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रायगढ़ ज़िला भारत के छत्तीसगढ़ राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय रायगढ़ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत ही जिले के टमाटर को पहचान मिलने वाली है। इसके लिए इसे ओडीओपी यानी एक जिला एक उत्पाद के तहत चयनित किया जाएगा। ओडीओपी में चयनित होने के बाद यहां जो प्रोसेसिंग यूनिट लगायी जाएगी उससे टमाटर के सॉस और जूस बनाए जाएंगे। 

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

टमाटर आधारित उत्पाद को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में टमाटर आधारित उत्पाद के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

टमाटर, हालांकि वानस्पतिक रूप से व्यापार के उद्देश्य से एक फल है, आमतौर पर इसे जिस तरह से खाया जाता है, उसके कारण इसे सब्जी माना जाता है। टमाटर विश्व के सभी भागों में व्यापक रूप से उगाए जाते हैं। टमाटर का उत्पादन और प्रसंस्करण भारत के दो मुख्य मौसमों - अगस्त से अक्टूबर (खरीफ) और दिसंबर से अप्रैल (रबी) में किया जाता है। टमाटर भी ऑफ सीजन (मई से जुलाई) के दौरान उगाए जाते हैं जहां परिस्थितियां अनुकूल होती हैं और संरक्षित खेती के तहत भी। टमाटर विभिन्न फसल प्रणालियों में आसानी से फिट हो जाता है, इसका उच्च आर्थिक मूल्य होता है और फलों को संसाधित, सुखाया, डिब्बाबंद और बोतलबंद किया जा सकता है। इसके अलावा, टमाटर एक स्वस्थ, संतुलित आहार में योगदान करते हैं। टमाटर पोटेशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और कम मात्रा में कैल्शियम से भरपूर होते हैं। टमाटर में विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन बी3 भरपूर मात्रा में होता है। उनके पास अन्य बी विटामिन और विटामिन ई की थोड़ी मात्रा होती है। टमाटर ज्यादातर बड़ी संख्या में छोटे किसानों द्वारा उगाए जाते हैं जिनके पास 1-3 एकड़ भूमि होती है। दक्षिणी और मध्य राज्य आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्यों सहित भारत के अधिकांश उत्पादन का गठन करते हैं। टमाटर का उत्पादन दुनिया भर में बढ़ रहा है क्योंकि उपभोक्ता नवीन, मूल्य वर्धित उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला की मांग कर रहे हैं। टमाटर भारत में किसान और उपभोक्ता दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण फसल है। यह देश के लगभग हर राज्य में बढ़ता है। शहरों में बढ़ते जीवन स्तर और ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से हो रहे शहरीकरण के कारण टमाटर आधारित उत्पादों की खपत लगातार बढ़ने की उम्मीद है। टमाटर के पेस्ट के प्रमुख संस्थागत ग्राहक रेस्तरां हैं। वर्तमान में, केचप/प्यूरी का बाजार, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में, MEGGI और KISSAN जैसे ब्रांडों का दबदबा है। कुछ मध्यम और छोटी कंपनियां भी इसके उत्पादन में लगी हुई हैं। हालांकि, खराब कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे और मूल्यवर्धन के कारण, आपूर्ति श्रृंखला में टमाटर की एक बड़ी मात्रा बर्बाद हो जाती है। इसलिए, टमाटर का प्रसंस्करण न केवल अपव्यय को कम कर सकता है, बल्कि भारत सरकार के MoFPI की सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना के PM-औपचारिकीकरण जैसी सरकारी योजनाओं के माध्यम से सूक्ष्म या लघु स्तर पर उद्यमिता विकास के लिए बहुत बड़ा अवसर प्रदान करता है।

रायगढ़ जिला टमाटर उत्पादन के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है। बीते 39 सालों में जिले में टमाटर उत्पादन का एरिया 1 लाख 57 हजार एकड़ तक पहुंच गया है। वहीं टमाटर उत्पादक किसानों की संख्या भी अब 11 हजार के पार है।

रबी के टमाटर से होती है मोटी कमाई
रायगढ़ जिले में रबी के सीजन का टमाटर मार्च में बाजार में उतरता है, पर इस फसल को सिर्फ वे किसान ही ले पाते हैं जिनके पास सिंचाई के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध होता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिले में रबी सीजन में टमाटर का रकबा 22 सौ हेक्टेयर है। रकबा कम होने से इसका उत्पादन भी कम होता है। इसका सीधा असर बाजार में कीमत पर होता है। रबी सीजन में टमाटर का भाव आसमान में होता है। इस दौरान किसानों की चांदी होती है। बाजार में 25 से 50 रुपए प्रति किलो तक किसानों को आसानी से मिल जाता है।

टमाटर की खेती मुख्य रूप से क्षेत्र के पठारी व पहाड़ी इलाकों में की जाती है। इसमें मुख्य रूप से मड़ईपुर, खोराडीह, खटखरिया, दरवान, इंदिरानगर, सेमरा बरहो, करमा, निकरिका, चौखड़ा, तालर, चितविश्रम, भवानीपुर, दरवान, इंदिरानगर आदि पठारी क्षेत्रों में टमाटर की बड़े पैमाने पर खेती होती है। इन इलाकों में जहां पहाड़ी मिट्टी है वहां टमाटर का कम उत्पादन होता है। काली मिट्टी में उत्पादन बहुत ज्यादा होता है। काली मिट्टी के टमाटर की गुणवत्ता और मात्रा भी अच्छी होती है। व्यापारियों ने गांव में आढ़त खोला है। वे गांव की आढ़त पर ही किसानों का टमाटर खरीदते हैं। वहीं पर टमाटर की छंटनी व पैकिंग होती है। वहीं से गाडिय़ों पर टमाटर लोड करके सीधे मंडियों में चला जाता है। टमाटर के व्यापारी अपने माल को मुगलसराय या अकबरपुर फैजाबाद की मंडियों में ले जाते हैं। मुगलसराय से यह टमाटर पश्चिमी बंगाल व बंग्लादेश भेजा जा रहा है। अकबरपुर फैजाबाद की मंडियों का टमाटर विभिन्न जिलों के अलावा नेपाल भी भेजा जाता है। टमाटर की सबसे बड़ी मंडी सुल्तानपुर में हैं। यहां से टमाटर को दिल्ली व मध्य भारत के प्रदेशों व पाकिस्तान भेजा जा रहा है।