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उत्तर प्रदेश भारत देश का सर्वाधिक जिलों वाला राज्य है, जिसमें कुल 75 जिले हैं। आदिगंगा गोमती नदी के तट पर बसा सुलतानपुर इसी राज्य का एक प्रमुख जिला है। सुलतानपुर जिले की स्थानीय बोलचाल की भाषा अवधी और सम्पर्क भाषा खड़ी बोली है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

मैंथा (MInt) को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को मैंथा के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

सुलतानपुर जनपद  गंगा-यमुना के समतल मैदानी भाग में स्थित है। इस जनपद में मटियार मिट्टी पायी जाती है जिसमें जल धारण करने की क्षमता अधिक होती है। यहाँ मुख्य रूप से क्ले, दोमट, भूरी तथा मटियार मिट्टयाँ पायी जाती हैं। भौतिक अध्ययन करने पर इस जनपद की मिट्टयों को निम्नलिखित छः भागों में विभाजित किया जाता है -
1. हल्की भूरी बलुई क्ले दोमट मिट्टी।
2. हल्की भूरी क्ले दोमट मिट्टी।
3. भूरी हल्की बलुई मिट्टी।
4. हल्की भूरी छोटे कण वाली बलुई दोमट मिट्टी।
5. सफद भूरी बलुई क्ले दोमट मिट्टी।
6. भूरी छोटे कण वाली बलुई दोमट मिट्टी।

देश में सरकार ने मैंथा को भी एक जिला एक उत्पाद में शामिल कर लिया है। इससे मैंथा उद्यमी गदगद हैं। उन्हेंं उम्मीद है कि अब उन्हेंं कारोबार को बढ़ाने के लिए और बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी।

यूपी के किसानों के लिए मेंथा की खेती पैसे कमाने का बड़ा जरिया बनकर उभरी है। यही वजह है कि किसानों ने बड़े पैमाने पर मेंथा की खेती का रुख किया है।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक 
भारत दुनिया का सबसे बड़ा मेंथा ऑयल उत्पादक और निर्यातक है. मेंथा ऑयल की सबसे ज्यादा पैदावार यूपी में होती है। देश में होने वाले कुल मेंथा ऑयल के उत्पादन में यूपी की हिस्सेदारी करीब 80 फीसदी है। पश्चिमी यूपी के जिले संभल, रामपुर, चंदौसी मेंथा का उत्पादन करने वाले बड़े क्षेत्र हैं, जबकि लखनऊ के पास बाराबंकी जिला भी मेंथा ऑयल का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है। इसके अलावा पंजाब, बिहार के तराई वाले इलाके और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी मेंथा की खेती हो रही है. मेंथा का इस्तेमाल दवाएं, सौंदर्य उत्पाद, टूथपेस्ट के साथ ही कंफेक्शनरी उत्पादों में सबसे ज्यादा होता है।

पुदीना मेंथा वंश से संबंधित एक बारहमासी, खुशबूदार जड़ी है। इसकी विभिन्न प्रजातियां यूरोप, अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया मे पाइ जाती हैं, साथ ही इसकी कई संकर किस्में भी उपलब्ध हैं।

ऐसा विश्वास किया जाता है कि मेंथा का उद्भव भूमध्यसागरीय बेसिन में हुआ तथा वहॉ से ये प्राकृतिक तथा अन्य तरीकों से संसार के अन्य हिस्सों में फैला, जापानी पोदीना, ब्राजील, पैरागुए, चीन, अर्जेन्टिना, जापान, थाईलैंड, अंगोला, तथा भारतवर्ष में उगाया जा रहा है। भारतवर्ष में मुख्यत: तराई के क्षेत्रों (नैनीताल, बदायूँ, बिलासपुर, रामपुर, मुरादाबाद तथा बरेली) तथा गंगा यमुना दोआन (बाराबंकी, तथा लखनऊ तथा पंजाब के कुछ क्षेत्रों (लुधियाना तथा जलंधर) में उत्तरी-पश्चिमी भारत के क्षेत्रों में इसकी खेती की जा रही है।

उपयोग 
मेन्थोल का उपयोग बड़ी मात्रा में दवाईयों, सौंदर्य प्रसाधनों, कालफेक्शनरी, पेय पदार्थो, सिगरेट, पान मसाला आदि में खुशबू हेतु किया जाता है।
इसके अलावा इसका तेल यूकेलिप्टस के तेल के साथ कई रोगों में काम आता है। ये कभी-कभी गैस दूर करने के लिए, दर्द निवारण हेतु, तथा गठिया आदि में भी उपयोग किया जाता है।