कुपवाड़ा ज़िला भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य का एक ज़िला है। इस ज़िले का मुख्यालय कुपवाड़ा शहर है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

अखरोट उत्पाद को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में अखरोट उत्पाद के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

जम्मू और कश्मीर हर साल लगभग 3.5 लाख क्विंटल अखरोट का उत्पादन करता है, इस प्रकार भारत में अखरोट के कुल उत्पादन का लगभग 98 प्रतिशत योगदान देता है। इसमें से अकेले कश्मीर घाटी में 95 प्रतिशत उत्पादन होता है और शेष जम्मू क्षेत्र के डोडा और किश्तवाड़ जिलों में उगाया जाता है। फल विदेशी भंडार के मामले में भी भारी राजस्व अर्जित करता है क्योंकि इसे यूरोप में निर्यात किया जाता है जहां भारत की बाजार हिस्सेदारी का करीब 20 प्रतिशत है। भारत में अखरोट की कुल आवश्यकता 2020-21 तक वर्तमान में उत्पादित 3.6 लाख क्विंटल से बढ़कर 7.25 लाख क्विंटल होने का अनुमान है।


अखरोट (Walnut) पतझड़ करने वाले बहुत सुन्दर और सुगन्धित पेड़ होते हैं। अखरोट का फल एक प्रकार का सूखा मेवा है जो खाने के लिये उपयोग में लाया जाता है। अखरोट का बाह्य आवरण एकदम कठोर होता है और अंदर मानव मस्तिष्क के जैसे आकार वाली गिरी होती है। अखरोट की खेती या बागवानी भारत देश में मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रो में की जाती है। इसका अधिकतम उपयोग मिष्ठान उद्योग में किया जाता है। भारत में इसकी खेती हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, कश्मीर के कुपवाड़ा, उड़ी, द्रास और पूंछ बर्फीली घाटियों में और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में की जाती है।

अखरोट का पेड़ जुगलैंडी के परिवार का है और इसका आकार बहुत बड़ा होता है और इसकी ऊंचाई 50 से 75 फीट तक होती है। अखरोट के पेड़ 5000 फीट से 8000 फीट की ऊंचाई के बीच पड़ने वाले क्षेत्रों में अनुकूल रूप से उगाए जाते हैं। कश्मीर देश में कुल अखरोट उत्पादन में प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में अपनी स्थिति प्राप्त करता है। नाजुक स्वाद, स्वाद और सुगंध वास्तव में अद्वितीय और स्वादिष्ट हैं। यही कारण है कि इस फल की देश के साथ-साथ दुनिया के बाकी हिस्सों में भी काफी मांग है। 10-15 वर्षों की लंबी गर्भधारण अवधि देश में अखरोट उत्पादकों के विकास में बाधा बन रही है; हालाँकि, सरकार ने कश्मीर घाटी में अखरोट के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को विभिन्न खेती के तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कुछ कदम और उपाय किए हैं।
 
कश्मीर में अखरोट के पेड़ कुपवाड़ा और शोपियां क्षेत्र में बहुतायत से उगाए जाते हैं। पहले शोपियां कश्मीर में सबसे बड़ा अखरोट उगाने वाला क्षेत्र था और अब कुपवाड़ा ने शोपियां को पीछे छोड़ दिया है और सबसे बड़े अखरोट उत्पादक क्षेत्र के रूप में प्रशंसित है।

बुवाई का समय
अखरोट की पौध नर्सरी में रोपाई से लगभग एक साल पहले मई और जून माह में तैयार की जाती हैं। अखरोट के पौध रोपण का उचित समय दिसम्बर से मार्च तक है, परन्तु दिसम्बर महीना अधिक उपयुक्त है।

जम्मू कश्मीर में किसान बड़े पैमाने पर सेब की खेती करते हैं। लेकिन इधर कुछ सालों से वहां के किसानों के बीच लैवेंडर और अखरोट की खेती का चलन तेजी से बढ़ा है। कई ऐसे किसान हैं जो पारंपरिक खेती से इतर अखरोट की खेती (Walnut Cultivation) से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। जम्मू-कश्मीर सरकार का बागवानी विभाग भी किसानों के लिए इस फसल की नई-नई तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चला रहा है।

अखरोट की खेती पहाड़ी क्षेत्रों में की जाती है और ठंड का मौसम इसके लिए काफी उपयुक्त माना जाता है। रोपण से कुछ महीने पहले पहले किसान भाई नर्सरी और ग्राफ्टिंग विधि से इसका पौध तैयार करना शुरू कर देते हैं। पौध तैयार करने के बाद दिसंबर और जनवरी के महीने में इसकी खेतों में इसकी रोपाई करना शुरू कर दिया जाता है।

अखरोट कश्मीर के लगभग हर इलाके मेें और जम्मू संभाग के उच्च पर्वतीय इलाकों में पैदा होता है, इसे उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय द्वारा आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत एक जिला-एक उत्पाद योजना के तहत भेजा गया है।

देश के कुल उत्पादन का 98 प्रतिशत जम्मू कश्मीर मेें पैदा होता है। दुनिया में अखरोट की पैदावार के मामले में भारत आठवें स्थान पर है। भारत के कुल उत्पादन का 98 प्रतिशत जम्मू कश्मीर मेें ही पैदा होता है। जम्मू कश्मीर में करीब 89 हजार हेक्टेयर जमीन पर अखरोट के पेड़ हैं, जो सालाना 2.66 लाख टन की पैदावार देते हैं।

कश्मीर का अखरोट पूरी तरह जैविक : कश्मीर का अखरोट दुनिया में सबसे बेहतरीन माना जाता है, क्योंकि यह पूरी तरह जैविक होता है। कश्मीर में अखरोट के पेड़ों पर किसी भी तरह का रसायनिक छिड़काव नहीं किया जाता और न इसकी साफ सफाई में कोई हानिकारक रसायन इस्तेमाल होता है। कश्मीरी अखरोट अमेरिका, चीन, चिली के अखरोट के मुकाबले ज्यादा तैलीय है।