गरियाबंद ज़िला भारत के छत्तीसगढ़ राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय गरियाबंद है। ज़िले की स्थापना 01-01-2012 को, तथा लोकार्पण 11-01-2012 (राज्य का 20वाँ जिला) को हुआ। ‍इसमे 5 विकास खण्ड आता है- फिंगेश्वर, मैनपूर, छुरा, देवभोग और गरियाबन्द। ज़िला वन से ढका हुआ है और भूमि का 50.41% वनित क्षेत्र है, जबकि अन्य भाग में कृषि होती है।

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना-पी.एम.एफ.एम.ई अंतर्गत गरियाबंद जिले का चयन किया गया है। भारत सरकार द्वारा राज्य के एकमात्र गरियाबंद जिला में लघु वनोपजों के उत्पादन और संग्रहण को देखते हुए चयन किया गया है। आज वन विभाग के ऑक्सन हॉल में इस संबंध में कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें योजना की आधारभूत जानकारी एवं लघु वनोपज के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन के संबंध में पावर पाइंट प्रस्तुतीकरण किया गया।  कार्यशाला में कलेक्टर श्री निलेश क्षीरसागर ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि जिले के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। जिले में लघु वनोपजों के संग्रहण और गुणवत्ता को देखते हुए इस जिले का चयन किया गया है। उन्होंने कहा कि यहा मिनी फूड पार्क और प्रसंस्करण केन्द्र खोलने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि जिले में लाख, चिरौंजी, सरई बीज का बहुतायत मात्रा में उत्पादन होता है। यहां के सरई बीजों का विदेशों में भरपूर मांग है। यदि स्थानीय स्तर पर प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर इसका वेल्यु एडीशन किया जाए तो बेहतर दाम मिल सकता है। योजना अंतर्गत रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। वन मण्डलाधिकारी श्री मयंक अग्रवाल ने बताया कि पिछले वर्ष 26 हजार क्विंटल लघु वनोपजों का संग्रहण किया गया है, जो कि एक उपलब्धि है। इससे संग्राहकों को 15 करोड़ रूपये का लाभ हुआ है। उन्होंने बताया कि संग्रहण के पश्चात वनधन केन्द्रोें में प्रसंस्करण का सिस्टम बनाया गया है। जिले में संजीवनी केन्द्रों के माध्यम से इसका विक्रय किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष लगभग 3 हजार क्विंटल चिरौंजी का संग्रहण किया गया है। जिला पंचायत सीईओ श्री संदीप अग्रवाल ने कहा कि जिले के विकास में उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उद्योग से ही रोजागार के अवसर बढ़ते है। उन्होंने बताया कि बिहान अंतर्गत जिले में 8 हजार 500 समूह गठित किये गये है, जो अलग-अलग गतिविधियों के माध्यम से आय अर्जित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत 241 महिला सदस्यों का चयन किया गया है। जिनके लिए 60 लाख रुपये उद्योग विभाग द्वारा जारी किये जायेंगे। अधिकारियों द्वारा इस अवसर पर लगाये गए लघु वनोपजों के उत्पादों के स्टॉल का अवलोकन किया गया।

जिला प्रशासन द्वारा जिले में लघु वनोपज प्रसंस्करण स्थापना के लिए तैयारी की जा रही है। देवभोग अंचल में पहला मक्का प्रसंस्करण केंद्र बनाने का निर्णय प्रशासन ने लिया है। इसके अवाला जिले में लाख पालन, शहद और चिरौंजी गुठली प्रसंस्करण केंद्र के लिए परियोजना प्रस्तावित की गई है। जिसमें मैनपुर परिक्षेत्र में शहद पालन, गरियाबंद में मशरूम और वर्मी कंपोस्ट, छुरा, नवागढ़ और धुरवागुड़ी परिक्षेत्र में लाख पालन तथा देवभोग परिक्षेत्र में चिरौंजी गुठली प्रसंस्करण केंद्र के लिए प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे। जिले में कुल 70 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से 15 प्रकार के कच्चे लघु वनोपज का संग्रहण किया जाता है। गरियाबंद वन मंडल ने बहुतायत मात्र में चिरौंजी, इमली, हर्रा, साल बीज, लाख और महुआ बीज का उत्पादन होता है। वर्तमान में वन औषधि प्रसंस्करण केंद्र केशोडार एवं लाख प्रसंस्करण केंद्र नवागढ़ में संचालित है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इस वर्ष लघु वनोपजों के खरीदी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है।