जगदलपुर (Jagdalpur) भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। जगदलपुर बस्तर जिले का एक प्रमुख शहर है। यहाँ का तापमान सामान्यतः कम होता है, यहाँ अनेक दर्शनीय स्थल हैं। जगदलपुर चारों ओर से पहाड़ियों एवं घने जंगलों से घिरा है।

बस्तर के सबसे कीमती वनोपज में शुमार इमली को राज्य शासन ने 'एक जिला, एक उत्पाद योजना' में शामिल किया गया है। इससे न सिर्फ इमली की देश-विदेश में ब्रांडिंग होगी। बल्कि ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। शासन की मंशा के अनुसार बस्तर जिले में इसके उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के साथ ही इसकी मार्केटिंग के लिए बेहतर माहौल तैयार किया जाएगा।

बस्तर में इमली ग्रामीणों के आय का मुख्य स्रोत है। इसलिए बस्तर में अब ज्यादा से ज्यादा इमली के उत्पादन करने के साथ ही ग्रामीणों को रोजगार दिलाने का प्रयास केंद्र सरकार की संस्था ट्रायफेड और राज्य सरकार कर रही है। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा प्रसंस्करण केंद्र भी खोले जाएंगे। यहां इमली से कैंडी और सॉस बनाने के साथ ही फूड पार्क के माध्यम से बाहर निर्यात किया जा सकेगा। इसके लिए जिला प्रशासन और वन विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है।

शासन के अनुसार बस्तर जिले में इसके उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के साथ ही इसकी मार्केटिंग के लिए बेहतर माहौल तैयार किया जाएगा और अब जिला पंचायत और वन विभाग को इमली की मार्केटिंग के संबंध में निर्देश भी जारी किया गया है। 

बस्तर में अच्छी गुणवत्ता की इमली पाई जाती है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बस्तर के ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासी परिवारों के घरों और खेतों में औसतन 2 से 3 इमली का पेड़ है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले के ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था में इमली का बड़ा योगदान है। 

इमली का उत्पादन बढ़ाकर इसके प्रसंस्करण और मार्केटिंग के लिए उपयुक्त बाजार दिया जाता है, तो जिला उत्पाद के रूप में बस्तर की पहचान तो बदलेगी। साथ ही आदिवासी ग्रामीणो की अर्थव्यवस्था में और ज्यादा मजबूती भी आएगी। फिलहाल जिले में सालाना 2 लाख क्विंटल इमली का उत्पाद होता है, जिसका व्यापार 1 हजार करोड़ के लगभग का होता है। अब इसे और बढ़ाने की तैयारी जिला प्रशासन और राज्य शासन कर रही है।

 बस्तर में इमली बहुत मात्रा में होती है। ग्रामीणों के आजीविका का यह मुख्य स्त्रोत है, ऐसे में राज्य शासन की एक जिला एक उत्पाद योजना में बस्तर की इमली को चिह्नाकित किया गया है। अब बस्तर में ज्यादा से ज्यादा इमली का उत्पादन करने के साथ ही प्रसंस्करण केंद्र भी खोले जाएंगे, ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्रामीणों को रोजगार मिल सके।

मंडी कार्यालय के मुताबिक बस्तर संभाग में सालाना लगभग 20 अरब रुपये की इमली का कारोबार होता है। बस्तर की इमली खाड़ी देशों के साथ दुनिया के 12 देशों को निर्यात की जाती है। बस्तर में खट्टी और मीठी दोनों इमली मिलती है। मीठी इमली यहां गुड़हा इमली के नाम से चर्चित है। खट्टी इमली की डिमांड हर साल रहती है, लेकिन गुड़हा इमली को आजतक बाजार नहीं मिल पाया है। यहां के लोग लंबे समय से इस इमली की अलग से खरीद-बिक्री की मांग करते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसके एक वृक्ष से औसतन 3 क्विंटल इमली मिल जाती है।

गुड़हा इमली का नाम ग्रामीणों के स्थानीय बोली में गुड़ जैसे मीठी होने के कारण रखा है। यह इमली बस्तर में पाए जाने वाले अन्य प्रजातियों के इमली से अलग है।  बस्तर की इमली खट्टी होती है, लेकिन गुड़हा इमली के बीज छोटे और इसका फल काफी मीठा होता है। विदेशों में भी इस इमली की काफी डिमांड है, लेकिन बस्तर में कई सालों से इस इमली की पैदावार हो रही है। बावजूद इसके विभाग इसपर किसी तरह कोई ध्यान और मार्केटिंग नहीं कर रहा था, लेकिन अब बस्तर की गुड़हा इमली विदेशों में भी धूम मचाएगी और इससे न सिर्फ इस इमली के वृक्ष को संरक्षित किया जाएगा, बल्कि इसकी डिमांड से ग्रामीणों को भी अच्छी खासी आय होगी।

बस्तर संभाग मुख्यालय में एशिया की सबसे बड़ी इमली मंडी स्थापित है। बस्तर की इमली के थाईलैण्ड अफगानिस्तान श्रीलंका सहित खाड़ी के कई देशों तक प्रति वर्ष बस्तर से सैकड़ों टन इमली विदेशों में भिजवाई जाती है। बस्तर संभाग वनों से अच्छादित है, यहां वनोपज संग्रहण करना ग्रामीणों की जीवन शैली का हिस्सा है। बस्तर का पर्यावरण इमली फल के लिए अनुकूल माना जाता है। यहां पैदा होने वाली इमली में गुदा अधिक है साथ ही इसका खट्टा-मीठा स्वाद भी सबसे अच्छा माना जाता है।