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सूरजपुर ज़िला भारत के छत्तीसगढ़ राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय सूरजपुर है। 15 अगस्त 2011को रमन सिंह ने इसे एक जिला का रूप घोषणा कीय अस्तित्व में 1 जनवरी 2012 में आया , लोकार्पण 19 जनवरी 2012 को हुआ। 

छत्तीसगढ़ जो “धन का कटोरा” के नाम से बहुत प्रसिद्ध है, के उत्तरी भाग “सरगुजा” में एक जनजातीय बहुमत प्रभाग है।सरगुजा को दो और जिलों में विभाजित किया गया था। उनमें से एक सूरजपुर था, जो सूरजपुर में स्थित अपने प्रशासनिक मुख्यालय के साथ राज्य का 26 वां जिला बन गया, जिसकी भौगोलिक स्थिति 23.22 ° अक्षांश और 82.85 ° E देशांतर है। । यह 2786.76 वर्ग किमी के कुल क्षेत्रफल को समेटे हुए है, जिसमें 789043 लोग आते हैं। सूरजपुर को पहले “दंदबुल्ला” के नाम से जाना जाता था, जिसे बाद में  “सूर्यपुर” कहा था और अब यह अपने नवीनतम रूप में “सूरजपुर” के रूप में प्रकट होता है। पुरातत्व , सूरजपुर की कला और वास्तुकला अपने धार्मिक महत्व के लिए बहुत प्रसिद्ध है।

सूरजपुर जिले की जलवायु गर्म और शीतोष्ण है। सर्दियों का मौसम आम तौर पर नवंबर से फरवरी के महीने तक होता है। सूरजपुर राज्य के सबसे ठंडे जिले में से एक है। सर्दियों में तापमान 2 डिग्री सेंटीग्रेड तक गिर सकता है। दिसंबर और जनवरी का महीना एक बारिश लाता है जो कि बंगाल की खाड़ी में पश्चिमी विक्षोभ के कारण होती है। गर्मियों का मौसम, दूसरी ओर, मार्च के महीने से जून तक जारी रहता है और चूंकि कर्क रेखा ट्रॉपिक मध्य भारत से गुजरती है, तापमान 46 डिग्री सेंटीग्रेड तक भी बढ़ जाता है। अरब सागर में दक्षिण पश्चिमी विक्षोभ से वर्षा का प्रमुख योगदान आता है जो इस क्षेत्र में 1000-1050 मिमी वर्षा के लिए होता है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

हल्दी आधारित उत्पाद को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में हल्दी आधारित उत्पाद के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

उद्यानिकी फसलों के प्रोत्साहन के लिए उद्यानिकी विभाग द्वारा एक जिला-एक उत्पाद कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत राज्य के 14 जिलों में 9 प्रकार की उद्यानिकी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। चिन्हित फसलों की खेती करने वाले किसानों को उद्यानिकी विभाग द्वारा आवश्यक मार्गदर्शन एवं मदद दी जाएगी।

उद्यानिकी विभाग द्वारा एक जिला-एक उत्पाद कार्यक्रम के तहत अदरक, पपीता, आम, सीताफल, चाय, काजू, टमाटर, हल्दी एवं लीची को चिन्हित किया गया है। उद्यानिकी संचालक श्री माथेश्वरन वी. ने बताया कि बलोद जिले का चयन अदरक की खेती के लिए किया गया है, जबकि सूरजपुर जिले में हल्दी की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। रायपुर एवं बेमेतरा जिले के लिए पपीता, दंतेवाड़ा जिले में आम, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही एवं कांकेर में सीताफल की खेती, जशपुर में चाय उत्पादन, कोण्डागांव जिले में काजू, कोरिया, मुंगेली, रायगढ़ एवं दुर्ग जिले में टमाटर तथा सरगुजा जिले में लीची की खेती को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

छत्तीसगढ़ में हल्दी की फसल कि खेती विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग समय में की जाती है। इस फसल के लगभग 50% उत्पादक किसान आदिवासी होते हैं और आम तौर पर अपने बड़ियो में स्वदेशी तरीकों के माध्यम से फसल उत्पादन करते हैं।

वार्षिक रिपोर्ट, 2015-16 के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य का पुरे भारत में हल्दी उत्पादन के क्षेत्र में लगभग 11.80 प्रतिशत योगदान रहा है। राज्य में हल्दी का उत्पादन 9, 747 हेक्टेयर भूमि से लगभग 83,470 लाख टन का था तथा साल दर साल राज्य का उत्पादन क्षेत्र बढ़ रहा है,  

हल्दी उत्पादन के मुख्य जिले धमतरी, कोरबा, जगदलपुर, सरगुजा, जशपुर, कोंडगाँव, बालोद, सूरजपुर और बलरामपुर है।