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वाराणसी, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक जिला है। उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में आने वाला यह जिला वाराणसी  प्रमंडल के अंतर्गत आता है। इस प्रमंडल के अंतर्गत कुल 4 जिले आते हैं: गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी और जौनपुर।

अर्थव्यवस्था- कृषि, उद्योग और उत्पाद
वाराणसी जिले की अर्थव्यवस्था कृषि, पशुपालन, मछली पालन, वन, खनिज, उद्योग और व्यवसाय पर आधारित है।

कृषि
वाराणसी जिले की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. जिले में उगाए जाने वाले प्रमुख फसल हैं: गेंहू, धान, मक्का, जुआर, बाजरा, दलहन (अरहर, मसूर , उड़द, मूंग, चना और मटर), तिलहन (राई और सरसों), मसाले (हल्दी और मिर्च), गन्ना, आलू और सब्जियां।
जिले में उगाए जाने वाले प्रमुख फल हैं: आम, अमरूद और केला।

बनारस की सुप्रसिद्ध मिर्च को जीआई टैग मिलने के बाद, अब ODOP (वन डिस्ट्रिक्ट एंड वन प्रोडक्ट) में शामिल करके एक नई पहचान दी गई है। संगठित क्षेत्र में मिर्च का उत्पादन कर रहे हजारों लोगों को बाजार से जोड़ने के लिए बनारसी मिर्च से बनने वाले 35 से अधिक उत्पादों के लिए वाराणसी में मिर्च के खेतों के पास ही 300 फूड प्रॉसेसिंग यूनिट लगाई जाएंगी।

रिपोर्ट के अनुसार, वाराणसी में हर साल 900 मीट्रिक टन मिर्च का उत्पादन होता है। यह राजतालाब, काशी विद्यापीठ और सेवापुरी ब्लॉक में 300 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है।

मिर्च से चिली पाउडर, चिली फ्लैक्स और चिली सॉस तैयार करने के लिए वाराणसी में 230 फूड प्रॉसेसिंग यूनिट का कायाकल्प किया जाएगा और 70 नए यूनिट खोले जाएंगे। इस कारोबार को शुरू करने वाले उद्यमी वाराणसी के जिला उद्यान कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं, उद्यमियों को सरकार इस काम के लिए सब्सिडी देगी।

भारत सहित गल्फ देशों में भी बनारसी मिर्च और इससे बनने वाले मसालों और अचार की भी बड़े स्तर पर मांग रहती है। इसे देखते हुए सरकार ने अब बनारस के मिर्च बाजार को संगठित सेक्टर में लेकर आने का फैसला किया है। इस कदम से मिर्च के संरक्षण को भी बढ़ावा मिलने की भी उम्मीद है।

बनारस समेत पूर्वाचल के आसपास के जिलों में सब्जी की अच्छी पैदावार होती है। इसमें सीजनल हरी सब्जी ज्यादा होती है। हालांकि पूरे साल हरी मिर्च की पैदावार होती है। पूर्वाचल के जिलों में पैदा होने वाली हरी मिर्च काफी तीखी और पतली होती है। यही वजह है कि यहां की हरी मिर्च पूरी दुनिया में पसंद की जाती है।