अन्य कीटनाशकों का खेती के दौरान सिर्फ जैविक इस्तेमाल होता है। फसल में बायो पेस्टीसाइड, गोमूत्र, देसी खाद व हरी खाद, बैक्टीरियल कल्चर के अलावा क्राइसोपा जैसे बायो पेस्टिसाइड व बायो एजेंट का प्रयोग किया जाता है। इससे फसल की उपज में वृद्धि होती है।