कोंडागाँव ज़िला भारत के छत्तीसगढ़ राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय कोंडागाँव है। मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने 15 अगस्त 2011 को 9 और नए ज़िलों की घोषणा की, जो 1 जनवरी 2012 से अस्तित्व में आ गए।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

काजू आधारित उत्पाद को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री मेंकाजू आधारित उत्पाद के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

काजू (एनाकार्डियम ऑक्सिडेंटेल) भारत में बारहमासी बागवानी फसलों का उत्पादन करने वाले सबसे बड़े विदेशी मुद्रा में से एक है। हालाँकि, यह 16वीं शताब्दी में पुर्तगाली यात्रियों द्वारा मुख्य रूप से मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए भारत में लाई गई एक विदेशी बागवानी फसल है, लेकिन अब भारतीय परिस्थितियों में अच्छी तरह से अनुकूलित है। काजू भारत, ब्राजील, वियतनाम, तंजानिया, मोजाम्बिक, श्रीलंका, इंडोनेशिया और अन्य उष्णकटिबंधीय एशियाई देशों जैसे फिलीपींस, थाईलैंड और अफ्रीकी देशों जैसे केन्या और नाइजीरिया में उगाया जाता है। वर्तमान में, यह दुनिया भर के 28 से अधिक देशों में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। काजू उत्पादन के साथ-साथ क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत प्रथम स्थान पर है। भारत में काजू की खेती मुख्य रूप से प्रायद्वीपीय क्षेत्रों तक ही सीमित है। यह पश्चिमी तट के साथ केरल, कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र में और पूर्वी तट के साथ तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में उगाया जाता है। एक सीमित सीमा तक छत्तीसगढ़, झारखंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भी काजू की खेती और उत्पादन में हिस्सा लेते हैं। यह छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र और कर्नाटक के मैदानी क्षेत्रों, गुजरात, झारखंड और पूर्वोत्तर राज्यों के उच्च क्षेत्रों जैसे गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में फैल रहा है। इसके उच्च पोषण मूल्य और उपभोक्ताओं द्वारा बढ़ती सामर्थ्य के कारण, भारत और विदेशों दोनों में काजू की मांग लगातार बढ़ रही है।

कोंडागाँव जिले में आम, काजू, केला, कटहल तथा नारियल के भी बगीचे हैं। कोंडागांव जिले में एक हजार 408 हेक्टेयर में आम, चार हजार 88 हेक्टेयर में काजू तथा 500-500 हेक्टेयर में केला, कटहल और नारियल के बगीचे हैं। यहां मसाला फसलों में मिर्ची की अच्छी फसल होती है। बीते वित्तीय वर्ष में 29 हजार हेक्टेयर में सब्जी की फसल ली गयी।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज कोण्डागांव जिले में सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए लगभग 20 करोड़ रूपए की लागत की ‘सुगंधित कोण्डानार‘ (एरोमेटिक कोण्डानार) परियोजना का वर्चुअल शुभारंभ किया।

इस परियोजना में कोण्डागांव जिले में 2 हजार एकड़ भूमि पर सुगंधित फसलों की खेती की जाएगी। इस परियोजना के तहत् किसानों के समूह एरोमा हब द्वारा सुगंधित फसलों की सात प्रजातियों लेमन ग्रास, पामारोजा, पचौली, मुनगा, अमाड़ी, वैटीवर, तुलसी की खेती की जाएगी। सुगंधित फसलों को प्रोसेसिंग के लिए कोण्डागांव में स्थापित होने वाली प्रसंस्करण इकाई में भेजा जाएगा। इस परियोजना से जुड़े किसानों को प्रति एकड़ सालाना लगभग एक लाख रूपए की आमदनी होगी।

इस परियोजना के लिए चिन्हित की गई भूमि में वन विभाग की एक हजार 575 एकड़ जमीन और 425 एकड़ भूमि व्यक्तिगत जमीन शामिल है। सुगंधित फसलों की कृषि के तहत् 200 परिवार प्रत्यक्ष रूप से और 750 परिवार परोक्ष रूप से लाभांवित होंगे। परियोजना में पहले ही वर्ष में 20 करोड़ रूपये की आय अनुमानित है और बाद के वर्षों में इसमें निरंतर बढ़ोत्तरी भी होती जाएगी।

इसके अलावा इन सुगंधित फसलों के बीच काजू, नारियल, लीची, कस्टर्ड सेब इंटरक्राप पेटर्न में उगाया जाएगा। सुगंधित फसलों के प्रसंस्करण से एसेंशियन ऑयल तैयार करने के लिए प्रसंस्करण यूनिट कोण्डागांव में लगाई जाएगी। इसके लिए आज कार्यक्रम के दौरान ही सन फ्लेक एग्रो प्रायवेट लिमिटेड और कोण्डागांव जिला प्रशासन के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। इस प्रसंस्करण प्लांट की क्षमता 5 हजार मेट्रिक टन होगी, जिसमें 250 लोगों को रोजगार मिलेगा।

Kondagaon जिले की प्रमुख फसलें