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नांदेड़ (Nanded) भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित एक नगर है। यह नांदेड़ ज़िले का मुख्यालय है और महाराष्ट्र का आठवाँ सबसे बड़ा शहर है। नांदेड़ दक्कन के पठार में गोदावरी नदी के तट पर बसा हुआ है।

महराष्ट्र के नांदेड़ जिले में मसाला आधारित उत्पाद (हल्दी, मिर्च- पाउडर आदि) को एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत चयनित किया गया। 

भारतीय मसालों में हल्दी का एक अलग ही महत्व है। यही कारण है कि आपको हर घर की रसोई में हल्दी ज़रूर मिलेगी। हल्दी खाने का स्वाद और रंग रूप तो बढ़ाती ही है साथ ही यह कई तरह के रोगों से भी रक्षा करती है प्राचीन काल से ही हल्दी को जड़ी बूटी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.अगर हल्दी उत्पादन की बात कीजिये तो महारष्ट्र का भी एक बड़ा योगदान रहा है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार, तेलंगाना और महाराष्ट्र भारत के 8,89,000 टन हल्दी उत्पादन का 50 प्रतिशत से अधिक योगदान देते हैं। तेलंगाना में 2,94,560 टन हल्दी का उत्पादन होता है जबकि महाराष्ट्र में 1,90,090 टन उत्पादन होता है।

भारत में हल्दी की खेती के लिए अनुकूल जलवायु के कारण, हल्दी को जम्मू और कश्मीर से कन्याकुमारी तक उगाया जा सकता है चूंकि महाराष्ट्र की जलवायु हल्दी की खेती के लिए बहुत अनुकूल है, इसलिए महाराष्ट्र में हल्दी क्षेत्र में वृद्धि की संभावना है इसके लिए महत्वपूर्ण मामलों पर निरंतर विचार करने की आवश्यकता है, हल्दी की कीमतों में निरंतर उतार-चढ़ाव, उन्नत किस्मों के तहत अपर्याप्त क्षेत्र, जैविक खाद की कमी, खेती की उच्च लागत, नियंत्रित बाजार की कमी, यांत्रिक कटाई आदि को ध्यान में रखते हुए उत्पादन को अधिकतम करने का प्रयास करना अनिवार्य है हमारे दैनिक आहार में हल्दी का एक अनूठा सामान्य महत्व है।

नकदी फसलों में लाल मिर्च भारत में बेहद अहम मानी जाती है। पूरे देश में इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। मुख्यतौर पर कई तरह की कढ़ी और चटनी में इसका खास इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल सब्जी, मसाले, छौंक लगाने में, सॉस और अचार में बेहद लोकप्रिय है और जिसके बिना हमारी थाली का स्वाद अधूरा लगता है। लाल मिर्च का प्रयोग कई तरह से किया जाता है, जैसे कि कढ़ी पाउडर को स्वादिष्ट बनाने में। मिर्च में लाल रंग का जिम्मेदार कारक “कैपसेन्थिम’ है। वहीं, मिर्च में तीखापन के लिए कैपसाइसिन नाम का अल्केलॉयड जिम्मेदार है। मिर्च से इसी अल्केलॉयड या क्षाराभ को निकाला जाता है जिसका इस्तेमाल दवाई में किया जाता है।