नई दिल्ली. जैसलमेर के पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में खेतोलाई गांव के पास 11 व 13 मई 1998 को भारत की ओर से किए गए परमाणु परीक्षण की अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को भनक तक नहीं लगी थी। इस बात का उसे आज भी मलाल है। किस दिन किस तरह परमाणु परीक्षण करना है इसकी पूरी प्लानिंग डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने की थी। पूरे विश्व में परमाणु संयंत्रों और सैन्य गतिविधियों पर सैटेलाइट से निगरानी करने वाला अमेरिका उस समय हैरान रह गया था, जब उसे मालूम पड़ा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने 11 मई व 13 मई को पोकरण में परमाणु परीक्षण किया है।
ऐसे बचे अमेरिका के जासूसी उपग्रहों से
1974 के बाद 11 मई 1998 को पोकरण में भारत ने परमाणु परीक्षण किया तो विश्व के सारे देश भारत के खिलाफ हो गए। थे। अमेरिका सहित कई देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। लेकिन भारतीय सरकार पीछे नहीं हटी और 13 मई को फिर से परमाणु परीक्षण कर दिया। परीक्षण से पहले भारतीय सेना ने अपनी खुफिया गतिविधियां कश्मीर सहित दूसरे संवेदनशील केंद्रों पर बड़ा दी थी। भारतीय सेना ने दूसरी रेंज में युद्धाभ्यास भी शुरू कर दिया। जिससे अमेरिका के जासूसी उपग्रहों का ध्यान उस तरफ चला गया।
सैन्य अधिकारियों की ड्रेस में थे कलाम सहित अन्य वैज्ञानिक
अमेरिका के जासूसी उपग्रहों की निगाह से बचने के लिए भारतीय सेना ने अपनी सैन्य गतिविधियां दूसके क्षेत्रों में बढ़ा दी थी। इधर कलाम जानते थे कि जैसे ही सैन्य गतिविधियां दूसरे क्षेत्र में संचालित होंगी अमेरिका के जासूसी उपग्रह वहां अपनी चौकसी बढ़ा देगें। जैसे ही वह अपने मकसद में कामयाब हुए रात में उन्होंने पोकरण की मिट्टी के कलर का करीब 500 मीटर का तंबू वहां लगवा दिया। इक्का दुक्का सेना के वाहनों का मूवमेंट वहां होने लगा। कलाम सहित अन्य वैज्ञानिक उन्ही सेना के खुले ट्रकों 45 डिग्री तापमान में वहां सैन्य अधिकारियों के साथ पूरे ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया।
खेतोलाई गांव खाली करवा दिया
खेतोलाई वासियों के अनुसार, परमाणु परीक्षण से पहले उनके इलाके में सेना की गतिविधियां तेज हो गई थी। खेतोलाई निवासियों का कहना था कि परमाणु परीक्षण से कुछ घंटे पहले गांव खाली करवा दिया और दीवारों व पेड़ों की ओट में खड़े रहने की हिदायतें सेना के अधिकारियों ने दी। उस समय लोगों को पता चल गया था कि कुछ न कुछ हो रहा है।
लाफिंग बुद्धा था कोड वर्ड
जानकार सूत्रों के अनुसार, सेना व रक्षा विशेषज्ञों ने 11 व 13 मई को किए गए परमाणु परीक्षा का कोड वर्ड लाफिंग बुद्धा रखा था। परीक्षण सफल होने के बाद फोन कर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लाफिंग बुद्धा (बुद्ध मुस्कराया) के रूप में सफलता का संकेत दिया गया। पूरा कार्यक्रम इतना गुपचुप तरीके से हुआ कि सभी अत्याधुनिक सैटेलाइट तकनीकें धरी रह गई और भारत को बहुत बड़ी कामयाबी मिली।
जैसलमेर व पोकरण का रास्ता रोक दिया गया
11 व 13 मई को हुए परमाणु परीक्षण से दो घंटे पहले तक जैसलमेर व पोखरण के बीच का रास्ता रोक दिया गया। जैसलमेर व पोकरण के बीच आने वाले गांवों व इस सड़क मार्ग पर किसी को आने जाने नहीं दिया। केवल सेना के वाहन ही आते-जाते रहे। जैसे ही परमाणु परीक्षण हुआ जैसलमेर की धरती कांपने लगी और जिन्होंने 1974 का परीक्षण देखा था वे समझ गए कि भारत ने एक बार फिर परमाणु परीक्षण किए हैं।
प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने लिया था जायजा
पोकरण में परमाणु परीक्षण के बाद जहां विश्व के कई देशों ने भारत के ऊपर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। इसके दो दिन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नाडीस सहित सेना के आला अधिकारियों ने पोकरण का दोरा किया था।