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श्रावस्ती भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक जिला है। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित यह जिला उत्तर प्रदेश राज्य के उत्तर-पूर्वी भाग में देवीपाटन प्रमंडल के अंतर्गत आता है। भिनगा शहर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों के लिए पवित्र तीर्थ स्थल होने के कारण श्रावस्ती विश्व भर में प्रसिद्ध है। बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध ने अपने जीवन का सर्वाधिक उपदेश यही दिया था।

अर्थव्यवस्था-कृषि, उद्योग और उत्पाद
श्रावस्ती जिले की अर्थव्यवस्था कृषि, पशुपालन, मछली पालन, वन, खनिज, उद्योग और व्यवसाय पर आधारित है।

कृषि
जिले की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। यहाँ  उगाए जाने वाले प्रमुख फसल हैं: धान, मक्का, गेहूं, ज्वार, दलहन (मसूर और मटर), तिलहन गन्ना और सब्जियां. जिले में उगाए जाने वाले प्रमुख फल हैं: आम, अमरूद, नींबू, कटहल, पपीता और केला।

पशुपालन
ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन जिले के लोगों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण जरिया है। जिले के प्रमुख पशु धन हैं: गाय, बैल, भैंस, सूअर, भेड़, बकरी और पोल्ट्री।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

केला (Banana) को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को केला (Banana)  के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

परंपरागत खेती छोड़ खुनियांव विकास क्षेत्र के आठ से दस गांवों में दो दर्जन से अधिक किसान केले की खेती से समृद्धि की राह तय कर रहे हैं। यहां के केले की आपूर्ति आसपास के बस्ती, संतकबीरनगर, गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती आदि जिलों में भी होती है।

श्रावस्ती जिले में करीब साढ़े तीन हजार हेक्टेयर में केले की खेती होती है। प्रत्यक्ष रूप से इससे दो से ढाई हजार किसान परिवार जुड़ा है, जो इनकी आया का प्रमुख साधन है। वह केले का फल का ही कारोबार करते है।

उद्योग विभाग के उपायुक्त शशि ¨बदु कुमार ने बताया कि एक जिला एक फल योजना के तहत जिले केला की फसल का चयन हुआ है। राज्य सरकारी की ओर से कुछ दिनों पहले जिले का सर्वे किया गया। उसके बाद यहां केले से जुड़े रोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि केले के तने से कपड़ा बनाने के लिए उद्योग शुरू करने वालों को उद्योग विभाग लोन मुहैया कराएगा।

अब मशीन के सहारे केले के तने से रेशे अलग करते हुए उससे रस्सी, कपड़े, बैग, टोपी, आदि व वस्तुओं को निर्माण किया जा सकता है। केले के तने से रेशा निकालते समय जो तरल पदार्थ निकलेगा उसका प्रयोग रंग बनाने में किया जाएगा। साथ ही अन्य अपशिष्ट का प्रयोग मुर्गी दाना व जैविक खाद बनाने में होगा। विभाग की ओर से ऋण लेकर कारोबार शुरू करने वाले युवकों को इसका प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।