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मथुरा भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय मथुरा है। मथुरा, भगवान कृष्ण की जन्मस्थली और भारत की प्राचीन नगरी है। हालांकि उत्खनन द्वारा प्राप्त इस नगर का साक्ष्य कुषाण कालीन है। पुराण कथा अनुसार शूरसेन देश की यहाँ राजधानी थी। पौराणिक साहित्य में मथुरा को अनेक नामों से संबोधित किया गया है जैसे- शूरसेन नगरी, मधुपुरी, मधुनगरी, मधुरा आदि। भारतवर्ष का वह भाग जो हिमालय और विंध्याचल के बीच में पड़ता है, जो प्राचीनकाल में आर्यावर्त कहलाता था। यह यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

दूध उत्पाद (पेडा) को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में दूध उत्पाद (पेडा) के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

मथुरा का पेड़ा एक भारतीय मिठाई है जिसका उद्भव मथुरा शहर से हुआ है। मावा या खोआ से बनी मिठाइयाँ उत्तर भारत मे बहुत लोकप्रिय हैं तथा पेड़ा मावे से बनने वाली मिठाई है। भारत मे मथुरा के पेड़े इस कदर प्रसिद्ध हैं कि यह शब्द भाषा मे अलंकार के रूप मे प्रयुक्त होता है जैसे कि "मथुरा का पेड़ा औ छत्तीसगढ़ का खेड़ा"। पेड़े के लिए मथुरा एक ट्रेडमार्क है। मथुरा भ्रमण के दौरान मथुरा के पेड़े, मेवा वाटी पेड़े व निर्यात क्वालिटी के पेड़े आगंतुकों का ध्यान आकर्षित करते हैं।

कृष्ण जन्मभूमि मथुरा में पेड़ा लोकप्रिय प्रसाद है। पेड़े को ताजे मावे, दूध, चीनी व घी में सुवास हेतु कालीमिर्च चूर्ण मिलाकर बनाया जाता है। भारत में जन्माष्टमी की छुट्टियाँ पेड़े के स्वाद के बिना अधूरी मानी जाती हैं। हर साल जन्माष्टमी पर पेड़े बनते हैं जिनसे भगवान कृष्ण को भोग लगाया जाता है तथा व्रत खंडन पेड़े से ही किया जाता है।