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कानपुर देहात भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय माती (अकबरपुर) है। गंगा-यमुना दोआब के दक्षिणी हिस्से में स्थित यह जिला कानपुर प्रमंडल के अंतर्गत आता है। अकबरपुर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है।  कानपुर देहात जिला पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक स्थलों जैसे वाणेश्वर महादेव मंदिर, कात्यायनी देवी (कथरी देवी) का मंदिर और परहुल देवी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत खाद्य प्रसंस्करण सूक्ष्म इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना का आरंभ किया गया है। इस योजना के अंतर्गत असंगठित क्षेत्र के इकाईयों को एकत्र कर उन्हें आर्थिक और विपणन की दृष्टि से मजबूत किया जाएगा। 

दुग्ध उत्पाद को किया गया चयनित
एक जिला एक उत्पाद के अंतर्गत जिले को खाद्य सामग्री में दुग्ध उत्पाद के लिए चयनित किया गया है। जिसकी यूनिट लगाने पर मार्केटिग, पैकेजिग, फाइनेंशियल मदद, ब्रांडिग की मदद इस योजना के अंतर्गत किसानों को मिलेगी।

कानपुर देहात जिले में ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) में अभी तक स्टेंसिल व प्लास्टिक से बने उत्पाद शामिल थे। अब प्रसंस्करण कर दूध से बने उत्पादों पनीर, घी व खोया आदि को भी शामिल किया गया है। जिले में लगभग दो लाख दूध उत्पादक हैं और बड़े स्तर पर दूध का उत्पादन होता है। ओडीओपी में शामिल होने पर यहां इकाईयों की स्थापना होगी। अन्य निजी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा का सीधा फायदा दूध उत्पादकों को होगा। कामगारों को रोजगार मिलेगा।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कृषि उपजों एवं उत्पादों को व्यवसायिक रूप देने के उद्देश्य से खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने जिले के लिए दूध से बने उत्पादों को शामिल किया है। अभी तक जिले में पशुपालक के लिए दूध डेयरी या फिर घरेलू बाजार उपलब्ध है। जबकि कानपुर में भी बड़ी मात्रा में दूध की बिक्री होती है।

उत्तर प्रदेश में दूध उत्पादन औसतन नौ लाख मीट्रिक टन सालाना की दर से बढ़ने के साथ,उत्तर प्रदेश अब पूरे देश में सबसे आगे है।

श्वेतक्रांति से अब ग्रामीणों की किस्मत बदलेगी। प्रशासन ने दूध उत्पादन बढ़ाने का खाका तैयार किया है। इससे जिला दूध उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा। लोगों की आमदनी भी बढ़ेगी। जिला प्रशासन ने दूध के मामले में जिले को न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाने की योजना बनाई है बल्कि स्थानीय स्तर पर ही दूध के उत्पाद भी बनाए जाएंगे। गांव गांव में इसके लिए दुग्ध समितियां बनेगी। एक दुग्ध समिति में 50 से 60 लोगों को शामिल किया जाएगा। समिति के सदस्यों को पशु पालन के लिए आर्थिक मदद दी जाएगी। वहीं दूध जो भी दूध उत्पादन होगा। उसे सीधे सरकारी डेयरी खरीदेगी।