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हाथरस ज़िला जिसे बीच में महामायानगर जिले के नाम से जाना जाता था, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक ज़िला है। जिले का मुख्यालय हाथरस है और यह अलीगढ़ मण्डल का एक हिस्सा है।

हाथरस उत्तर भारत के बृज परिक्षेत्र के अंतर्गत आता है एवं अपने औद्योगिक, साहित्य एवं सांस्कृतिक कलाओं के लिए प्रख्यात है। पुराणों एवं ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार यह जिला महाभारत के समय से स्थापित है। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान हाथरस औद्योगिक केंद्र माना जाता था। कपास मिल, चाकू, हींग एवं देसी घी के उत्पादों के यहां पर प्रमुख रूप से उद्योग स्थापित थे। यहां के प्रमुख उत्पाद चीनी एवं अनाज हैं। वर्तमान में हाथरस को होली के रंगों एवं गुलाल स्किन पाउडर, रेडीमेड कपड़े, रसायनों, कालीन बनाने, कृत्रिम मूंगा-मोती, पीतल, आर्टवेयर एवं हार्डवेयर, खाद्य तेल, मेटल हस्तशिल्प एवं पेय उत्पाद के लिए जाना जाता है। हाथरस जिला मुख्य रूप से कृषि के लिए जाना जाता है एवं यहां लगभग 70% आबादी आज भी कृषि एवं संबंधित कार्यों से जुड़ी हुई है।

हाथरस लगभग पिछली एक शताब्दी से हींग का उत्पादन बड़े स्तर पर करता आ रहा है। इससे इस जिले को अलग पहचान एवं साख मिली है। कच्चा हींग प्रमुख रूप से अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान एवं उज़्बेकिस्तान जैसे देशों से आयात किया जाता है। हींग बतौर उत्पाद भारतीय परिवारों में नित्य उपयोग उत्पाद के तौर पर अपनी औषधीय गुणवत्ता के कारण सदियों से इस्तेमाल किया जाता रहा है। हाथरस में विभिन्न समुदायों के लोग हींग उत्पादन के जरिए रोज़गार प्राप्त कर रहे हैं। यहां पर मौजूदा उपकरणों को हटाकर आधुनिक मशीनों को स्थापित किए जाने की भी जरूरत है।

हाथरस की हींग अपनी गुणवत्ता और खुशबू के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इसकी बेहतरीन क्वालिटी का मुख्य कारण है कि हाथरस में हींग बनाने के लिए दूध अफगानिस्तान से आता है। एक बात हाथरस की हींग के बारे में बहुत प्रसिद्ध है कि आपके हींग मार्केट से गुजरने मात्र से ही आपके कपड़ों से हींग की सुगंध आने लगती है।

हाथरस हींग उत्पादन का बड़ा केंद्र हैं। हाथरस की हींग को प्रदेश सरकार ने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना में भी शामिल किया है। हींग उत्पादन के लिए अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और कजाकिस्तान से कच्चे माल की आपूर्ति होती है। वहां से रेजनी (दूध) आता है। यह दूध वहां पाए जाने वाले हींग के पौधे से निकलता है। इससे हाथरस में हींग तैयार की जाती है। यहां हींग की करीब चार दर्जन फैक्टरियां हैं।

हाथरस की विश्व में पहचान यहां की हींग और रंग गुलाल के लिए है। हाथरस को हींग की मंडी कहा जाता है। यहां हींग की 60 फैक्ट्रियां हैं जिनसे लगभग 70 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार होता है। हींग के कारोबार ने हाथरस के करीब पंद्रह हजार लोगों को रोजगार दिया है। यहां से तैयार हींग कुवैत, सऊदी अरब, बहरीन आदि देशों में मुख्य रूप से एक्सपोर्ट होती है। इसी तरह यहां बनने वाले रंग गुलाल की देश के अलावा विदेशों में भी बड़ी मांग रहती है। होली के प्रसिद्ध यूपी के ब्रज इलाके में हाथरस के बने गुलाल से ही रंग खेला जाता है। यहां गुलाल बनाने की 20 फैक्ट्र‍ियां हैं। हाथरस में गुलाल का कारोबार 30 करोड़ रुपए सालाना का है। इस कारोबार में पांच हजार लोग जुड़े हुए है।