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बीकानेर, राजस्थान (भारत) में मोठ (भुजिया, नमकीन, पापड़ स्नैक्स) को एक जिला एक उत्पाद योजना में चयनित किया गया।

बीकानेरी भुजिया, मोठ की दाल, बेसन और कई अन्य मुंह में पानी लाने वाले मसालों से बने लोकप्रिय कुरकुरे नाश्ते में से एक है। यह बीकानेर से निकलती है। बीकानेरी भुजिया बंगाल के रसगुल्ला और संदेश मिठाई के रूप में प्रसिद्ध है। यह आमतौर पर एक टीटाइम "स्नैक" के साथ परोसा जाता है।

बीकानेरी भुजिया यह राजस्थान के बीकानेर के नाम से जुड़ी हुई है। यह एक बेसन के बारीक सेव या जवे जैसे बनाकर खाद्य तेल में तले जाने पर बनती है। इसमें बेसन के अलावा मूंग, मोठ मटर आदि के आटे भी मिलाए जाते हैं। साथ ही कई मसाले भी डाले जाते हैं। यह सिर्फ बीकानेर ही नहीं बल्कि राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार तथा पश्चिम बंगाल में भी बहुत लोकप्रिय है।

भुजिया व पापड़ बीकानेर का अहम उद्योग है।

बीकानेर का अधिकांश हिस्सा अनुपजाऊ एंव जलविहीन मरुभूमि का एक अंश है। जगह-जगह रेतीले टीलें हैं जो बहुत ऊँचे भी हैं। बीकानेर का दक्षिण-पश्चिम में मगरा नाम की पथरीली भूमि है जहाँ अच्छी वर्षा हो जाने पर किसी प्रकार पैदावार हो जाती है। उत्तर-पूर्व की भूमि का रंग कुछ पीलापन लिए हुए हैं तथा उपजाऊ है।

यहाँ अधिकांश भागों में खरीफ फसल होती है। ये मुख्यत: बाजरा, मोठ, ज्वार,तिल और रुई है। रबी की फसल अर्थात गेंहु, जौ, सरसो, चना आदि केवल पूर्वी भाग तक ही सीमित है। नहर से सींची जानेवाली भूमि में अब गेंहु, मक्का, रुई, गन्ना इत्यादि पैदा होने लगे है।

खरीफ की फसल यहाँ प्रमुख गिनी जाती है। बाजरा यहाँ की मुख्य पैदावार है। यहाँ के प्रमुख फल तरबूज एवं ककड़ी हैं। यहाँ तरबूज की अच्छी कि बहुतायत से होती है। अब नहरों के आ जाने के कारण नारंगी, नींबू, अनार, अमरुद, आदि फल भी पैदा होने लगे हैं। शाकों में मूली, गाजर, प्याज आदि सरलता से उत्पन्न किए जाते है।

पश्चिमी राजस्थान में उगाई जाने बाली दलहन फसलों में मोठ प्रमुख फसल हैIइससे सूखा सहन करने की क्षमता अन्य दलहन फसलों की अपेक्षा अधिक होती हैl इसकी जड़ें अधिक गहराई तक जाकर भूमि से नमी प्राप्त कर लेती हैं। राज्य की पश्चिम क्षेत्र में मोठ की औसत पैदावार राज्य की कुल पैदावार का 99प्रतिशत होती हैl 

Bikaner जिले की प्रमुख फसलें