product_image


भरतपुर जिला न केवल कृषि उत्पादन के लिए बल्कि तेल उद्योगों के लिए भी जाना जाता है। सरसों के बीज और अन्य कृषि उत्पाद कृषि उपज मंडी समिति द्वारा स्थापित मंडियों के माध्यम से बाजार में आते हैं। ये कृषि उपज मंडियां भरतपुर, नदबई, वियर, डीग, कमान, बयाना, रूपवास और भुसावर में हैं।

राज्य में श्रीगंगानगर एवं अलवर के बाद भरतपुर में सर्वाधिक सरसों का उत्पादन होता है तो देश का सर्वाधिक सरसों तेल उत्पादन भरतपुर में होता हैं। यहां उत्पादित सरसों की गुणवत्ता सर्वोत्तम है। इसके कारण भरतपुर में उत्पादित सरसों का तेल देश में प्रथम स्थान रखता है। देश के पूर्वोतर राज्यों में तो भरतपुर के नाम से ही सरसों तेल बिकता है।

यहां के कई ब्रांड बहुत ही प्रसिद्ध हैं, जो आज भी भरतपुर की साख बनाए हुए हैं। सरसों को नकद फसल माना जाता है। किसान के लिए यह एक सोने की सिक्का की तरह है जिसे जब चाहो बाजार में नकद कीमत पर विक्रय कर सकते हैं। परिणाम स्वरूप सरसों उत्पादक किसान खुशहाल हुआ है।

औषधीय गुणों से भरपूर सरसों के तेल की मांग कोरोना काल के बाद देश भर में तेजी से बढ़ी है, भरतपुर जिले में आजादी के बाद से ही बड़े पैमाने पर सरसों के तेल का उत्पादन होता आया है। यही वजह है कि आज भरतपुर जिला पूरे देश में सरसों तेल उत्पादन में सबसे अग्रणी जिला है। 
जिले में हर साल करीब 5 लाख मीट्रिक टन सरसों तेल का उत्पादन होता है। इतना ही नहीं यहां का सरसों तेल देश के करीब-करीब प्रत्येक राज्य में सप्लाई किया जाता है।

सरसों तेल उत्पादन - तथ्य
  • देश में हर वर्ष सरसों तेल उत्पादन करीब 80 लाख मीट्रिक टन
  • प्रदेश में सरसों तेल उत्पादन 15 लाख मीट्रिक टन
  • भरतपुर में हर वर्ष सरसों तेल उत्पादन 5 लाख मीट्रिक टन
  • भरतपुर जिले में 100- 125 तेल मील
  • हर दिन 4000 मीट्रिक टन सरसों की पिराई

भरतपुर जिले की जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों के चलते यहां सरसों की बंपर पैदावार होती है। यही वजह है कि यहां हर वर्ष करीब 12 लाख मीट्रिक टन तक सरसों की पैदावार हो जाती है।

Bharatpur जिले की प्रमुख फसलें