नारायणपुर ज़िला भारत के छत्तीसगढ़ राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय नारायणपुर है। यह जिला 11 मई 2007 को बस्तर जिले से कुछ भाग लेकर बनाया गया था। इस जिले में कुल 366 गाँव हैं।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

लघु वनोपज (हर्रा आदि) को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में लघु वनोपज (हर्रा आदि) के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

नारायणपुर/भोर की सुबह हाथ में टोकनी लिए वनवासी अलग-अलग डगर से होते हुए संघन जंगलों एवं पहाडियों की ओर लघु वनोपज संग्रहण के लिए निकल पड़ते हैं। वनांचल क्षेत्र की महिलाएं, बच्चे, युवा और बुजुर्गों में ऐशा खुशनुमा मंजर अक्सर दिखाई देता है। प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए लॉक डाउन अवधि में मिली छूट और शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर वनोपज खरीदी से वनांचलों के वनवासियों को आर्थिक राहत मिली है। घने जंगलों एवं पहाड़ियों से आच्छादित नारायणपुर जिले में यहां के निवासियों के लिए वनोपज संग्रहण एक प्रमुख आय का जरिया है।

जिले में हर्रा, बेहड़ा, इमली, चिरौंजी, आँवला, साल, चरोटा  आदि लघु वनोपज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, इन सभी के संग्रहण करने के फलस्वरूप संग्राहकों को अच्छी आमदनी होती है। शासन द्वारा इन संग्राहकों को शोषण से बचाने एवं वनोपज का उचित दाम दिलाने के उद्देश्य से के लघु वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है। कोरोना संकट के समय में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए महिला स्व सहायता समूह के हजारों महिलाओं के माध्यम से संग्राहकों के घर-घर जाकर निर्धारित मानकों का पालन करते हुए कोरोना संकट के समय भी वनोपज की खरीदी की गयी।

खरीदी के समय ही वनोपज का नकद भुगतान संग्राहकों को किया गया। जिले के 7 प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति के माध्यम से ग्राम स्तर के संग्रहण केन्द्र तथा हॉट-बाजारों के संग्रहण केन्द्रों और वनधन केन्द्रों में महिला स्व-सहायता समूह द्वारा हर्रा, बेहड़ा, इमली, चिरौंजी, आँवला, साल, चरोटा सहित  अन्य वनोपजों की 21 हजार 468 क्विंटल खरीदी की गई, जिसके एवज में 26 हजार 756 वनोपज संग्राहकों को 5 करोड़ 93 लाख रूपये का भुगतान किया गया। स्व-सहायता समूहों के माध्यम से लघु वनोपज की खरीदी व्यवस्था से शुरू होने से महिलाओं को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हुए हैं, इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना अंतर्गत लघु वनोपज संग्रहण दर प्रति किलो ग्राम अनुसार निर्धारित की गई है। जिनमें सालबीज 20 रुपये, हर्रा-15, इमली बीज सहित 31, चिरौंजी गुठली-109, महुआ बीज-25, कुसुमी लाख 225, रंगीनी लाख-150, कालमेघ-33, बहेड़ा-17, नागरमोथा-27, कुल्लू गोंद-120 पुवाड़-14, बेलगुदा-27, शहद-195, फूल झाडू-30, महुआ फूल (सूखा)-17, जामुन बीज (सूखा)-36, कौंच बीज-18, धावई फूल (सूखा)-32, करंज बीज-19, वायवडिंग-81 एवं आंवला (बीज सहित)-45 रुपए निर्धारित है।