वॉशिंगटन. 30 जून 2015 साल के बाकी दिनों से थोड़ा लंबा होगा। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के दावे के मुताबिक, एक अतिरिक्त सेकंड (लीप सेकंड) जुड़ने के कारण 30 जून का दिन सामान्य से थोड़ा-सा लंबा होगा। ग्रीन बेल्ट स्थित नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर का कहना है कि धरती का रोटेशन थोड़ा धीमा हो रहा है, जिसे लीप सेकंड्स में गिना जा सकता है।
कोऑर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम (यूटीसी) के मुताबिक, एक दिन में 86,400 सेकंड्स होते है। यूटीसी टाइम स्टैंडर्ड का इस्तेमाल वक्त देखने के लिए किया जाता है। यूटीसी ‘अटॉमिक टाइम' है , जहां एक सेकंड की अवधि सीसियम के एटम्स में होने वाली पूर्वानुमानित इलेक्ट्रोमैगनेटिक ट्रांजिशन्स के आधार पर तय की जाती है।
एक रोटेशन में लगते हैं 86,400.002 सेकंड ये ट्रांजिशन्स इतने विश्वसनीय हैं कि सीसियम क्लॉक 1,400,000 सालों तक एक सेकंड भी एक्युरटली प्रिडिक्ट कर सकती है। हालांकि, एक मीन सौर दिन, यानी एक दिन की औसत लंबाई, इस पर निर्भर करती है कि पृथ्वी को रोटेट करने में कितना समय लगता है। आमतौर पर पृथ्वी को एक रोटेशन में 86,400.002 सेकंड लगते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि मीन सौर दिन 1820 के बाद से 86,400 सेकंड्स लंबा नहीं रहा है। इसलिए 30 जून को ठीक 11:59:59 यूटीसी पर एक लीप सेकंड जोड़ा जाएगा। इसका मतलब यह है कि इस वक्त के बाद नया दिन शुरू होने के बजाए अटॉमिक क्लॉक्स में 11:59:60 बजेंगे। वैज्ञानिकों का मानना है कि एक सेकंड दिन बड़ा होने से कंप्यूटर्स को नुकसान हो सकता है। इससे बचने के लिए ऐसा किया जाना जरूरी है।