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गुड़ एक अशोधित प्राकृतिक चीनी है जोकि किसी प्रकार के रसायन का उपयोग किए बिना उत्पादित किया जाता है। भारत में कुल गुड़ उत्पादन का 70% से अधिक उत्पादन किया जाता है। गुड़ को लोकप्रिय रूप से "औषधीय चीनी" के नाम से जाना जाता है और पोषकता के आधार पर यह शहद के साथ तुलनीय है। 3000 वर्षों से इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में मीठे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा में गुड़ को गले और फेफड़ों के संक्रमण और इलाज में फायदेमंद समझा जाता है।  
बेकरी और कन्फेक्शनरी उत्पादों में पोषक तत्व, विटामिन और प्रोटीन मिलाए जाते है। इन्हें बिस्कुट, ब्रेड, केक, पेस्ट्री, बन्स, रस्क और रोल आदि बेकरी उत्पाद में स्वादिष्ट पदार्थ के तौर पर शामिल किया जाता है।

भारतीय संस्कृति में शगुन और सेहत दोनों दृष्टि से उपयोगी माने जाने वाले गुड़ का उत्पादन अब चित्तौडगढ़ जिले में और बढ़ेगा। सरकार की कृषि जिंसों के लिए एक जिला-एक प्रमुख उत्पाद योजना में चयनित चित्तौड़गढ़ जिले के लिए गुड़ को मुख्य उत्पाद चुना गया। यहां गुड़ प्रोसेसिंग इकाइयां लगाने की योजना स्वीकृत की गई। सरकारी अनुदान और मदद से गन्ना उत्पादक किसान गुड़ बनाकर मार्केटिंग करते हुए मुनाफा कमा सकेंगे।

चित्तौडगढ़ जिला गन्ना उत्पादन में अग्रणी था, इसलिए गुड़ प्रोसेसिंग के लिए चुना... किसी जमाने में जिले में बड़ी मात्रा में खेतों में गन्ना उगाया जाता था। इसी कारण भूपालसागर में शुगर मिल भी थी। हालांकि अब न तो शुगर मिल चल रही है और न गन्ने का बड़ा उत्पादन रहा पर पुराने आंकडों व सर्वे को देखते हुए चित्तौड़ जिले में इस योजना के तहत गुड़ को चुना गया। तीन दशक पहले तक हजारों हेक्टेयर में गन्ना उत्पादन होता था। कुछ सालों से फिर थोड़ी रुचि बढ़ी है। वर्तमान में गंगरार, चित्तौड़गढ़ व कपासन क्षेत्र में करीब 700 हेक्टयर में गुड़ उत्पादन हो रहा है। देवरी, गंगरार, सुदरी, आजोलिया का खेड़ा, सिंहपुर, सरोपा, लांगच, कोदियाखेडी, भंवरकिया जैसे गांव गुड़ के लिए पहचान रखते हैं।

चित्तौडगढ़ में स्थित देवरी कस्बा देसी गुड़ के हब के रूप में पहचान रखने लगा है। इसका कारण यह है कि यहां शुद्ध एवं ताजा गुड उपलब्ध होता है। सबसे बड़ी बात यह कि गुड़ बनाने की किसी भी प्रक्रिया में केमिकल अथवा ऐसे किसी वस्तु का उपयोग नहीं होता, जिससे कि शरीर के लिए हानिकारक हो। देवरी के गुड़ की मिठास दूर तक जाती है। पूरी तरह से ग्रामीण क्षेत्र होने के बावजूद यहां की विशेषता है कि यहां के गुड़ की मिठास दूर-दूर तक जाती है। यहां करीब आधा दर्जन गुड़ के भट्टे (चरकियां) हैं, जहां गन्ने से रस निकाल उसे गर्म कर गुड़ तैयार किया जाता है।