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संत कबीर नगर जिला उत्तरी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य 75 जिलों में से एक है। खलीलाबाद शहर जिला मुख्यालय है संत कबीर नगर जिला बस्ती मंडल का एक हिस्सा है। 
संत कबीर नगर जिला उत्तर प्रदेश के बस्ती मंडल का एक हिस्सा है। यहां का जिला मुख्यालय खलीलाबाद शहर है। वर्ष 1997 में उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में संत कबीर नगर जनपद की स्थापना की गई थी। इस जिले का नामकरण प्रख्यात संत (कवि) संत कबीर के नाम पर हुआ था, जो जिले के मगहर नगर में निवास करते थे। इस जिले का विभाजन बस्ती जनपद के 131 ग्रामों एवं सिद्धार्थनगर जनपद के 161 ग्रामों से हुआ है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

चावल (काला नमक वी.आर.) को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को चावल (काला नमक वी.आर.) के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

'काला नमक' चावल बहुत ही उच्च गुणवत्ता वाला चावल का किस्म है। काले रंग की भूसी के चलते इसका नाम 'काला नमक' चावल पड़ गया। इसके महत्त्व का अंदाजा इसी से लग जाता है कि यह चावल सीधे भगवान बुद्ध से जुड़ा माना जाता है और इसलिए इसे 'महात्मा बुद्ध का महाप्रसाद' भी कहते हैं। इस चावल का इतिहास कम से कम 600 ईसा पूर्व या बुद्ध काल से है। प्राचीन काल में यह चावल मूल रूप से उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में उगाया जाता था। आज के सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर, महाराजगंज, बस्ती, गोंडा, गोरखपुर और कुशीनगर जिले इसमें शामिल हैं। वैसे भारत में उगाए जाने वाले सुगंधित चावलों की एक से बढ़कर एक किस्में हैं, लेकिन 'काला नमक' चावल की विशेषता उन सबसे हटकर है।

कालानमक चावल भारत में पैदा होने वाले चावलों में एक बेहतरीन गुणवत्ता और सुगंध वाला चावल है। इसकी भूसी का रंग काला होने के कारण इसका नाम काला नमक पड़ा। बौद्ध काल (600 ई. पू.) से ही इस किस्म की खेती की जा रही है। हिमालय की तराई में स्थित पूर्वी उत्तर प्रदेश, भारत,में चावल की यह किस्म अत्यधिक लोकप्रिय है और यह उत्तर प्रदेश का सुगंधित काला मोती ( सेन्टेड ब्लैक पर्ल) के रूप में जाना जाता है। इसका उल्लेख संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा प्रकाशित पुस्तक " विश्व के विशेषतायुक्त चावल" ( स्पेश्यालिटी राइस ऑव द वर्ल्ड) में भी किया गया है।