नई दिल्ली. रसोई गैस के लिए इस्तेमाल होने वाले सिलेंडर में एक फायदे की बात छुपी होती है। लेकिन, ये फायदे की बात ड्रिस्ट्रीब्यूटर कंज्यूमर्स को नहीं बताते। दरअसल, सिलेंडर खरीदते वक्त ही उसका बीमा यानी इन्श्योरेंस हो जाता है। 50 लाख रुपए तक होने वाले इस इन्श्योरेंस की जानकारी लोगों को नहीं होती। सिलेंडर का इन्श्योरेंस इसकी एक्सपायरी से जुड़ा होता है। अक्सर लोग सिलेंडर की एक्सपायरी डेट की जांच किए बिना ही इसे खरीद लेते हैं। लेकिन, सिलेंडर की एक्सपायरी भी होती है, इस बात जानकारी भी डिस्ट्रीब्यूटर्स नहीं देते।
दिलचस्प है कि तकरीबन पांच फीसदी सिलेंडर एक्सपायर्ड या एक्सपायरी डेट के करीब होते हैं। टेक्निकल जानकारी कम होने से ये रोटेट होते हैं। सामान्यतया एक्सपायरी डेट औसतन छह से आठ महीने एडवांस रखी जाती है।
50 लाख तक का होता है इन्श्योरेंस
गैस कनेक्शन लेते ही उपभोक्ता का 10 से 25 लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा हो जाता है। इसके तहत गैस सिलेंडर से हादसा होने पर पीड़ित इन्श्योरेंस का क्लेम कर सकता है, साथ ही सामूहिक दुर्घटना होने पर 50 लाख रुपए तक देने का प्रावधान है।
सिलेंडर पर भी बदल जाती है एक्सपायरी
एक्सपायरी डेट पेंट द्वारा प्रिंट की जाती है, इसलिए इसमें हेर-फेर संभव है, क्योंकि कई बार जर्जर हालत में जंग लगे सिलेंडर पर भी एक्सपायरी डेट डेढ़-दो साल आगे की होती है। एजेंसी वाले तर्क देते हैं कि यहां से वहां लाते ले जाते वक्त उठा-पटक से कुछ सिलेंडर पुराने दिखते हैं।
ऐसे करें एक्सपायरी डेट की पहचान
> सिलेंडर की पट्टी पर ए, बी, सी, डी में से एक लेटर के साथ नंबर होते हैं।
> गैस कंपनियां 12 महीनों को चार हिस्सों में बांटकर सिलेंडर्स का ग्रुप बनाती हैं।
> 'ए' ग्रुप में जनवरी, फरवरी, मार्च और 'बी' ग्रुप में अप्रैल मई जून होते हैं। ऐसे ही 'सी' ग्रुप में जुलाई, अगस्त, सितंबर और 'डी' ग्रुप में अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर होते हैं।
> सिलेंडर्स पर इन ग्रुप लेटर के साथ लिखे नंबर एक्सपायरी या टेस्टिंग ईयर दर्शाते हैं। जैसे- 'बी-12' का मतलब सिलेंडर की एक्सपायरी डेट जून, 2012 है। ऐसे ही, 'सी-12' का मतलब सितंबर, 2012 के बाद सिलेंडर का इस्तेमाल खतरनाक है।