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सुकमा ज़िला भारत के छत्तीसगढ़ राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय सुकमा है। यह राज्य के बस्तर संभाग में एक जिला है। इसकी स्थापना 15 अगस्त 2011 को मुख्यमंत्री रमन सिंह ने की थी। यह जगदलपुर के राष्ट्रीय राजमार्ग 221 से जुड़ा हुआ है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

ज्वार, कोदो-कुटकी आधारित उत्पाद को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में ज्वार, कोदो-कुटकी आधारित उत्पाद के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने देश-विदेश में कोदो, कुटकी, रागी जैसे मिलेट की बढ़ती मांग को देखते हुए प्रदेश में मिशन मोड में मिलेट उत्पादन को बढ़ावा देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में बड़े क्षेत्र में मिलेट का उत्पादन होता है। मिलेट्स के संग्रहण, प्रसंस्करण और वेल्यू एडिशन से किसानों, महिला समूहों और युवाओं के लिए रोजगार के साथ अच्छी आय के साधन विकसित किए जा सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि कोदो, कुटकी और रागी के क्षेत्र तथा उत्पादन में वृद्धि कर प्रसंस्करण के माध्यम से विभिन्न उत्पाद तैयार कर प्रदेश में मिलेट्स की खपत को बढ़ाया जा सकता है। प्रदेश में कांकेर, कोण्डागांव, नारायणपुर, जगदलपुर, दंतेवाड़ा और सुकमा सहित राजनांदगांव, कवर्धा और बेमेतरा तथा सरगुजा के कुछ क्षेत्रों में इनका उत्पादन होता है। उन्होंने कहा कि मिलेट्स का उत्पादन बढ़ाने के लिए चुनिंदा विकासखण्डों में मिलेट क्लस्टर चिन्हांकित कर उन्नत खेती को बढ़ावा दिया जाए। मिलेट्स की खेती से महिला स्व सहायता समूहों को जोड़ा जाए। उन्होंने गढ़कलेवा के व्यंजनों में कोदो, कुटकी और रागी से तैयार व्यंजनों को शामिल करने कहा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ मिलेट्स के साथ मार्केटिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उत्पादन वाले गांवों में छोटी-छोटी प्रसंस्करण इकाईयां लगाई जाएं और हाईजिन का ध्यान में रखते हुए एक या दो केन्द्रों में इनके पैकेजिंग की इकाईयां स्थापित की जाएं।

छत्तीसगढ़ में कोदो-कुटकी मोटे अनाज की फसल है धान के पश्चात् कोदो-कुटकी राज्य की दूसरी प्रमुख उपज है। इसे गरीबों का अनाज कहा जाता है। ज्वार खरीफ एवं रबी दोनों की फसल है, लेकिन ज्वार का खरीफ क्षेत्र अधिक है। यह जून-जुलाई में बोई जाती है एवं सितम्बर-अक्टूबर में काट ली जाती है। कोदो, कुटकी और रागी जैसी फसलें पोषण से भरपूर हैं। देश में इनकी अच्छी मांग है। शहरी क्षेत्रों में बहुत अच्छी कीमत पर ये बिकती हैं।